बगहा: बिहार के बगहा में आदमखोर बाघ (Team Came For Recover Tiger From Vtr In Bagaha) को पकड़ने के लिए पटना और हैदराबाद से विशेष टीम पहुंची है. वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व में पिछले 7 दिनों से खतरनाक आदमखोर बाघ को पकड़ने की मुहिम जारी है, लेकिन अभी तक विभाग को कोई सफलता नहीं मिली है. बताया जाता है कि बीते पांच महीनों में कुल छह ग्रामीणों को बाघ ने अपना शिकार बनाया है. इसी कारण बाघ को पकड़ने की कवायद में वन विभाग के साथ पटना और हैदराबाद की संयुक्त टीम वीटीआर पहुंची है.
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आदमखोर बाघ को पकड़ने के लिए टीम आई: दरअसल, यह मामला वाल्मिकिनगर स्थित वीटीआर (Special Team Came To Recover Tiger From VTR) का है. जहां एक आदमखोर बाघ पिछले पांच महीनों से लगातार वन विभाग कर्मियों और नजदीकी क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समाज के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. विभाग की टीम लगातार पिछले दिनों से बाघ को पकड़ने के लिए दिन और रात एक किये हुए है. लेकिन आदमखोर बाघ बार-बार अपना ठिकाना बदल रहा है. यही वजह है कि वीटीआर के कर्मी बाघ का रेस्क्यू नहीं कर पाए हैं.
बताया जाता है कि आदिवासी बहुल बैरिया कला गांव में वीटीआर की टीम एक हफ्ते से बाघ को ट्रेंकुलाइज करने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रही थी. लेकिन उन कर्मियों को अभी तक सफलता हाथ नही लगी है. जिसके बाद पटना और हैदराबाद से विशेषज्ञों की टीम वाल्मीकिनगर टाइगर रिजर्व अंतर्गत बरवा सरेह में पहुंची है. विशेषज्ञों के अनुसार बाघ को किसी भी तरह का नुकसान ना पहुंचे, इसके लिए तैयारी की गई है.
इस टीम का नेतृत्व चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन पीके गुप्ता कर रहे हैं. उनके साथ उनकी टीम में शामिल वेटनरी चिकित्सक समरेंद्र कुमार, ट्रेंक्यूलाइज एक्सपर्ट शूटर शफाअत अली, इकोलॉजी डायरेक्टर सुरेंद्र सिंह हैं. यहां पहुंची टीम में शामिल लोगों को दावा है कि बहुत जल्द टाइगर को रेस्क्यू कर लिया जाएगा. क्योंकि इसके लिए टीम में ट्रांकुलाइजर एक्सपर्ट सफाअत अली को शामिल किया गया है.
ग्रामीणों में बाघ के खौफ का माहौल: वीटीआर के नजदीकी ग्रामीण बाघ की दहशत की वजह से खेतों की तरफ जाना छोड़ चुके हैं. ग्रामीणों ने बताया कि घरों के सामने आग जलाकर रात गुजार रहे हैं, ताकि बाघ उनके घरों तक न पहुंच जाएं. इन घटनाओं के तुरंत बाद बाघ को वनकर्मियों ने देखा तो उसके बाद ट्रांकुलाइज करने का प्रयास करने लगे लेकिन वह बाघ जंगल में भाग गया. बताया जाता है कि विशेषज्ञ सफाअत अली कठिन परिस्थिति में वन जीवों का ट्रेंकुलाइज करते आए हैं. टीम में शामिल लोगों के अनुसार सफाअत अली का निशाना अचूक है. इन्होंने छोटे जानवरों से लेकर बड़े जानवरों तक टेकुलाइजर किया हुआ है. सफाअत अली ने हाथी तक का टेकुलाइजर किया है. इसके साथ ही पटना चिड़ियाघर के बाघ एक्सपर्ट भी शामिल है.
'विशेषज्ञ सफाअत अली कठिन परिस्थिति में वन जीवों का ट्रेंकुलाइज करते आए हैं. टीम में शामिल लोगों के अनुसार सफाअत अली का निशाना अचूक है. इन्होंने छोटे जानवरों से लेकर बड़े जानवरों तक टेकुलाइजर किया हुआ है. सफाअत अली ने हाथी तक का ट्रेंकुलाइजर किया है'- पीके गुप्ता, प्रधान मुख्य वन संरक्षक
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