बेतियाः जिले की नरकटियागंज (Narkatiyaganj) नगर परिषद वार्ड संख्या 8 के प्रोफेसर कॉलोनी (Professor Colony) में लोगों के घरों और सड़कों में 2 से तीन फीट पानी बहने से मुहल्लेवासियों को घर से निकलना दुभर हो चुका है. घर में रहना अब लोगों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है. घर और बाहर बह रहे पानी में गंदे जानवरों ने आतंक मचा रखा है. जिससे नाराज दर्जनों मोहल्लेवासियों में नगर निगम और पार्षदों के खिलाफ काफी आक्रोश व्याप्त है.
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नाली का स्थाई समाधान नहीं होने से गंदगी
पानी घरों में घुस गया है और महामारी होने का काफी खतरा बढ़ गया है. बता दे कि चार साल से लगातार वार्ड पार्षद से लेकर तमाम पदाधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया है. नाली के साथ सड़क निर्माण करवाकर मुहल्ले की समस्याओं को दुरुस्त करने की पहल की गई. लेकिन आश्वासन और कागजी खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं मिल सका. जिसके कारण हल्की बारिश में भी सड़कें नदियों का रूप ले लेती है. उसमें गंदे जानवरों का आतंक शुरू हो जाता है.
सुअर और मच्छरों से लोग परेशान
मुहल्लेवासी ने बताया कि यदि अविलंब समाधान नहीं होता है, तो स्थिति और भयावह हो सकती है. कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में गंदगी और नरक में जीने को विवश हैं. सुअर और मच्छरों से लोग जूझ रहे हैं. एक तरफ देश में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है लेकिन नरकटियागंज के इस मुहल्ले में तमाम व्यवस्थाएं चौपट नजर आ रही हैं.
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बराज के सभी 36 फाटक खोले गए
नेपाल के तराई क्षेत्रों में हुई बारिश के बाद गंडक नदी के जलस्तर में भारी वृद्धि हुई है. जानकारी के अनुसार, वाल्मीकिनगर गंडक बराज से 4 लाख 4 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज गंडक नदी में हो रहा है. जलस्तर में वृद्धि को कारण वाल्मीकिनगर गंडक बराज के सभी 36 फाटक खोल दिए गए हैं. वहीं, वाल्मीकिनगर गंडक बराज के साथ ही तटबंधों और बांधों की सुरक्षा को लेकर प्रशासन हाई अलर्ट पर है.
गंडक के जलस्तर में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि
नेपाल के पोखरा सहित तराई क्षेत्रों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने प्रशासन की टेंशन बढ़ा दी है. दरअसल गंडक बराज नियंत्रण कक्ष द्वारा गंडक नदी में अब तक का सर्वाधिक 4 लाख 4 हजार क्यूसेक पानी मंगलवार की देर रात छोड़ा गया, जिससे गंडक अपने उफान पर है. जल वृद्धि को लेकर प्रशासन ने निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्कता बरतने की सलाह दी है.
अधिकांश नदियों का बढ़ा जलस्तर
लगातार हो रही बारिश के कारण अधिकांश नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है. नदियों ने रौद्र रूप धारण कर लिया है. कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए हैं. ग्रामीणों को डर सता रहा है कि अभी मानसून की पहली बारिश ही हुई है. जबकि अभी पूरा मॉनसून बाकी है. हालात ऐसे ही रहे तो कटाव और बाढ़ के खतरों के बीच जिंदगी कैसे चलेगी?
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