बगहाः एक तरफ पूरी दुनिया रविवार को अपने-अपने तरीकों से नव वर्ष का जश्न (new year celebration) मनाने में लोग व्यस्त थे. वहीं पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा के जरलहिया गांव (Jarlhiya village of Bagaha) में किसान और ग्रामीणों ने श्रमदान से पुलिया बनाकर (Public Build Culvert By Self AID In Bagaha) नये साल में अपने इरादे से सरकार और समाज को संदेश दिया. जरलहिया के किसानों ने कहा कि शासन-प्रशासन से गुहार लगाकर थक चुके थे. मजबूरी में हमलोंगों श्रमदान से पुलिया का निर्माण किया, ताकि हम लोग खेतों तक पहुंच सकें और तैयार फसलों को मंडियों तक पहुंचा सकें.
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"चीनी मिल प्रबंधन समेत सांसद, विधायक और उप मुख्यमंत्री तक से पुलिया निर्माण के लिए गुहार लगाई गई लेकिन किसी ने नहीं सुना. उसके बाद हम ग्रामीणों ने खुद से इस पुलिया को बनाया है और नए साल में चार-पांच गांव के किसानों के लिए यह एक बड़ा तोहफा साबित होगा." अरविंद राम, मुखिया, मदनपुर बेलहवा
नेताओं से नहीं सुनी तो ग्रामीण स्वयं आगे बढ़ेंः दरअसल जब सांसद, विधायक व उपमुख्यमंत्री से पुल निर्माण के लिए फरियाद कर जब थक हार गए तब उन्होंने खुद से पहल की और चंदा-इकट्ठा कर श्रमदान से इस पुल को बनाया है. ग्रामीणों ने बताया कि यूपी बिहार सीमा पर स्थित बगहा में मदनपुर बेलहवा पंचायत के जरलहिया स्थित रोहुआ नाला पर एक पुलिया निर्माण के लिए किसान कई वर्षों से मांग कर रहे थे. मांगे पूरी नहीं होने पर ग्रामीणों ने बैठकर पुल निर्माण का निर्णय लिया. इस काम के लिए ग्रामीणों ने नये साल के दिन को चुना.
किसानों को क्या हो रही थी परेशानीः वाल्मीकि टाइगर रिजर्व जंगल से सटे सुदूरवर्ती इलाके के चार-पांच गांवों के किसानों का गन्ना गंडक नदी के दियारा क्षेत्र में पड़ता है. गंडक नदी से निकले रोहुआ नाला से होकर हीं गन्ना की खेप ट्रैक्टर या बैलगाड़ी व ट्रक से किसान लाते हैं. ऐसे में किसानों को गन्ना के सीजन में काफी दिक्कतें होती हैं और यूपी के रास्ते गन्ना लेकर आना पड़ता था, जो काफी खर्चीला होता था.
जनप्रतिनिधियों के दिखाया आइनाः किसानों की मांग जब जनप्रतिनिधियों ने नहीं सुनी तब ग्रामीण किसानों ने खुद से कमान संभाल ली और चंदा व श्रमदान से रोहुआ नाला पर रातों-रात पुल का निर्माण कर एक मिसाल पेश कर जनप्रतिनिधियों को आइना भी दिखाया है.
जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से किसानों में नाराजगीः बता दें कि गन्ना की फसल अभी भी हजारों एकड़ खेतों में पड़ा हुआ है, जिसे काटकर चीनी मिलों तक भेजने के साथ-साथ खेत खाली होने पर रबी फसलों के बुआई को लेकर चिंतित किसानों ने चीनी मिल प्रबंधन और प्रशासन समेत जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से तंग आकर सिस्टम को तमाचा जड़ा है.