पश्चिम चंपारण (बगहा): तीन नए कृषि कानूनों (Agricultural law) के खिलाफ आंदोलन को और मजबूत करने के लिए आज किसान संगठनों ने भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया है. जिसका बिहार में भी सभी विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया है. भारत बंद का असर बिहार के पश्चिम चंपारण के बगहा में भी देखने को मिल रहा है. यहां आरजेडी और वाम दलों के कार्यकर्ता एकजुट होकर सुबह से ही सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. एनएच-727 को भी जाम कर यातायात बाधित कर दिया है. इतना ही नहीं जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन करते हुए रेल का चक्का भी जाम कर दिया.
यह भी पढ़ें - बोले राजद नेताः यहां हर कार्यकर्ता लालू और तेजस्वी है, केंद्र सरकार को वापस लेना होगा कृषि कानून
दरअसल, कृषि कानून वापस लेने की मांग को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन देश के अलग-अलग हिस्सों में जारी है. सरकार के विरोध में पूरे देश में आज भारत बंद का ऐलान किया गया है. जिसमें महागठबंधन के नेता और सभी किसान संगठन के लोग सड़क पर उतर कर हाथों में झंडा और बैनर लेकर जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका मानना है कि सरकार 10 महीने बाद भी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है और किसानों के साथ अब ज्यादती हो रही है. कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाने की मांग कर रहे वाम दलों ने सरकार को आड़े हाथों लिया है.
माले कार्यकर्ता सुरेंद्र यादव का कहना है कि लगभग 10 महीने से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं. लेकिन उनकी कोई सुनने वाला नहीं है. मैं आज भारत बंद के दिन मांग करता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री किसानों को बुलाकर वार्ता करें. इसके साथ ही काला कृषि कानून को वापस लें.
बगहा में माले और राजद के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया और बगहा रेलवे स्टेशन के पास पहुंचकर रेल ट्रैक को जाम कर दिया. नतीजतन मुजफ्फरपुर से गोरखपुर जा रही माल ट्रेन को बगहा स्टेशन पर ही खड़ा करना पड़ा. इस दौरान पुलिस को काफी पसीना बहाना पड़ा. क्योंकि एनएच-727 पर भी यातायात ठप पड़ने से जाम की स्थिति हो गई थी.
बता दें कि इस प्रकार का विरोध-प्रदर्शन बिहार के कई जिलों में किया गया. बिहार में महागठबंधन के नेताओं ने भी किसानों को समर्थन देने का ऐलान किया है. किसानों के समर्थन में पहले से ही सीपीएम (CPM), सीपीआई (CPI) और सीपीआई एमएल (CPI-ML) है. राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने भी पिछले दिनों बैठक करके समर्थन का ऐलान किया था. इसके अलावा आम आदमी और और जन अधिकार पार्टी ने भी भारत बंद को समर्थन दिया है.
संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में किसानों ने तीन कृषि कानूनों के विरोध में आज 10 घंटे के राष्ट्रव्यापी बंद का आह्वान किया है. इसे देखते हुए आज (सोमवार) पुलिस ने एतिहात के तौर पर कई जगहों पर यातायात सेवाएं बंद कर दी है. गौरतलब है कि, केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगभग एक साल से आंदोलन कर रहे हैं.
जानें क्या हैं तीनों कृषि कानून जिसका किसान विरोध कर रहे हैं.
1. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020: इसके मुताबिक किसान मनचाही जगह पर अपनी फसल बेच सकते हैं. बिना किसी रुकावट दूसरे रोज्यों में फसल बेच और खरीद सकते हैं. इसका मतलब एपीएमसी (एग्रीकल्चर मार्केटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी -Agriculture Marketing Produce Committee) के दायरे से बाहर भी फसलों की खरीद-बिक्री की जा सकती है. साथ ही फसल की बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. ऑनलाइन बिक्री की भी अनुमति होगी. इससे किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे.
2. मूल्य आश्वासन व कृषि सेवा कानून 2020: देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव है. फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसानों को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाले पक्ष या कंपनियों को करनी होगी. किसान कंपनियों को अपनी कीमत पर फसल बेचेंगे. इससे किसानों की आय बढ़ेगी और बिचौलिया राज ख्त्म होगा.
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून-2020: आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था. अब खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है. बहुत जरूरी होने पर ही स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी. ऐसी स्थितियों में राष्ट्रीय आपदा, सूखा जैसी अपरिहार्य स्थितियां शामिल हैं. प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.
यह भी पढ़ें - देखिए किस तरह का दिख रहा भारत बंद का पूर्णिया में असर