बेतिया: कोरोना महामारी का असर आम लोगों के साथ भगवान पर भी पड़ा है. लॉकडाउन के कारण जहां लोगों को परेशानी हो रही है. वहीं, भगवान भी भूखे रह रहे हैं. साथ ही मंदिरों के पूजारी भी दाने-दाने के लिए मोहताज हो रहे हैं.
बताया जा रहा है कि इस लॉकडाउन में जिले के 56 मंदिरों के देवी-देवता के साथ 112 पजारियों का हाल बेहाल हो गया है. हालांकि इन मंदिरों के पुजारी को बेतिया राज की ओर से मानदेय दिया जाता है. लेकिन उससे इनको घर चालाना काफी मुश्किल हो रहा है. सभी मंदिरों के पट बंद हैं. इन मंदिरों में पूजा करने वाले भक्तों के आने जाने पर रोक है. जिससे मंदिरों में चढ़ावा नहीं होता है. इसी कारण से भगवान के साथ पूजारी भी भूखे रह रहे हैं.
5 रुपये के प्रसाद का लगाया जाता है भोग
बता दें कि बेतिया राज प्रबंधक की ओर से इन मंदिरों में हरेक दिन भगवान को भोग लगाने के लिए 10 रुपये दिए जाते हैं. जिसमें 5 रुपये का सुबह और 5 रुपये का शाम को भोग लगाना होता है. लेकिन इस लॉकडाउन और महंगाई में 5 रुपये में भगवान को भोग नहीं लग पाता है. भगवान को भोग के प्रसाद के नाम पर सिर्फ दो-चार लाइचीदाना चढ़ाया जाता है. वहीं, बेतिया ऐतिहासिक दुर्गा मंदिर, सागर पोखरा शिव मंदिर और सबसे ऐतिहासिक मनोकामना कालीबाग मंदिर में छप्पन कोट के देवी देवता स्थापित हैं. जिन्हें 5 रुपये में भोग लगाना पुजारियों के लिए काफी मुश्किल होता है.
भगवान के साथ पूजारी भी रहते हैं भूखे
मनोकामना कालीबाद मंदिर की महिला पूजारी इंद्रकला झा ने बताया कि इस कोरोना महामारी के कारण मंदिरों में भक्त नहीं आ रहे हैं. इससे चढ़ावा नहीं चढ़ रहा है. 5 रुपये में ही भोग लगाना होता है, जो कि काफी मुश्किल काम है. वहीं, मंदिर के पुजारियों को 600 से 900 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलता है. जिससे परिवार वालों का भरण पोषण करना काफी कठिन है. साथ ही दुर्गाबाग मंदिर और सागर पोखरा शिव मंदिर केक पुजारियों ने कहा कि कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में भगवान भी भूखे हैं और पुजारी भी भूखे हैं. पुजारियों ने कहा कि मंदिर में भक्त के आने से चढ़ावा होता था. जिससे मंदिर में भोग लगता था और हम सब गुजारा भी करते थे. लेकिन अभी काफी परेशानी हो रही है.