पश्चिम चंपारण: इलाके में कम बारिश के कारण लोगों का जीना मुहाल हो रहा है. बारिश कम होने की वजह से धान की रोपनी पर इसका असर पड़ा है. ऐसे में रोजगार नहीं मिलने के कारण मजदूर पलायन को मजबूर हैं. लोग रोजगार की तलाश में पड़ोसी देश नेपाल का रुख कर रहे हैं. राज्य और केन्द्र सरकार की रोजगार के लिए चलाई गई सभी योजना आज विफल साबित हो रही हैं.
धान रोपनी के लिए हो रहा पलायन
दरअसल, बारिश कम होने की वजह से इलाके में धान रोपनी नहीं हो रही है. लोग गन्ना की खेती करने में लगे हैं. जिस वजह से लोगों का रोजगार खत्म गया है. ये मजदूर धान रोपनी के लिए नेपाल का रुख कर रहे हैं, ताकि इस मंदी के समय में वे कुछ पैसे जोड़ सकें.
300 रुपये की मजदूरी पर करेंगे काम
मजदूरों का कहना है कि बारिश नहीं होने की वजह से कोई काम नहीं मिल रहा है. कम से कम नेपाल जाकर दिहाड़ी मजदूरी कर अपना घर चला लेंगे. इस वर्ष बारिश कम हुई है. जिससे किसानों ने गन्ने की खेती ज्यादा की है. हालांकि, अभी धान की खेती का समय चल रहा है. इसीलिए नेपाल जाकर 300 रुपया प्रतिदिन की मजदूरी कर धान रोपनी का काम करेंगे.
सरकारी योजनाएं विफल
बता दें कि भारत में ग्रामीण विकास मंत्रालय की पहली प्राथमिकता ग्रामीण क्षेत्र का विकास और गरीबों का भूख मिटाना है. साथ ही गांव से शहर की ओर हो रहे पलायन को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार की गारंटी भी मुहैया कराना है. जिसके लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना सहित अन्य योजनाएं सरकार चला रही है. बावजूद इसके लोगों का पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा है.
नेपाल में लोग ढ़ूंढ़ रहे मजदूर
हैरत की बात है कि हमेशा ही नेपाल से लोग मजदूरी के लिए भारत का रुख करते रहे हैं. लेकिन आज गंगा उलटी बह रही है. आज लोग बिहार से नेपाल मजदूरी के लिए जा रहे हैं. जो अपने आप में अचंभित करने वाली बात है. हुक्मरानों को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है.