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पश्चिमी चम्पारण: क्वॉरेंटाइन सेंटर में नहीं है कोई सुविधा, घर से खाना मंगवा रहे मजदूर

बाहर से आने वाले हर व्यक्ति के लिए प्रशासन क्वॉरेंटाइन की व्यवस्था का राग अलाप रहा है. लेकिन हर जगह स्थिति ऐसी नहीं है. कई जगहों पर क्वॉरेंटाइन सेंटर में सुविधाओं का घोर अभाव है.

चम्पारण
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Published : Apr 18, 2020, 11:39 PM IST

पश्चिम चम्पारण: भितहा प्रखंड के हथुअहवा पंचायत के रुपही गांव स्थित राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय को क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है. इसमें पांच दिन पहले सिवान जिले से आए पांच मजदूरों को रखा गया है, लेकिन क्वॉरेंटाइन सेंटर में किसी प्रकार की सुविधा नहीं है. इस कारण इन सभी मजदूरों का खाना-पीना व सोने की व्यवस्था उनके अपने-अपने घर से चल रही है. इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन के साथ पंचायत के मुखिया को भी है.

खेत के रास्ते गांव पहुंचे मजदूर

सिवान में मजदूरी का काम करने वाले ये मजदूर पांच दिन पहले लॉकडाउन में खेत के रास्तों से होते हुए पैदल ही अपने घर हथुअहवा गांव आ गए थे. इसकी सूचना ग्रामीणों ने गांव के वार्ड सदस्य को दी, जिसके बाद वार्ड सदस्य व ग्रामीणों के कहने पर सभी पांच लोग विद्यालय में रहने के लिए चले गए. लेकिन रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई. इसके बाद उनके घरवाले ही उनके लिए खाना बनाकर लाते हैं.

मुखिया पति ने भेजा मास्क

जब इस बारे में पंचायत सचिव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पांच लोगों की व्यवस्था बहुत महंगी पड़ेगी. हम इंतजाम करने में असमर्थ हैं.वहीं इस संबंध में मुखिया पति जाकिर हुसैन ने बताया कि उन्हें जैसे ही सूचना मिली तो उन्होंने सभी लोगों के लिए साबुन, सेनेटाइजर व मास्क भेजवा दिया. उनको 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भोजन के लिए बोला गया है.

धरातल पर कोई इंतजाम नहीं

जिला प्रशासन लगातार बोल रहा है कि जो भी लोग दूसरे प्रदेश या जिले से आ रहे हैं वह स्थानीय प्रशासन को जानकारी दें. प्रशासन का साथ दें ताकि आपको क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखकर जांच की जा सके. ऐसे में ये लोग जब प्रशासन का साथ दे रहे हैं तो स्थानीय प्रशासन या जनप्रतिनिधियों के द्वारा किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई है. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला प्रशासन के निर्देशों का धरातल पर कितना पालन हो रहा है.

पश्चिम चम्पारण: भितहा प्रखंड के हथुअहवा पंचायत के रुपही गांव स्थित राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय को क्वॉरेंटाइन सेंटर बनाया गया है. इसमें पांच दिन पहले सिवान जिले से आए पांच मजदूरों को रखा गया है, लेकिन क्वॉरेंटाइन सेंटर में किसी प्रकार की सुविधा नहीं है. इस कारण इन सभी मजदूरों का खाना-पीना व सोने की व्यवस्था उनके अपने-अपने घर से चल रही है. इसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन के साथ पंचायत के मुखिया को भी है.

खेत के रास्ते गांव पहुंचे मजदूर

सिवान में मजदूरी का काम करने वाले ये मजदूर पांच दिन पहले लॉकडाउन में खेत के रास्तों से होते हुए पैदल ही अपने घर हथुअहवा गांव आ गए थे. इसकी सूचना ग्रामीणों ने गांव के वार्ड सदस्य को दी, जिसके बाद वार्ड सदस्य व ग्रामीणों के कहने पर सभी पांच लोग विद्यालय में रहने के लिए चले गए. लेकिन रहने-खाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई. इसके बाद उनके घरवाले ही उनके लिए खाना बनाकर लाते हैं.

मुखिया पति ने भेजा मास्क

जब इस बारे में पंचायत सचिव से बात की गई तो उन्होंने कहा कि पांच लोगों की व्यवस्था बहुत महंगी पड़ेगी. हम इंतजाम करने में असमर्थ हैं.वहीं इस संबंध में मुखिया पति जाकिर हुसैन ने बताया कि उन्हें जैसे ही सूचना मिली तो उन्होंने सभी लोगों के लिए साबुन, सेनेटाइजर व मास्क भेजवा दिया. उनको 100 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से भोजन के लिए बोला गया है.

धरातल पर कोई इंतजाम नहीं

जिला प्रशासन लगातार बोल रहा है कि जो भी लोग दूसरे प्रदेश या जिले से आ रहे हैं वह स्थानीय प्रशासन को जानकारी दें. प्रशासन का साथ दें ताकि आपको क्वॉरेंटाइन सेंटर में रखकर जांच की जा सके. ऐसे में ये लोग जब प्रशासन का साथ दे रहे हैं तो स्थानीय प्रशासन या जनप्रतिनिधियों के द्वारा किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गई है. इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिला प्रशासन के निर्देशों का धरातल पर कितना पालन हो रहा है.

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