बेतिया: बिहार सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री नीरज कुमार बबलू तीन दिवसीय प्रवास के दौरान इंडो नेपाल सीमा पर हैं. इस दौरान उन्होंने वहां गेस्ट हाउस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. उन्होंने विटीआर वन क्षेत्र में बढ़ते बाघों की संख्या पर खुशी जताई और पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया.
'इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिहाज से वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के लिए सुविधाओं को बढ़ाने हेतु 10 इको हट का निर्माण किया जाएगा. गण्डक नदी के घाट का फेंसिंग किया जाएगा. ताकि नहाने आने वाले श्रद्धालुओं को समस्या न हो सके और गण्डक नदी में मौजूद घड़ियाल जैसे जीवों से सुरक्षा रह सके': नीरज कुमार बबलू, वन एवं पर्यावरण मंत्री
'सौंदर्यीकरण को बढ़ावा'
वन और पर्यावरण मंत्री में सुबह-सुबह गण्डक नदी किनारे बने पाथवे समेत अन्य धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया और संवाददाताओं को बताया कि यहां पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं. लिहाजा, जलसंसाधन विभाग से मिले 200 एकड़ जमीन में से 1.25 एकड़ जमीन पर विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधे लगा कर उसका सौंदर्यीकरण किया जाएगा और जगह-जगह बैठने के लिए बेंच, लाइटिंग और शेड का निर्माण किया जाएगा. इसके अलावा 0.5 एकड़ में आम वाटिका बनाया जाएगा, जिसमें फलदार आम के पेड़ लगाए जाएंगे.
'लगेगा टेलीस्कोप'
मंत्री नीरज कुमार बबलू ने अधिकारियों के साथ भी समीक्षात्मक बैठक की और विटीआर में सैलानियों को आकर्षित करने के लिए इको पार्क में बने गोलघर को एक तल और निर्माण कराने की बात कही. साथ ही उसपर टेलीस्कोप लगाने की भी मंजूरी दी. ताकि पर्यटक जल, जंगल और पहाड़ के मनोरम दृश्यों का लुत्फ उठा सकें.
'पेयजल और ठहरने की हो समुचित व्यवस्था'
वन मंत्री ने पर्यटकों के लिए पेयजल से लेकर उनके रहने खाने की व्यवस्था बढाने एवं उसे सुदृढ़ करने पर जोर देते हुए कहा कि जगह-जगह चिन्हित कर हैंडपम्प लगाए जाएंगे. साथ ही इको हट के नए निर्माण के मुताबिक कैंटीन की संख्या को बढ़ाया जाएगा. ताकि यहां ठहरने वाले पर्यटकों को रहने खाने और घूमने में कोई दिक्कत न हो सके और सैलानी भरपूर मनोरंजन कर ही वापस लौटें.
नौका विहार विकसित करने की योजना पर होगा काम
बता दें कि वन मंत्री ने वीटीआर अवलोकन के दरम्यान पुरानी नहर को मोडिफाइड कर नौका विहार के रूप में विकसित कर सैलानियों को आकर्षित करने की योजना को अमलीजामा पहनाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि वनक्षेत्र में बाघों की संख्या 40 से बढ़कर 50 के करीब हो गई है, जो सुखद खबर है. ऐसे में अन्य जीवों के सुरक्षा और उनकी संख्या बढ़ाने को लेकर कार्य किये जाएंगे.