बेतियाः पिछले कुछ महिनों में कोरोना संक्रमण के कारण प्रदेश में लगे लॉकडाउन के बाद से ही दूध व्यवसाय पर व्यापक असर पड़ा है. दूध व्यवसाय से जुड़े लोगों को भारी आर्थिक क्षति हो रही है. हालांकि अब पूरे देश में अनलॉक हो चुका है. लेकिन दूध की मांग अभी भी बहुत कम है.
दरअसल, कोरोना संक्रमण काल में दूध से निर्मित सामग्रियों की खपत में काफी कमी आई है. जिसका सीधा असर दूध उत्पादकों पर पड़ता दिखाई दे रहा है. दूध की खपत में काफी गिरावट आई है. ऐसे में पशुपालकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
बाजार में दूध की खपत कम
दूध व्यवसाय से जुड़े किसानों का कहना है कि बाजार में दूध की खपत कम होने से दूध की मांग में कमी आई है. ऐसे में उन्हें दूध की सही कीमत भी नहीं मिल पा रही है. दूध सप्लाई नहीं होने से पशुपालक बेहाल है. उनके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गई है. उनका कहना है कि होटलों में दूध की खपत होती थी, लेकिन लॉकडाउन के बाद होटल व्यवसाय में मंदी के कारण दूध की खपत कम हो गई है.
औने पौने दाम में बिक रहा दूध
इधर बाढ़ के बाद जलजमाव के कारण मवेशियों के चारे पर भी संकट उत्पन्न हो गया है. हरियाली पूरी तरह से बाढ़ से प्रभावित हो चुकी है. जिस कारण गाय-भैंसों को हरे-भरी घास नहीं मिल पा रही है. वहीं, कभी कभार दूध का उत्पाद ज्यादा हो जाता है तो उन दूध को औने पौने दामों पर स्थानीय स्तर पर बेच दिया जाता है.
ये भी पढ़ेंः Unlock- 4: इन शर्तों के साथ पटना में 21 सितंबर से खुलेंगे स्कूल और ओपन थिएटर
मुश्किल में हैं दूध उत्पादक
दूध व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि इस विषम परिस्थितियों में 30 से 35 रुपये प्रति लीटर दूध बेचना पड़ रहा है. एक तरफ पशुओं को खिलाने के लिए चारा का संकट है, तो वहीं दूसरी तरफ होटलों, मिठाई की दुकानों में भी दूध की उतनी मांग नहीं है. शादी विवाह बंद होने से बिक्री पर ब्रेक लग गया है. इस स्थिति में किसी तरह दूध को औने पौने दामों पर बिक्री करनी पड़ रही है.
लॉकडाउन ने तोड़ दी कमर
बहरहाल जो भी हो इस कोरोना संक्रमण के कारण देश में हुए लॉकडाउन ने सब की कमर तोड़ दी है. छोटे से लेकर बड़े व्यवसाय सब प्रभावित हो चुके हैं. अनलॉक में भी दूध की खपत वाले क्षेत्र होटल, चाय दुकान सब बंद थे. शादी विवाह भी नहीं होने से दूध के व्यवसाय पर काफी असर पड़ा है. होटलों में दूध की कम खपत होने से उनकी मांगों में भी कमी आई है. ऐसे में पशुपालकों को दूध का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है.