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लोकल इज वोकल को मिल रहा बढ़ावा, बेतिया की छात्राएं बना रही स्वदेशी राखी

बेतिया जिले के संतघाट की छात्राएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल इज वोकल के मंत्र बढ़ावा दे रही हैं. ये लड़कियां घर में खुद राखी बना रही है. वहीं जो राखी नहीं खरीद सकते उनको यह लड़कियां मुफ्त में राखी दे रही हैं.

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Published : Aug 1, 2020, 2:35 PM IST

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बेतियाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल इज वोकल के मंत्र व स्वदेशी को बढ़ावा दे रही हैं बेतिया की तीन लड़कियां. यह लड़कियां इस बार रक्षाबंधन के पर्व को खास बनाने जा रही. यह पीएम मोदी के स्वदेशी को बढ़ावा दे रही है. इस बार रक्षाबंधन के त्यौहार पर भाइयों की कलाई पर विदेशी नहीं बल्कि स्वदेशी राखियां नजर आएंगी.

लोकल इज वोकल को बढ़ावा
बेतिया के संतघाट की रहने वाली अंशु सिंह राजपूत, प्राची कुमारी और प्रज्ञा कुमारी पीएम मोदी के स्वदेशी को बढ़ावा दे रही हैं. यह लड़कियां घर में खुद राखी बना रही है और यह स्वदेशी राखी बना कर काफी खुश है कि यह पीएम मोदी के लोकल इज वोकल के मंत्र को साकार कर रही हैं.

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राखी बनाने छात्राएं

स्वदेशी राखियों की हो रही बिक्री
इन लड़कियों के बनाए गए राखियों की डिमांड भी खूब है. लोग खुद घर जाकर और सोशल मीडिया का प्रयोग कर के राखियां खरीद रहे हैं. यह लड़कियां अभी तक लगभग 500 से ज्यादा राखियां ऑर्डर पर बनाकर दे चुकी है और अभी भी इनके पास लगभग 300 से ज्यादा के आर्डर पड़े हुए हैं. जिस पर यह लड़कियां काम कर रही हैं.

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रंग-बिरंगी राखियां

चीनी राखियों का बहिष्कार
इन लड़कियों का कहना है कि इस बार इस रक्षाबंधन के त्यौहार में घरों से चीन निर्मित राखियों को निकाल देना हैं और स्वदेशी राखियों को घरों व मोहल्लों तक पहुंचना हैं. इसके लिए यह लड़कियां राखी बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रही हैं ताकि लोग इन लड़कियों से स्वदेशी राखियां खरीद सके और ऑर्डर दे सके. ताकि इस बार विदेशी नहीं बल्कि स्वदेशी राखियों को बढ़ावा मिले और भाइयों की कलाई पर स्वदेशी राखी की डोर बंधे.

देखें पूरी रिपोर्ट

वहीं, जो राखी नहीं खरीद सकते उनको यह लड़कियां मुफ्त में राखी दे रहीं है ताकि राखी के अभाव में किसी भी भाई की कलाई सुनी ना हो. यह स्वदेशी राखियां चीन की राखियों को ही नहीं बल्कि उसके कम दाम को भी टक्कर दे रही है. घरों में राखियां पारंपरिक व आसानी से मिलने वाले उत्पादों व अच्छे वस्तुओं से तैयार की जा रही है.

चीन और भारत के बीच सीमा विवाद
बता दें कि ये लड़कियां ऐसे तो कई सालों से राखी घर में बना रही हैं. लेकिन इस बार चीन और भारत के बीच हुए सीमा विवाद को लेकर चीनी समानों का बहिष्कार किया जा रहा. इसी को ध्यान में रखते हुए ये लड़कियां स्वदेशी राखियों को बढ़ावा दे रही हैं. घर में बनी राखियों की कीमत चीन के मुकाबले कम है और दिखने में खूबसूरत भी है. मोती, रेशम के धागे और स्वदेशी उत्पाद से राशियों को तैयार किया जा रहा है. लोग इन राखियों को पसंद कर रहे हैं.

बेतियाः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल इज वोकल के मंत्र व स्वदेशी को बढ़ावा दे रही हैं बेतिया की तीन लड़कियां. यह लड़कियां इस बार रक्षाबंधन के पर्व को खास बनाने जा रही. यह पीएम मोदी के स्वदेशी को बढ़ावा दे रही है. इस बार रक्षाबंधन के त्यौहार पर भाइयों की कलाई पर विदेशी नहीं बल्कि स्वदेशी राखियां नजर आएंगी.

लोकल इज वोकल को बढ़ावा
बेतिया के संतघाट की रहने वाली अंशु सिंह राजपूत, प्राची कुमारी और प्रज्ञा कुमारी पीएम मोदी के स्वदेशी को बढ़ावा दे रही हैं. यह लड़कियां घर में खुद राखी बना रही है और यह स्वदेशी राखी बना कर काफी खुश है कि यह पीएम मोदी के लोकल इज वोकल के मंत्र को साकार कर रही हैं.

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राखी बनाने छात्राएं

स्वदेशी राखियों की हो रही बिक्री
इन लड़कियों के बनाए गए राखियों की डिमांड भी खूब है. लोग खुद घर जाकर और सोशल मीडिया का प्रयोग कर के राखियां खरीद रहे हैं. यह लड़कियां अभी तक लगभग 500 से ज्यादा राखियां ऑर्डर पर बनाकर दे चुकी है और अभी भी इनके पास लगभग 300 से ज्यादा के आर्डर पड़े हुए हैं. जिस पर यह लड़कियां काम कर रही हैं.

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रंग-बिरंगी राखियां

चीनी राखियों का बहिष्कार
इन लड़कियों का कहना है कि इस बार इस रक्षाबंधन के त्यौहार में घरों से चीन निर्मित राखियों को निकाल देना हैं और स्वदेशी राखियों को घरों व मोहल्लों तक पहुंचना हैं. इसके लिए यह लड़कियां राखी बनाकर सोशल मीडिया पर डाल रही हैं ताकि लोग इन लड़कियों से स्वदेशी राखियां खरीद सके और ऑर्डर दे सके. ताकि इस बार विदेशी नहीं बल्कि स्वदेशी राखियों को बढ़ावा मिले और भाइयों की कलाई पर स्वदेशी राखी की डोर बंधे.

देखें पूरी रिपोर्ट

वहीं, जो राखी नहीं खरीद सकते उनको यह लड़कियां मुफ्त में राखी दे रहीं है ताकि राखी के अभाव में किसी भी भाई की कलाई सुनी ना हो. यह स्वदेशी राखियां चीन की राखियों को ही नहीं बल्कि उसके कम दाम को भी टक्कर दे रही है. घरों में राखियां पारंपरिक व आसानी से मिलने वाले उत्पादों व अच्छे वस्तुओं से तैयार की जा रही है.

चीन और भारत के बीच सीमा विवाद
बता दें कि ये लड़कियां ऐसे तो कई सालों से राखी घर में बना रही हैं. लेकिन इस बार चीन और भारत के बीच हुए सीमा विवाद को लेकर चीनी समानों का बहिष्कार किया जा रहा. इसी को ध्यान में रखते हुए ये लड़कियां स्वदेशी राखियों को बढ़ावा दे रही हैं. घर में बनी राखियों की कीमत चीन के मुकाबले कम है और दिखने में खूबसूरत भी है. मोती, रेशम के धागे और स्वदेशी उत्पाद से राशियों को तैयार किया जा रहा है. लोग इन राखियों को पसंद कर रहे हैं.

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