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बेतिया: ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं गरीब, नहीं की गई प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था - bettiah

सर्द हवा और कोहरे की वजह से ठंड अचानक बढ़ गई है. बेतिया शहर में प्रशासन की तरफ से अभी तक अलाव जलाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिससे गरीब, मजदूर ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं.

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ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं गरीब
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Published : Dec 25, 2019, 5:06 PM IST

पश्चिम चंपारणः जिले में ठंड लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन, बेतिया शहर में प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिला प्रशासन ने सभी संबंधित अधिकारियों को 5 दिन पहले निर्देश दे दिए थे. इसके बावजूद शहर में किसी भी चौक-चौराहे और सार्वजनिक स्थल पर अब तक अलाव जलाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

कूड़ा जलाकर चला रहे काम
सर्द हवा और कोहरे की वजह से ठंड अचानक बढ़ गई है. जिससे मजदूर और रिक्शा चालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह है कि वे किसी तरह कूड़ा और लकड़ी इकट्ठा कर खुद को ठंड से बचा रहे हैं.

ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं गरीब

नहीं की गई है कोई व्यवस्था
स्थानीय रिक्शा चालकों ने बताया कि वे लोग ठंड की मार झेल रहे हैं. जिला प्रशासन की तरफ से हर साल अलाव और कंबल की व्यवस्था की जाती थी. लेकिन इस साल कोई व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि उनके पास लकड़ी खरीदकर जलाने के पैसे नहीं हैं. जिससे कड़ाके की ठंड में ठिठुरने के लिए वे मजबूर हैं.

पश्चिम चंपारणः जिले में ठंड लगातार बढ़ती जा रही है. लेकिन, बेतिया शहर में प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जिला प्रशासन ने सभी संबंधित अधिकारियों को 5 दिन पहले निर्देश दे दिए थे. इसके बावजूद शहर में किसी भी चौक-चौराहे और सार्वजनिक स्थल पर अब तक अलाव जलाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

कूड़ा जलाकर चला रहे काम
सर्द हवा और कोहरे की वजह से ठंड अचानक बढ़ गई है. जिससे मजदूर और रिक्शा चालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आलम यह है कि वे किसी तरह कूड़ा और लकड़ी इकट्ठा कर खुद को ठंड से बचा रहे हैं.

ठंड में ठिठुरने को मजबूर हैं गरीब

नहीं की गई है कोई व्यवस्था
स्थानीय रिक्शा चालकों ने बताया कि वे लोग ठंड की मार झेल रहे हैं. जिला प्रशासन की तरफ से हर साल अलाव और कंबल की व्यवस्था की जाती थी. लेकिन इस साल कोई व्यवस्था नहीं की गई है. उन्होंने बताया कि उनके पास लकड़ी खरीदकर जलाने के पैसे नहीं हैं. जिससे कड़ाके की ठंड में ठिठुरने के लिए वे मजबूर हैं.

Intro:एंकर: जिले में लगातार ठंड बढ़ती जा रही है लेकिन जिला प्रशासन की ओर से ठंड से बचने के लिए अभी तक अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है, जिला अधिकारी के द्वारा संबंधित अधिकारी को निर्देश दिया गया था कि ठंड को देखते हुए कंबल और अलाव की व्यवस्था की जाए, इसके बावजूद शहर के किसी भी चौक चौराहे पर अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है।


Body:बेतिया में सुबह से सर्द हवा और कोहरे की वजह से अचानक ठंड बढ़ गई है, बादल छाए हुए है,धूप नहीं निकलने और तेज सर्द हवा चलने के कारण कनकनी महसूस हो रही है, ठंड के कारण लोग अपने घरों में दुबके हुए हैं, धीरे-धीरे चल रही पछिया हवा और सुबह शाम घने कोहरे की वजह से लोगों के जनजीवन पर काफी प्रभाव पड़ा है, खासकर गरीब, मजदूर व रिक्शा चालकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, शहर में कड़ाके की सर्दी के बावजूद अभी तक जिला प्रशासन की तरफ से अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है, आलम यह है कि गरीब कूड़ा और कुछ लकड़ी इकट्ठा कर ठंड से अपने आप को बचा रहे हैं।

बाइट- पारस, रिक्शा चालक
बाइट- भीकारी साह, दुकानदार
बाइट- कलीम मियां, रिक्शा चालक

जिला प्रशासन के द्वारा सभी संबंधित अधिकारी को निर्देश दिए तकरीबन 5 दिन हो चुके हैं इसके बावजूद शहर में किसी भी चौक चौराहे व सार्वजनिक स्थलों पर अब तक अलाव जलाने की कोई व्यवस्था नहीं की गई है और इस सर्द मौसम में लोग किसी तरह अपने आप को बचा रहे हैं, लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन की ओर से हर साल अलाव की व्यवस्था होती है लेकिन इस बार ज्यादा ठंड पड़ने के बावजूद अभी तक ना ही कंबल की व्यवस्था की गई और ना ही अलाव की।

बाइट- श्री महतो, रिक्शा चालक
बाइट- रामजी,दुकानदार
बाइट- रिफ्यूजी, दुकानदार


Conclusion:बता दे कि जिलाधिकारी ने ठंड से प्रभावित सभी लोगों को कंबल तथा अलाव आदि मुहैया कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया था, इसके बावजूद शहर में अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है, ऐसे में जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद भी अलाव की व्यवस्था नहीं करना उन अधिकारियों के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है।

जितेंद्र कुमार गुप्ता
ईटीवी भारत बेतिया
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