बगहाः गंडक नदी का जलस्तर इस बरसात में अपने सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गया है. गंडक नदी में 3 लाख 39 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने से निचले इलाके में रहने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं और लोगों में दहशत कायम होने लगा है. अभी भी जिला के कई निचले इलाके बाढ़ में डूबे हुए हैं.
3 लाख क्यूसेक से ऊपर पहुंचा गंडक का पानी
नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश होने से इंडो-नेपाल सीमा से होकर गुजरने वाली गंडक नदी में पानी उफान पर है. गंडक बराज नियंत्रण कक्ष की ओर से नदी में अब तक का रिकॉर्ड 3 लाख 39 हजार 600 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. पिछले शनिवार को 2 लाख 87 हजार सर्वाधिक जल डिस्चार्ज हुआ था. जिस वजह से कई इलाकों में बाढ़ आ गई है.
निचले इलाके के लोगों में बाढ़ और कटाव का भय
बता दें कि विगत शुक्रवार को जब 2 लाख 25 हजार क्यूसेक जलस्तर दर्ज किया गया था. तब लक्ष्मीपुर रमपुरवा पंचायत अंतर्गत सबसे पहले झंडू टोला स्थित एसएसबी कैम्प में पानी घुसना शुरू हो गया था. साथ ही 2 लाख 87 हजार क्यूसेक पहुंचते ही, चकदहवा सहित बीन टोली और कान्हा टोली के सैकड़ों घर जलमग्न हो गए. इतना ही नहीं पीपी तटबंध के किनारे बसे ठकराहां प्रखंड के भी कई गांवों में पानी घुस गया.
बढ़ेंगी और मुश्किलें
बाढ़ ग्रस्त इलाके के लोग गंडक नदी के जलस्तर में गिरावट को ले खुश थे कि शायद अब बाढ़ का पानी इलाके से निकल जाएगा. तब तक लगातार बढ़ रहे वाटर लेवल ने उनकी चिंता बढ़ा दी है. जिन इलाकों में पानी घुसा है, उनका मानना है कि 2007 और 2017 जैसे बाढ़ का मंजर फिर दिख सकता है.
वाल्मीकिनगर के एक स्थानीय पत्रकार श्रीकांत कुमार की मानें तो जब भी गंडक का जलस्तर बढ़ता है, तो बाढ़ आती है और कम होने पर कटाव शुरू हो जाता है. ऐसे में तटीय इलाकों में रहने वाले लोग बाढ़ और कटाव की आशंका से डरे सहमे हैं.