ETV Bharat / state

800 करोड़ का बेतिया GMCH का देखिए हाल! अस्पताल में ना तो दवा और ना स्ट्रेचर की सुविधा

बेतिया जीएमसीएच (Bettiah Government Medical College Hospital) को करीब 800 करोड़ रुपये के भारी भरकम खर्च के बाद बनाया गया है. उम्मीद थी कि यहां के लोगों को बेहतर इलाज मिलेगा. लेकिन अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का ही अभाव है. ना तो यहां मरीजों को दवा मिल रही है और ना ही स्ट्रेचर जैसी मामूली सुविधाएं. ऐसे में सवाल उठता है कि 800 करोड़ रुपये खर्च सिर्फ दिखावे के अस्पताल के लिए किया गया था. पढ़ें अस्पताल की ग्राउंड रिपोर्ट....

बेतिया के जीएमसीएच की ग्राउंड रिपोर्ट
बेतिया के जीएमसीएच की ग्राउंड रिपोर्ट
author img

By

Published : Sep 25, 2022, 6:03 AM IST

बेतिया: बिहार के बेतिया में 800 करोड़ की लगात से बना GMCH में मरीज दवा के लिए भटक (Bad Condition Of GMCH Bettiah) रहे हैं. शौचालय का हाल ऐसा है कि कोई उसका इस्तेमाल नहीं करता. स्ट्रेचर टूटे हुए हैं तो बेड की हालत अस्पताल की दुर्दशा की पूरी कहानी बयां कर रही है. ऐसे में राज्य सरकार का बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं (Health Facilities In Bihar) को बेहतर होने का दावा करना, एक मजाक ही लगता है. सरकार के दावों की पोल खुलती इस अस्पताल का हाल देखिए.

यह भी पढ़ें: गोपालगंज सदर अस्पतालः स्लाइन की बोतल हाथ में टांगे महिला मरीज पैदल पहुंची ब्लड सैंपल देने

बेतिया GMCH की ग्राउंड रिपोर्ट: ईटीवी भारत की टीम ने GMCH की ग्राउंड रियलिटी (Ground Report Of GMCH Bettiah) चेक की. जिसमें अस्पताल की दुर्दशा की तस्वीर साफ नजर आयी. अस्पताल में आने वाले मरीज दवा के लिए भटकने को मजबूर हैं. इतने बड़े अस्पताल में मरीज को बाहर से दवा खरीदना पड़ता है. जीएमसीएच का निर्माण लगभग 800 करोड़ की लागत से हो रहा है. अब तक अस्पताल का सी ब्लॉक ही बनकर तैयार हुआ है. जहां मरीजों का नाम मात्र के लिए इलाज होता है.

अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का अभाव: अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का ही अभाव है. यहां जो स्ट्रेचर हैं, वह टूटे पड़े हुए हैं. शौचालय में गंदगी का अंबार है. वहां पर जलजमाव के कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मात्र एक सी ब्लॉक को संभालने में ही इतनी लापरवाही सामने आई हैं. ऐसे में जब पूरा अस्पताल जब बनकर तैयार हो जाएगा तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्या हाल होगा. मरीजों का कहना है कि अस्पताल में डॉक्टर लिखा दवा मिलता ही नहीं है. ऐसे में उन्हें महंगी-महंगी दवाएं अस्पताल के बाहर जाकर खरीदना पड़ता है. मामली फर्स्ट एड दवाएं भी अस्पताल में मौजूद नहीं है.

रेफरल अस्पताल बनकर रह गया GMCH: सूत्रों की माने तो अधिकांशत मरीज यहां से रेफर कर दिए जाते हैं. छोटे मोटी दुर्घटनाएं भी हो जाये या सिर में चोट भी लग जाती है तो उन मरीजों को बाहर रेफर कर दिया जाता है. डॉक्टर होने के बावजूद मरीजों को यहां से रेफर करना अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान खड़े करते हैं. सरकारी अस्पताल में हर तबके के मरीज कम खर्च में बेहतर इलाज की उम्मीद के साथ आते हैं. लेकिन 800 करोड़ में बना GMCH रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है.

अधीक्षक ने कहा-"अस्पताल में दवाईयां हैं": अस्पताल में आए मरीजों ने अस्पताल में दवा नहीं मिलने की बात बतायी. जब इस मामले को लेकर अस्पताल के अधीक्षक प्रमोद कुमार तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में दवाईयां है. कुछ दवाइयां बाहर से खरीदकर लानी पड़ती है. लेकिन इसका पूरा ध्यान रखा जाता है कि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा दवा अस्पताल से मिल सके. उन्होंने कहा कि अस्पताल में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. जिस कारण कुछ स्ट्रेचर पुराने पड़े हुए हैं, जो टूटे चुके हैं. अस्पताल में साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. कई प्राइवेट कंपनी को साफ सफाई का ठेका दिया गया है.


"अस्पताल में दवाईयां मौजूद हैं. कुछ दवाइयां बाहर से खरीदकर लानी पड़ती है. लेकिन इसका पूरा ध्यान रखा जाता है कि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा दवा अस्पताल से मिल सके. अस्पताल में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. जिस कारण कुछ स्ट्रेचर पुराने पड़े हुए हैं. इनको बदला जा रहा है और बहुत जल्दी नए स्ट्रेचर भी आ जाएंगे. अस्पताल में साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. कई प्राइवेट कंपनियों को अस्पताल की साफ सफाई की जिम्मेदारी दी गई है" -प्रमोद कुमार तिवारी, अधीक्षक, GMCH


"अस्पताल में दवा की थोड़ी कमी है. लेकिन लिस्ट बनाकर आर्डर दे दिया गया है. सप्लाई होते ही सभी दवाइयां अस्पताल में ही मिलने शुरु हो जाएंगे. कंस्ट्रक्शन होने के कारण थोड़ी बहुत परेशानी हो रही है. शौचालय का प्रॉब्लम भी बहुत जल्द दूर हो जाएगा. कंस्ट्रक्शन का काम चलने के कारण शौचालय में जलजमाव हो गया है, जो दूर कर लिया जाएगा" - मोहम्मद शाहनवाज, अस्पताल प्रबंधक

बेतिया: बिहार के बेतिया में 800 करोड़ की लगात से बना GMCH में मरीज दवा के लिए भटक (Bad Condition Of GMCH Bettiah) रहे हैं. शौचालय का हाल ऐसा है कि कोई उसका इस्तेमाल नहीं करता. स्ट्रेचर टूटे हुए हैं तो बेड की हालत अस्पताल की दुर्दशा की पूरी कहानी बयां कर रही है. ऐसे में राज्य सरकार का बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं (Health Facilities In Bihar) को बेहतर होने का दावा करना, एक मजाक ही लगता है. सरकार के दावों की पोल खुलती इस अस्पताल का हाल देखिए.

यह भी पढ़ें: गोपालगंज सदर अस्पतालः स्लाइन की बोतल हाथ में टांगे महिला मरीज पैदल पहुंची ब्लड सैंपल देने

बेतिया GMCH की ग्राउंड रिपोर्ट: ईटीवी भारत की टीम ने GMCH की ग्राउंड रियलिटी (Ground Report Of GMCH Bettiah) चेक की. जिसमें अस्पताल की दुर्दशा की तस्वीर साफ नजर आयी. अस्पताल में आने वाले मरीज दवा के लिए भटकने को मजबूर हैं. इतने बड़े अस्पताल में मरीज को बाहर से दवा खरीदना पड़ता है. जीएमसीएच का निर्माण लगभग 800 करोड़ की लागत से हो रहा है. अब तक अस्पताल का सी ब्लॉक ही बनकर तैयार हुआ है. जहां मरीजों का नाम मात्र के लिए इलाज होता है.

अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का अभाव: अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं का ही अभाव है. यहां जो स्ट्रेचर हैं, वह टूटे पड़े हुए हैं. शौचालय में गंदगी का अंबार है. वहां पर जलजमाव के कारण मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. मात्र एक सी ब्लॉक को संभालने में ही इतनी लापरवाही सामने आई हैं. ऐसे में जब पूरा अस्पताल जब बनकर तैयार हो जाएगा तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्या हाल होगा. मरीजों का कहना है कि अस्पताल में डॉक्टर लिखा दवा मिलता ही नहीं है. ऐसे में उन्हें महंगी-महंगी दवाएं अस्पताल के बाहर जाकर खरीदना पड़ता है. मामली फर्स्ट एड दवाएं भी अस्पताल में मौजूद नहीं है.

रेफरल अस्पताल बनकर रह गया GMCH: सूत्रों की माने तो अधिकांशत मरीज यहां से रेफर कर दिए जाते हैं. छोटे मोटी दुर्घटनाएं भी हो जाये या सिर में चोट भी लग जाती है तो उन मरीजों को बाहर रेफर कर दिया जाता है. डॉक्टर होने के बावजूद मरीजों को यहां से रेफर करना अस्पताल की व्यवस्थाओं पर सवालिया निशान खड़े करते हैं. सरकारी अस्पताल में हर तबके के मरीज कम खर्च में बेहतर इलाज की उम्मीद के साथ आते हैं. लेकिन 800 करोड़ में बना GMCH रेफरल अस्पताल बनकर रह गया है.

अधीक्षक ने कहा-"अस्पताल में दवाईयां हैं": अस्पताल में आए मरीजों ने अस्पताल में दवा नहीं मिलने की बात बतायी. जब इस मामले को लेकर अस्पताल के अधीक्षक प्रमोद कुमार तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अस्पताल में दवाईयां है. कुछ दवाइयां बाहर से खरीदकर लानी पड़ती है. लेकिन इसका पूरा ध्यान रखा जाता है कि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा दवा अस्पताल से मिल सके. उन्होंने कहा कि अस्पताल में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. जिस कारण कुछ स्ट्रेचर पुराने पड़े हुए हैं, जो टूटे चुके हैं. अस्पताल में साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. कई प्राइवेट कंपनी को साफ सफाई का ठेका दिया गया है.


"अस्पताल में दवाईयां मौजूद हैं. कुछ दवाइयां बाहर से खरीदकर लानी पड़ती है. लेकिन इसका पूरा ध्यान रखा जाता है कि मरीजों को ज्यादा से ज्यादा दवा अस्पताल से मिल सके. अस्पताल में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. जिस कारण कुछ स्ट्रेचर पुराने पड़े हुए हैं. इनको बदला जा रहा है और बहुत जल्दी नए स्ट्रेचर भी आ जाएंगे. अस्पताल में साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. कई प्राइवेट कंपनियों को अस्पताल की साफ सफाई की जिम्मेदारी दी गई है" -प्रमोद कुमार तिवारी, अधीक्षक, GMCH


"अस्पताल में दवा की थोड़ी कमी है. लेकिन लिस्ट बनाकर आर्डर दे दिया गया है. सप्लाई होते ही सभी दवाइयां अस्पताल में ही मिलने शुरु हो जाएंगे. कंस्ट्रक्शन होने के कारण थोड़ी बहुत परेशानी हो रही है. शौचालय का प्रॉब्लम भी बहुत जल्द दूर हो जाएगा. कंस्ट्रक्शन का काम चलने के कारण शौचालय में जलजमाव हो गया है, जो दूर कर लिया जाएगा" - मोहम्मद शाहनवाज, अस्पताल प्रबंधक

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.