बगहा: बिहार के बगहा में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (Siberian Birds in Bagaha VTR) इन दिनों प्रवासी पक्षियों के आगमन से गुलजार है. ठंड का मौसम शुरू होते हीं नवंबर माह से प्रवासी पक्षियों का यहां के झील, नदियों, सरोवरों और जलाशयों में आना शुरू हो जाता है. चकदहवा के पास गंडक नदी में इन पक्षियों ने अपना डेरा जमाया हुआ है. प्रवासी पक्षी पानी में डुबकी लगाकर सबका ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं. प्रवासी पक्षियों के पहुंचने से VTR की सुंदरता में चार चांद लग गए हैं. इन मेहमान परिंदों का शिकार नहीं हो इसलिए वन विभाग ने भी गस्ती बढ़ा दी है.
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VTR में आईं ये साइबेरियन पक्षियां: बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और आसपास के क्षेत्रों में लालसर, दिघवच, डमर, केशराज, अमैठा, गैरी, दिघौंच, अरूण, सराय, मैल, सामा-चकेवा, अधंगी, मलकई, कोचरा, कबूतरी, खोखैर, नदीम, नकटा, केपला, कारण, सिलौंग, सिल्ली जैसी पक्षियों के झुंड देखा जा रहा है. वन्य जीवों और पक्षियों के एक्सपर्ट विद्यादित्य संजू का कहना है कि मेहमान प्रजातियां साइबेरिया और कनाडा से उड़कर हमारे यहां का रुख करती हैं. दोनों ही देशों में बहुत अधिक ठंड पड़ने और पारा माइनस पर पहुंचने की स्थिति में पूरा देश बर्फ से ढक जाता है, जिस कारण वहां के पक्षी भोजन और चारे की तलाश में वीटीआर पहुंचते है. इन्हें भोजन के तौर पर छोटी मछलियां, जलाशयों के अंदर उगने वाले नरम पौधे और कीट के साथ धान के खेतों में गिरे हुए अनाज खूब पसंद आते हैं.
"मेहमान प्रजातियां साइबेरिया और कनाडा से उड़कर हमारे यहां का रुख करती हैं. दोनों ही देशों में बहुत अधिक ठंड पड़ने और पारा माइनस पर पहुंचने की स्थिति में पूरा देश बर्फ से ढक जाता है, जिस कारण वहां के पक्षी भोजन और चारे की तलाश में वीटीआर पहुंचते है."-विद्यादित्य संजू, पक्षियों के एक्सपर्ट
वन विभाग ने बढ़ाई गस्ती: वहीं वाल्मीकिनगर वन प्रक्षेत्र के रेंजर अवधेश कुमार का कहना है कि प्रवासी पक्षियों के आगमन के बाद से गस्त बढ़ा दी गई है. सुबह शाम वो खुद वीटीआर वन प्रक्षेत्र से सटे जलाशयों समेत गंडक नदी के किनारे वनकर्मियों के साथ पेट्रोलिंग कर रहे हैं, ताकि शिकारी इन मेहमान पक्षियों का शिकार न करें. रेंजर ने बताया कि जंगल सफारी वाले मार्ग से सटे ग्रासलैंड और अन्य जगहों पर स्थित जलाशयों में हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचे हैं, जिनकी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. बता दें कि इन परिदों का शिकार वर्जित है लेकिन बड़े पैमाने पर इनका चोरी छिपे शिकार होता है. जिससे इनकी संख्या में भारी कमी देखी जा सकती है.
"प्रवासी पक्षियों के आगमन के बाद से गस्त बढ़ा दी गई है. सुबह शाम वो खुद वीटीआर वन प्रक्षेत्र से सटे जलाशयों समेत गंडक नदी के किनारे वनकर्मियों के साथ पेट्रोलिंग कर रहे हैं, ताकि शिकारी इन मेहमान पक्षियों का शिकार न करें. जंगल सफारी वाले मार्ग से सटे ग्रासलैंड और अन्य जगहों पर स्थित जलाशयों में हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी पहुंचे हैं, जिनकी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जा रहा है." -अवधेश कुमार, रेंजर, वाल्मीकिनगर वन प्रक्षेत्र
ठंड के साथ बढ़ती है पक्षियों की संख्या: साइबेरिया में भयंकर ठंड से बचने के लिए हजारों किलोमीटर की यात्रा कर प्रवासी पक्षी प्रत्येक वर्ष वाल्मीकिनगर आते हैं. पक्षी विशेषज्ञों की मानें तो ये पक्षी प्रतिवर्ष अपने निश्चित ठिकाने पर ही पहुंचते हैं. यहां पर यह पक्षी एक जोड़े के रूप में आते हैं लेकिन जैसे-जैसे ठंड बढ़ने लगती है वैसे वैसे इन पक्षियों का झुंड भी बढ़ने लगता है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि ये अपने वंश की वृद्धि इन्हीं क्षेत्रों में करते हैं. साथी जैसे-जसे गर्मी बढ़ने लगती है इन क्षेत्रों से यह पक्षी पलायन करने लगते हैं.