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बगहा: रेल लाइन के लिए अधिग्रहित बांध पर कटाव तेज, गांव में घुसा पानी - रेल लाइन निर्माण

इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर गंडक बराज से बीती रात 3.39 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिसके बाद गंडक नदी में उफान के चलते बाढ़ और कटाव जैसे हालात निचले इलाकों में पैदा हो गए हैं और लोग मवेशियों के साथ बांध पर शरण लिए हुए हैं, लेकिन अगर यह बांध दरकने के साथ टूट गया तो जान माल की तबाही होगी.

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Published : Jul 14, 2020, 12:23 PM IST

बगहाः जिले में दियारा का बांध क्षतिग्रस्त हो गया है. दरअसल बाढ़ का पानी घुसने से दियारा में तबाही मच गई है. वहीं रेल लाइन के लिए अधिग्रहित जमीन के कच्चे बांध को गंडक नदी की मुड़ती धार ने अपने आगोश में ले लिया है और बांध पर दियारा के निचले इलाकों से कई परिवार शरण लिए हुए हैं. मामला बिहार-यूपी सीमा पर स्थित पिपरासी प्रखंड के सेमरा लबेदहा श्रीपत नगर का है.

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सड़कों पर भरा पानी

रेल लाइन के लिए अधिग्रहित बांध टूटा
बताया जा रहा है कि इंडो नेपाल-सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर गंडक बराज से बीती रात 3.39 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिसके बाद गंडक नदी में उफान के चलते बाढ़ और कटाव जैसे हालात निचले इलाकों में पैदा हो गए हैं और लोग मवेशियों के साथ बांध पर शरण लिए हुए हैं. लेकिन अगर यह बांध दरकने के साथ टूट गया तो जान माल की तबाही होगी.

परियोजना पर लगा ग्रहण
आपको बता दें कि पनियहवा-तमकुही रोड रेल लाइन निर्माण के लिए यह बांध आधा-अधूरा बनाकर छोड़ा गया है. बिहार-यूपी सीमा पर स्थित पश्चिम चंपारण जिला अंतर्गत पिपरासी प्रखंड के सेमरा लवेदाहा श्रीपत नगर भैसहिया में 20 जनवरी 2007 को तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव ने इस रूट में रेल लाइन के लिए आधारशिला रखी थी.

देखें पूरी रिपोर्ट

बांध पर बसने का दिया गया था पर्चा
पिछले साल पिपरासी अंचल कार्यालय ने रेल लाइन के लिए अधिग्रहित जमीन पर पट्टाधारी दर्जनों बाढ़ पीड़ितों को बासगीत पर्चा देकर बसने की सलाह दी थी और पिछले एक दशक से इसी बांध पर बाढ़ पीड़ितों ने अपना आशियाना बना लिया था. अब बाढ़ की वर्षों से त्रासदी झेल रहे इन भूमिहीन बाढ़ पीड़ितों को कटाव की मार झेलनी पड़ सकती है. जिसकी चिंता से लोग परेशान हैं.

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घरों में घुसा बाढ़ का पानी

बगहाः जिले में दियारा का बांध क्षतिग्रस्त हो गया है. दरअसल बाढ़ का पानी घुसने से दियारा में तबाही मच गई है. वहीं रेल लाइन के लिए अधिग्रहित जमीन के कच्चे बांध को गंडक नदी की मुड़ती धार ने अपने आगोश में ले लिया है और बांध पर दियारा के निचले इलाकों से कई परिवार शरण लिए हुए हैं. मामला बिहार-यूपी सीमा पर स्थित पिपरासी प्रखंड के सेमरा लबेदहा श्रीपत नगर का है.

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सड़कों पर भरा पानी

रेल लाइन के लिए अधिग्रहित बांध टूटा
बताया जा रहा है कि इंडो नेपाल-सीमा पर स्थित वाल्मीकिनगर गंडक बराज से बीती रात 3.39 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. जिसके बाद गंडक नदी में उफान के चलते बाढ़ और कटाव जैसे हालात निचले इलाकों में पैदा हो गए हैं और लोग मवेशियों के साथ बांध पर शरण लिए हुए हैं. लेकिन अगर यह बांध दरकने के साथ टूट गया तो जान माल की तबाही होगी.

परियोजना पर लगा ग्रहण
आपको बता दें कि पनियहवा-तमकुही रोड रेल लाइन निर्माण के लिए यह बांध आधा-अधूरा बनाकर छोड़ा गया है. बिहार-यूपी सीमा पर स्थित पश्चिम चंपारण जिला अंतर्गत पिपरासी प्रखंड के सेमरा लवेदाहा श्रीपत नगर भैसहिया में 20 जनवरी 2007 को तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव ने इस रूट में रेल लाइन के लिए आधारशिला रखी थी.

देखें पूरी रिपोर्ट

बांध पर बसने का दिया गया था पर्चा
पिछले साल पिपरासी अंचल कार्यालय ने रेल लाइन के लिए अधिग्रहित जमीन पर पट्टाधारी दर्जनों बाढ़ पीड़ितों को बासगीत पर्चा देकर बसने की सलाह दी थी और पिछले एक दशक से इसी बांध पर बाढ़ पीड़ितों ने अपना आशियाना बना लिया था. अब बाढ़ की वर्षों से त्रासदी झेल रहे इन भूमिहीन बाढ़ पीड़ितों को कटाव की मार झेलनी पड़ सकती है. जिसकी चिंता से लोग परेशान हैं.

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घरों में घुसा बाढ़ का पानी
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