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बेतिया में गांव बना टापू, झोपड़ी की छत पर दिन काट रहे लोग, बोले- भूखें हैं - bihar floods

बिहार में लगातार बारिश के चलते नदियां उफान में हैं. ऐसे में बात करें गंडक की, तो इसके बढ़ें जलस्तर से पश्चिम चंपारण के कई गांव प्रभावित हुए हैं. बेतिया के नौतन प्रखंड के कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं.

बेतिया की खबर
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Published : Jul 17, 2020, 4:23 PM IST

Updated : Jul 17, 2020, 5:39 PM IST

पश्चिमी चंपारण (बेतिया) : ईटीवी भारत बिहार में लगातार बाढ़ की ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. ऐसे में हमारे संवाददाता ने बेतिया जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित नौतन प्रखंड के मंगलपुर कला गांव का जायजा लिया. यहां पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ा. जैसे-तैसे जब वो गांव पहुंचे, तो जो तस्वीरें सामने आईं. वो ये बताने के लिए काफी हैं कि बाढ़ किस तरह अपने चरम रूप में आ गई है और ग्रामीण कितने परेशान हैं.

नौतन प्रखंड का मंगलपुर कला गांव जलमग्न है, यहां बने घर टापू जैसा नजारा पेश कर रहे हैं. चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है. ग्रामीण पलायन कर चुके हैं, जो यहां बचे हैं वो उस घर के मुखिया हैं. इनसे बात करने पर इन्होंने बताया कि घर के सामान की रखवाली करने के लिए ये लोग यहां रुके हुए हैं और मदद का इंतजार कर रहे हैं.

बेतिया से जितेंद्र की रिपोर्ट

नहीं पहुंची प्रशासनिक सहायता
ग्रामीणों ने बताया कि वो इस इंतजार में बैठे हैं कि जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद आएगी, तो उनका कुछ गुजर-बसर हो सकेगा. यहां झोपड़ी की छत पर बैठे लोग अपने घर में रखें समान की देखभाल कर रहे हैं, जो इस पानी में डूब चुका है.

मदद का इंतजार करते लोग
'भूखें हैं साहब'

बब्बू कुमार कहते हैं, 'कौनों सूचना पर नाहीं आई है सरकार से, बाल-बच्चा बाटे सब बांध पर, हम चुपचाप भूखें मरतआनी सब.'

छत पर बैठे मनोज मांझी ने कहा, 'वो कई दिन से भूखें हैं, खाना बनाने का सभी सामान पानी में भींग चुका है. परिवार के लोगों को बच्चों और मवेशियों समेत सड़क और बांध पर भेज दिया है. वो भी भूखे ही होंगे.'

संतोष मांझी का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई भी इनकी बदहाली को देखने नहीं आया. कोई भी अधिकारी इनका हाल जानने नहीं आया. यहां के ग्रामीण परिवार समेत लगभग 6 दिनों से बांध (ऊंचे स्थान) पर तंबू लगाकर गुजर बसर कर रहे हैं. घर की छत पर बैठे लोग, जो कुछ बचा उसकी रखवाली कर रहे हैं. किसी ने आकर कुछ नहीं पूछा है कि हम मर रहे हैं या जी रहे हैं. कई दिनों से भूखें हैं.

चारों तरफ पानी ही पानी
चारों तरफ पानी ही पानी

क्या करें ग्रामीण?
कुल मिलाकर कैमरे में कैद गांव की स्थिति को देखकर आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि ग्रामीण किस स्थिति से गुजर रहे हैं. उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं हैं, ना ही उनके पास कोई राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है. जिससे बाढ़ में वह अपना गुजर-बसर कर सके, अपने परिवार का पेट पाल सकें.

मदद का इंतजार
मदद का इंतजार

बेतिया में बाढ़
गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी और भारी बारिश से बेतिया के सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. इससे स्थानीय लोगों के साथ-साथ सीमावर्ती यूपी के लोगों में भी दहशत का माहौल है.

टापू बना गांव
टापू बना गांव

यह भी पढ़ें- राहत की खबरः तराई क्षेत्रों में बारिश नहीं होने से कम हुआ गंडक नदी का जलस्तर

पश्चिमी चंपारण (बेतिया) : ईटीवी भारत बिहार में लगातार बाढ़ की ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. ऐसे में हमारे संवाददाता ने बेतिया जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर स्थित नौतन प्रखंड के मंगलपुर कला गांव का जायजा लिया. यहां पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ा. जैसे-तैसे जब वो गांव पहुंचे, तो जो तस्वीरें सामने आईं. वो ये बताने के लिए काफी हैं कि बाढ़ किस तरह अपने चरम रूप में आ गई है और ग्रामीण कितने परेशान हैं.

नौतन प्रखंड का मंगलपुर कला गांव जलमग्न है, यहां बने घर टापू जैसा नजारा पेश कर रहे हैं. चारों ओर सिर्फ पानी ही पानी दिखाई दे रहा है. ग्रामीण पलायन कर चुके हैं, जो यहां बचे हैं वो उस घर के मुखिया हैं. इनसे बात करने पर इन्होंने बताया कि घर के सामान की रखवाली करने के लिए ये लोग यहां रुके हुए हैं और मदद का इंतजार कर रहे हैं.

बेतिया से जितेंद्र की रिपोर्ट

नहीं पहुंची प्रशासनिक सहायता
ग्रामीणों ने बताया कि वो इस इंतजार में बैठे हैं कि जिला प्रशासन की तरफ से कोई मदद आएगी, तो उनका कुछ गुजर-बसर हो सकेगा. यहां झोपड़ी की छत पर बैठे लोग अपने घर में रखें समान की देखभाल कर रहे हैं, जो इस पानी में डूब चुका है.

मदद का इंतजार करते लोग
'भूखें हैं साहब'

बब्बू कुमार कहते हैं, 'कौनों सूचना पर नाहीं आई है सरकार से, बाल-बच्चा बाटे सब बांध पर, हम चुपचाप भूखें मरतआनी सब.'

छत पर बैठे मनोज मांझी ने कहा, 'वो कई दिन से भूखें हैं, खाना बनाने का सभी सामान पानी में भींग चुका है. परिवार के लोगों को बच्चों और मवेशियों समेत सड़क और बांध पर भेज दिया है. वो भी भूखे ही होंगे.'

संतोष मांझी का कहना है कि जिला प्रशासन की तरफ से अभी तक कोई भी इनकी बदहाली को देखने नहीं आया. कोई भी अधिकारी इनका हाल जानने नहीं आया. यहां के ग्रामीण परिवार समेत लगभग 6 दिनों से बांध (ऊंचे स्थान) पर तंबू लगाकर गुजर बसर कर रहे हैं. घर की छत पर बैठे लोग, जो कुछ बचा उसकी रखवाली कर रहे हैं. किसी ने आकर कुछ नहीं पूछा है कि हम मर रहे हैं या जी रहे हैं. कई दिनों से भूखें हैं.

चारों तरफ पानी ही पानी
चारों तरफ पानी ही पानी

क्या करें ग्रामीण?
कुल मिलाकर कैमरे में कैद गांव की स्थिति को देखकर आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं कि ग्रामीण किस स्थिति से गुजर रहे हैं. उनके पास खाने के लिए कुछ नहीं हैं, ना ही उनके पास कोई राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है. जिससे बाढ़ में वह अपना गुजर-बसर कर सके, अपने परिवार का पेट पाल सकें.

मदद का इंतजार
मदद का इंतजार

बेतिया में बाढ़
गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी और भारी बारिश से बेतिया के सैकड़ों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. इससे स्थानीय लोगों के साथ-साथ सीमावर्ती यूपी के लोगों में भी दहशत का माहौल है.

टापू बना गांव
टापू बना गांव

यह भी पढ़ें- राहत की खबरः तराई क्षेत्रों में बारिश नहीं होने से कम हुआ गंडक नदी का जलस्तर

Last Updated : Jul 17, 2020, 5:39 PM IST
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