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पारा चढ़ते ही बाजारों में बढ़ी लजीज तरबूजों की मांग, दूसरे राज्यों में भी होती है सप्लाई

दियारा क्षेत्र में उपजने वाले सीजनल फल तरबूज, खरबूज, बट्टी, खीरा और ककड़ी की मांग इस प्रचंड गर्मी में बाजार में बहुत ज्यादा है. खासकर इस क्षेत्र के तरबूज ग्राहकों को काफी पसन्द आ रहे हैं.

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Published : Jun 9, 2019, 3:35 PM IST

पारा चढ़ते हीं बगहा के लजीज तरबूजों की मांग बढ़ी

पश्चिमी चंपारण: ज्येष्ठ की तपती दोपहरी और चिलचिलाती धूप और गर्मी के कारण बाजार में सीजनल फल तरबूज की डिमांड काफी बढ़ गई है. जैसे-जैसे पारा चढ़ता जा रहा है तरबूज की खपत भी बढ़ती जा रही है. वहीं, जिले में बगहा के किसान प्रतिदिन 20 से 25 ट्रक तरबूज की सप्लाई देश के अनेक हिस्सों सहित पड़ोसी देश नेपाल में कर रहे हैं.

जिले के दियारा क्षेत्र में उपजने वाले सीजनल फल जैसे तरबूज, खरबूज, बट्टी, खीरा और ककड़ी की मांग इस प्रचंड गर्मी में बाजार में बहुत ज्यादा है. खासकर इस क्षेत्र के तरबूज ग्राहकों को काफी पसन्द आ रहे हैं. इस गर्मी में जहां लोग शीतल पेय पदार्थों का सहारा ले रहे हैं. वहीं, ये सीजनल फल भी उनके तन मन को शीतलता प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं. यही वजह है कि इस बार दियारा के किसानों के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती है.

इस प्रचंड गर्मी में बगहा के तरबूजों की मांग बढ़ी

सीजनल फलों की अच्छी बिक्री से किसानों में खुशी

किसानों का कहना है कि नदी के किनारे इसकी खेती काफी फायदेमंद होती है. हमलोग इस क्षेत्र में तीन वेरायटी के तरबूज उपजाते हैं. अस्ता, किरण और पाकीजा. इन तरबूजों के दाम भी अलग-अलग होते हैं. इन तीनों वेराइटीज में पाकीजा सबसे मीठा होने की वजह से महंगा बिकता है. साथ ही उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 20 से 25 ट्रक तरबूज देश के कई राज्यों उत्तरप्रदेश, दिल्ली के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी बड़े पैमाने पर सप्लाई होता है.

पश्चिमी चंपारण: ज्येष्ठ की तपती दोपहरी और चिलचिलाती धूप और गर्मी के कारण बाजार में सीजनल फल तरबूज की डिमांड काफी बढ़ गई है. जैसे-जैसे पारा चढ़ता जा रहा है तरबूज की खपत भी बढ़ती जा रही है. वहीं, जिले में बगहा के किसान प्रतिदिन 20 से 25 ट्रक तरबूज की सप्लाई देश के अनेक हिस्सों सहित पड़ोसी देश नेपाल में कर रहे हैं.

जिले के दियारा क्षेत्र में उपजने वाले सीजनल फल जैसे तरबूज, खरबूज, बट्टी, खीरा और ककड़ी की मांग इस प्रचंड गर्मी में बाजार में बहुत ज्यादा है. खासकर इस क्षेत्र के तरबूज ग्राहकों को काफी पसन्द आ रहे हैं. इस गर्मी में जहां लोग शीतल पेय पदार्थों का सहारा ले रहे हैं. वहीं, ये सीजनल फल भी उनके तन मन को शीतलता प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं. यही वजह है कि इस बार दियारा के किसानों के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती है.

इस प्रचंड गर्मी में बगहा के तरबूजों की मांग बढ़ी

सीजनल फलों की अच्छी बिक्री से किसानों में खुशी

किसानों का कहना है कि नदी के किनारे इसकी खेती काफी फायदेमंद होती है. हमलोग इस क्षेत्र में तीन वेरायटी के तरबूज उपजाते हैं. अस्ता, किरण और पाकीजा. इन तरबूजों के दाम भी अलग-अलग होते हैं. इन तीनों वेराइटीज में पाकीजा सबसे मीठा होने की वजह से महंगा बिकता है. साथ ही उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 20 से 25 ट्रक तरबूज देश के कई राज्यों उत्तरप्रदेश, दिल्ली के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी बड़े पैमाने पर सप्लाई होता है.

Intro:ज्येष्ठ की तपती दुपहरी और चिलचिलाती धूप में सुख रहे हलक की प्यास बुझाने के लिए बाजार में सीजनल फल तरबूज की डिमांड काफी बढ़ गई है। जैसे जैसे पारा चढ़ता जा रहा तरबूज का खपत बढ़ता जा रहा है। बगहा के किसान प्रतिदिन 20 से 25 ट्रक तरबूज की सप्लाई देश के अनेक हिस्सों सहित पड़ोसी देश नेपाल में कर रहे हैं।


Body:पश्चिम चंपारण के दियारा क्षेत्र में उपजने वाले सीजनल फल मसलन तरबूज, खरबूज, बट्टी, खीरा और ककड़ी की मांग इस प्रचंड गर्मी में बाजार में बहुत ज्यादा है। खासकर इस क्षेत्र के तरबूज ग्राहकों को काफी पसन्द आ रहे हैं। जहां लोग शीतल पेय पदार्थों का सहारा ले रहे हैं, वहीं ये सीजनल फल भी उनके तन मन को शीतलता प्रदान करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। यहीं वजह है कि इस मर्तबा दियारा के वैसे किसान जो सीजनल फल उपजाते हैं उनके चेहरे पर खुशी देखी जा सकती है। किसानों का कहना है कि नदी के किनारे इसकी खेती काफी फायदेमंद होती है। दिसम्बर में इसकी खेती होती है और अप्रैल माह से तरबूज बाजार में बिकना शुरू हो जाता है। किसान इस क्षेत्र में तीन वेरायटी के तरबूज उपजाते हैं। अस्ता, किरण व पाकीज़ा नामक तरबूजों का दाम भी अलग अलग होता है। इन तीनो वेराइटीज में पाकीजा सबसे मीठा होने की वजह से महंगा बिकता है। इसकी कीमत थोक भाव में 120 से 130 रुपये किलो होता है। किसान बताते हैं कि स्थानीय बाजार में तो तरबूज जाता है है, प्रतिदिन 20 से 25 ट्रक तरबूज देश के अन्य राज्यों मसलन उत्तरप्रदेश, बिहार, दिल्ली के अलावा पड़ोसी देश नेपाल में भी बड़े पैमाने पर सप्लाई होता है। एक ट्रक पर 40 टन तरबूज आता है। ऐसे में आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता कि प्रतिदिन सैकड़ो टन तरबूज की डिमांड होती है।


Conclusion:गर्मी के बेहतरीन तोहफे में शुमार तरबूज और खरबूज जैसे सीजनल फलों की मांग इतनी ज्यादा है कि किसान उतना डिमांड मुश्किल से ही पूरा कर पा रहे हैं। ऐसे में इस वर्ष तरबूज की खेती करने वाले डियारवासी किसानों की बल्ले बल्ले है।
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