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बेतिया में नहीं रुक रहा मजदूरों का पलायन, कहा- बिहार में नहीं है रोजगार - Migration of laborers started

देशभर में कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होने के साथ ही बिहार में मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है. बेतिया से रोज सैकड़ों की संख्या में मजदूर परदेस जाने के लिए ट्रेन पकड़ रहे हैं. ईटीवी भारत को मजदूरों ने अपनी बेबसी बताई है. देखिए रिपोर्ट...

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Published : Sep 1, 2021, 4:18 PM IST

पश्चिम चंपारण (बेतिया): वैश्विक कोरोना महामारी (Corona Pandemic) और लॉकडाउन के दौरान बिहार सराकार (Bihar Government) ने आपदा को अवसर में बदलने का निर्णय लिया था. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) समेत बिहार के कई मंत्रियों ने प्रवासी मजदूरों को बड़े सपने दिखाए थे. उस दौरान लाखों की संख्या में मजदूर बिहार लौट रहे थे, तब सरकार ने दावा किया था कि मजदूरों को यहीं रोजगार मुहैया कराया जाएगा. लेकिन राज्य सरकार का यह दावा फेल साबित हो रहा है. राज्य से मजदूरों का पलायन लगातार जारी है.

यह भी पढ़ें - पलायन शब्द पर नीतीश के मंत्री को आपत्ति, कहा- 'लोग अपनी सुविधा के अनुसार तलाशते हैं काम'

कोरोना का संक्रमण कम होने के बाद बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं. क्योंकि कोरोना के सयम दूसरे परदेस से बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों (Migrant Laborers) को बिहार सरकार द्वारा रोजगार मिलने की उम्मीद पर पानी फिर गया. सरकार ने वादा तो किया, लेकिन जब रोजगार नहीं मिला तो वे फिर से इन्होंने परदेस का रुख कर लिया है. इन मजदूरों की मानें तो जब जालंधर, लुधियाना, हिमाचल सहित अन्य जगहों में जाकर मजदूरी करेंगे तभी परिवार का पेट भरेगा. सरकार इन मजदूरों के बारे में कोई उचित कदम नहीं उठा रही है. ताकि पलायन रुक सके और इन लोगों को अपने ही प्रदेश में रोजगार मिल सके.

देखें वीडियो

''बिहार में अगर रोजगार रहता तो हमें दूसरे राज्य में जाकर काम नहीं करना पड़ता. रोजगार के लिए कौन शौक से बाहर जाना चाहता है? बिहार में रोजगार नहीं है, इस कारण दूसरे प्रदेश में कमाने जाना हमारी मजबूरी है. अगर हमें अपने प्रदेश में ही रोजगार मिल जाता, तो हम दूसरे प्रदेशों में, दूसरे के खेतों में, दूसरे के कल कारखानों में काम करने नहीं जाते. कोरोना संक्रमण का डर तो है पर परिवार और अपना पेट भी पालना है." - मजदूर

बता दें कि कोरोना के पहले लहर के दौरान जब लॉकडाउन (Lockdown) हुआ था तब बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर घर लौटे थे. आंकड़ों के मुताबिक उनकी तादाद लगभग 40 लाख थी. कोरोना की दूसरी लहर आते-आते सरकार के दावों की पोल खुल गई. दूसरे लहर के दौरान फिर मजदूरों की वापसी हुई. कोरोना का संक्रमण धीमा पड़ते ही मजदूर फिर रोजगार के लिए पलायन करने लगे हैं. पलायन इनकी नियति बन चुकी है. क्योंकि बिहार में रोजगार नहीं है. कागजों पर रोजगार है. सरकार दावे करती है कि रोजगार देंगे. यहां से पलायन रुक जाएगा. लेकिन पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा.

हकीकत यह है कि सरकार जो तमाम दावे करती है वह दावे खोखले साबित हो रहे हैं. जब तक सरकार बिहार में रोजगार का अवसर उपलब्ध नहीं कराती तब तक बदस्तूर यह पलायन जारी रहेगा. क्योंकि यह गरीब मजदूर काम नहीं करेंगे तो इनका घर बार नहीं चलेगा. मजदूरों ने ईटीवी भारत से अपना दर्द बताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि बिहार सरकार (Bihar Government) की तरफ से रोजगार दिया जाएगा. लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो वे फिर से दूसरे राज्य और शहर जा रहे हैं.

यह भी पढ़ें - पटना एयरपोर्ट से राेजाना हजारों मजदूरों का पलायन, कहा- बिहार में नहीं है रोजगार

पश्चिम चंपारण (बेतिया): वैश्विक कोरोना महामारी (Corona Pandemic) और लॉकडाउन के दौरान बिहार सराकार (Bihar Government) ने आपदा को अवसर में बदलने का निर्णय लिया था. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) समेत बिहार के कई मंत्रियों ने प्रवासी मजदूरों को बड़े सपने दिखाए थे. उस दौरान लाखों की संख्या में मजदूर बिहार लौट रहे थे, तब सरकार ने दावा किया था कि मजदूरों को यहीं रोजगार मुहैया कराया जाएगा. लेकिन राज्य सरकार का यह दावा फेल साबित हो रहा है. राज्य से मजदूरों का पलायन लगातार जारी है.

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कोरोना का संक्रमण कम होने के बाद बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं. क्योंकि कोरोना के सयम दूसरे परदेस से बिहार लौटे प्रवासी मजदूरों (Migrant Laborers) को बिहार सरकार द्वारा रोजगार मिलने की उम्मीद पर पानी फिर गया. सरकार ने वादा तो किया, लेकिन जब रोजगार नहीं मिला तो वे फिर से इन्होंने परदेस का रुख कर लिया है. इन मजदूरों की मानें तो जब जालंधर, लुधियाना, हिमाचल सहित अन्य जगहों में जाकर मजदूरी करेंगे तभी परिवार का पेट भरेगा. सरकार इन मजदूरों के बारे में कोई उचित कदम नहीं उठा रही है. ताकि पलायन रुक सके और इन लोगों को अपने ही प्रदेश में रोजगार मिल सके.

देखें वीडियो

''बिहार में अगर रोजगार रहता तो हमें दूसरे राज्य में जाकर काम नहीं करना पड़ता. रोजगार के लिए कौन शौक से बाहर जाना चाहता है? बिहार में रोजगार नहीं है, इस कारण दूसरे प्रदेश में कमाने जाना हमारी मजबूरी है. अगर हमें अपने प्रदेश में ही रोजगार मिल जाता, तो हम दूसरे प्रदेशों में, दूसरे के खेतों में, दूसरे के कल कारखानों में काम करने नहीं जाते. कोरोना संक्रमण का डर तो है पर परिवार और अपना पेट भी पालना है." - मजदूर

बता दें कि कोरोना के पहले लहर के दौरान जब लॉकडाउन (Lockdown) हुआ था तब बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर घर लौटे थे. आंकड़ों के मुताबिक उनकी तादाद लगभग 40 लाख थी. कोरोना की दूसरी लहर आते-आते सरकार के दावों की पोल खुल गई. दूसरे लहर के दौरान फिर मजदूरों की वापसी हुई. कोरोना का संक्रमण धीमा पड़ते ही मजदूर फिर रोजगार के लिए पलायन करने लगे हैं. पलायन इनकी नियति बन चुकी है. क्योंकि बिहार में रोजगार नहीं है. कागजों पर रोजगार है. सरकार दावे करती है कि रोजगार देंगे. यहां से पलायन रुक जाएगा. लेकिन पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा.

हकीकत यह है कि सरकार जो तमाम दावे करती है वह दावे खोखले साबित हो रहे हैं. जब तक सरकार बिहार में रोजगार का अवसर उपलब्ध नहीं कराती तब तक बदस्तूर यह पलायन जारी रहेगा. क्योंकि यह गरीब मजदूर काम नहीं करेंगे तो इनका घर बार नहीं चलेगा. मजदूरों ने ईटीवी भारत से अपना दर्द बताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि बिहार सरकार (Bihar Government) की तरफ से रोजगार दिया जाएगा. लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो वे फिर से दूसरे राज्य और शहर जा रहे हैं.

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