बेतिया: बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बगहा के गजेंद्र यादव (Bagaha Gajendra yadav ) ने अपनी जिंदगी पेड़ों के नाम कर दी है. बगहा दो प्रखंड के नरवल बरवल पंचायत अंतर्गत पिपरा गांव के रहने वाले गजेंद्र यादव आज अपनी प्रतिज्ञा का बखूबी निर्वहन कर अविवाहित रहकर करीब आठ लाख पौधे लगा चुके हैं और अपना जीवन भी इन पेड़ों के लिए खपा रहे हैं.
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गजेंद्र ने ली अविवाहित रहने की भीष्म प्रतिज्ञा : गजेंद्र के लिए उनके द्वारा लगाए गए पौधे ही उनके लिए परिवार है. यही कारण है कि दशहरा, दीवाली, रक्षाबंधन जैसे त्योहार भी वे इन पेड़ों के साथ ही मनाते हैं. उन्होंने बताया कि वे अपने चार भाई बहनों में सबसे बड़े हैं. वे कहते है कि सभी भाइयों और बहनों की शादी हो गई है. अगर उनके पेड़ों की तनिक भी हानि पहुंचती है तो वे परेशान हो जाते हैं.
अविवाहित रहकर पेड़ों की सेवा करने की प्रतिज्ञा ली : अब तक आठ लाख पौधे लगा चुके गजेंद्र की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. गजेंद्र की जब शादी की उम्र होने लगी, उनके विवाह के भी प्रस्ताव आने लगे, लेकिन अपने धुन के पक्के गजेंद्र ने अविवाहित रहकर पेड़ों की सेवा करने की प्रतिज्ञा ली और इसी काम में रम गए. वे बताते हैं कि उस समय बगहा के बतौर पुलिस अधीक्षक आईपीएस अधिकारी विकास वैभव का आगमन हुआ. इसी दौरान वैभव से इनकी मुलाकात हुई.
यहां IPS विकास वैभव नाम का चौराहा : गजेन्द्र के निमंत्रण पर वे नरवल बरवल पंचायत के सेमरकोल तिरहुत नहर के किनारे आये जहां उस समय रात तो दूर की बात है दिन में चोरी, छिनतई, हत्या और दुष्कर्म होना आम बात थी. विकास वैभव ने उस समय यहां एक आम का एक पौधा लगा कर अमन और शांति का संदेश दिया. इसके बाद तो गजेंद्र के पौधे लगाने का सिलसिला तेज हो गया और इस कार्य में और आगे बढ़ चले. आज यहां विकास वैभव नाम का चौराहा है.
नीतीश कुमार और सुशील मोदी ने की सराहना : गजेंद्र बताते हैं कि सुबह उठने के बाद से रात सोने के पहले तक वे इन पेड़ों की सेवा में लगे रहते हैं. वृक्षारोपरण के प्रति समर्पण और पर्यावरण संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गजेन्द्र यादव के सराहनीय कार्य से प्रभावित होकर मुख्य मंत्री नीतीश कुमार एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने उन्हें पटना बुला कर सम्मानित किया.
2003 से अब तक 8 लाख पौधे लगा चुके गजेंद्र : गजेंद्र का दावा है कि वे इस कार्य में 2003 से लगे हैं और अब तक उन्होंने लगभग 8 लाख पौधे लगाए हैं. उनके द्वारा लगाए गए अधिकांश पौधों में बरगद, पीपल, पाकड़ और नीम शामिल हैं क्योंकि वे न केवल पक्षियों को अच्छे आश्रय देते हैं बल्कि बाढ़ के दौरान मिट्टी के कटाव को भी रोकते हैं. इसके अलावा इन पेड़ों की आयु लंबी है और मनुष्यों को पर्याप्त ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं.
इन पेड़ों की देखरेख के लिए 100 युवकों की टीम : गजेन्द्र यादव ने तटबंधों, नहरों, सड़कों और गांवों के बाहर स्कूल परिसर में पेड़ लगाने के लिए खाली जगह का उपयोग किया है, जिससे उन्हें व्यापक प्रशंसा भी मिली है. वे कहते हैं कि वे खुद पौधे को नर्सरी तैयार करते हैं और उन्हीं पौधों को लगाते हैं. उन्होंने बताया कि उन्होंने इसके लिए 100 युवकों की एक टीम भी तैयार की है, जो इन पेड़ों की देखरेख में लगे रहते हैं. उन्होंने कहा कि इस दौरान वे लकड़ी काटने वालों पर भी नजर रखते हैं. कुछ लकड़ी काटने वालों को पकड़ लिया जाता है, जिन्हे बाद में गलती मान लेने पर छोड़ भी दिया जाता है. जो नहीं मानते उनके खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई जाती है.
इलाके में गजेंद्र के काम की खूब हो रही तारीफ : यादव भविष्य की योजना के संबंध में कहते हैं कि जब तक उनका शरीर इस कार्य में साथ देगा, वह इस कार्य को करते रहेंगे. मेरा जीवन इन पेड़ों के लिए समर्पित है. इधर, नरवल बोरवल पंचायत की मुखिया सकीना खातून भी गजेंद्र के कार्यों की प्रशंसा करती हैं.