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यूक्रेन से लौटे वैशाली के मृत्युंजय माधवन, कहा- 'किस्मत से लौटे हैं.. एंबेसी से नहीं मिली मदद' - bihari students in ukraine

यूक्रेन से लौटे वैशाली के छात्र मृत्युंजय माधवन (Vaishali Student Mrityunjay Madhavan Return From Ukraine) ने वापस लौटकर कई बातों का खुलासा किया है. उन्होंने कहा कि हम सभी छात्र अपनी किस्मत से लौटे हैं. सरकार की तरफ से जितनी भी बातें कही जा रही हैं उसका पालन नहीं किया जा रहा. पढ़िए पूरी खबर..

Vaishali student returned from ukraine said about situation
Vaishali student returned from ukraine said about situation
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Published : Mar 5, 2022, 2:36 PM IST

वैशाली: रूस यूक्रेन जंग (Russia Ukraine war) में फंसे छात्रों को वापस देश लाने की कवायद तेज कर दी गई है. यूक्रेन से आए स्टूडेंट्स की आंखों के सामने आज भी तबाही का मंजर है. घर वालों को पाकर उन्हें नया जीवन मिला है. इसी क्रम में यूक्रेन से लौटे एक छात्र मृत्युंजय माधवन (Vaishali student returned from ukraine ) ने अपनी आपबीती बताई. मृत्युंजय ने बताया कि वह जहां वह पढ़ रहे थे वहां कुछ दूरी पर बमबारी हो रही थी. वहां से रोमानिया बॉर्डर तक पहुंचने में काफी परेशानी हुई.

पढ़ें- यूक्रेन से लौटे छात्रों का भविष्य अधर में, सरकार से अपील-मेडिकल कॉलेजों में समायोजित किया जाए

छात्र माधवन ने कहा कि किसी तरह से सभी छात्र रोमानिया बॉर्डर पहुंचे. रास्ते में काफी ठंड थी. बॉर्डर पर धक्का-मुक्की भी करनी पड़ी. बॉर्डर तक जाने के लिए तीन बस किए गए थे. जिसमें 150 बच्चे यूक्रेन के रोमानिया बॉर्डर के लिए निकले थे. जो डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी पर था. लेकिन बस वाले ने 20 किलोमीटर पहले ही उतार दिया. इसके बाद पैदल धक्का-मुक्की करते हुए आगे का सफर तय करना पड़ा. कहीं भी कोई सहायता नहीं मिली.रोमानिया एयरपोर्ट से हमें रिसीव कर दिल्ली लाया गया.

पढ़ें- यूक्रेन से पटना पहुंचे 48 छात्र, बोले- 'हमारे दोस्तों को भी जल्द वापस लाएं, वहां बुरे हैं हालात'

"वहां हालात काफी खराब थे. हमें बोला गया कि रात में या कल सुबह निकल जाओ. हमारे सीनियर्स ने इवानो से रोमानिया बॉर्डर के लिए बस किया. बॉर्डर पर पहुंचने पर देखा कि बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी. हमें लंबे समय तक लाइन में खड़े रहना पड़ा. रात को करीब 12 बजे हम सभी ने बॉर्डर क्रॉस किया. बॉर्डर से हम रोमानिया एयरपोर्ट पहुंचे जहां एंबेसी के लोग थे. लेकिन बॉर्डर पर कोई भी नहीं था. फिर फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे. सब कुछ हमें खुद ही करना पड़ रहा था. किस्मत ने साथ दिया इसलिए वापस आ सके. सरकार ने कहा था कि बॉर्डर में रिसीव करेंगे लेकिन वहां कोई नहीं था. सिर्फ टिकट कराने के लिए सभी अधिकारी एयरपोर्ट पर बैठे हुए थे."- मृत्युंजय माधवन, छात्र

यूक्रेन से लौटे वैशाली के मृत्युंजय माधवन

पढ़ें- यूक्रेन से लौट आए लेकिन लाखों के लोन का क्या? डॉक्टर बनने के लिए लग गया सबकुछ दांव पर

वहीं मृत्युंजय माधवन के पिता सुदेश्वर दास ने बताया कि हम लोगों को काफी चिंता थी. हम लोग डर से बच्चे से बात भी कम करते थे कि कहीं उनका नेट पैक खत्म हो जाएगा तो आगे और परेशानी होगी. उन्होंने यह भी कहा कि उनका बेटा तो आ गया है लेकिन अन्य बच्चों के लिए अभी भी चिंता बनी हुई है. सरकार के द्वारा किए जा रहे कामकाज पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि प्रचार प्रसार ज्यादा है. सतह पर काम कम हो रहा है. लेकिन भारत सरकार से उम्मीद है कि वह यूक्रेन में फंसे लोगों को वापस ले आएंगे.

पढ़ें- यूक्रेन में फंसे 8 छात्र पहुंचे पटना एयरपोर्ट, अपने बच्चों की वापसी से परिजन हुए भावुक

"हमलोगों की मनस्थिति बहुत खराब थी. पूरा परिवार चिंतित था. कैसा होगा लड़का यही सोचकर डर लगता था. कम बात होती थी. अब बेटा लौट आया है तो अच्छा लग रहा है. कई छात्र अब भी वहां फंसे हुए हैं. उनको भी वापस लाना चाहिए. मुझे लगता है कि प्रचार प्रसार ज्यादा हो रहा है. सतह पर काम नहीं हो रहा है. उम्मीद है कि सरकार सभी को वापस बुला लेगी."- सुंदरेश्वर दास,मृत्युंजय माधवन के पिता

पढ़ें- तिरंगे की ताकत: बोले बिहार लौटे तुषार- तिरंगा झंडा देख रूस-यूक्रेन की सेना ने दिया रास्ता

निशुल्क फ्लाइट टिकटः आपको बताएं कि बिहारवासियों के लिए बिहार सरकार द्वारा विशेष प्रबंधन के तहत दिल्ली तक पहुंचने वाले नागरिकों अथवा छात्रों को बिहार आने के लिए निशुल्क हवाई टिकट उपलब्ध करायी जा रही है. देर रात्रि दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने वालों को रात्रि विश्राम की व्यवस्था बिहार निवास में की जा रही है. पटना एयरपोर्ट पर पहुंचने के पश्चात आवश्यकतानुसार घर तक जाने हेतु वाहनों की भी व्यवस्था की जा रही है.

पढ़ें- यूक्रेन से पटना पहुंचे 22 बिहारी छात्र, एक छात्रा ने कहा- दहशत में गुजरे वो सात दिन

बता दें कि गुरुवार शाम तक यूक्रेन से 36 में 14 छात्रों को भारत सरकार के ऑपरेशन गंगा के द्वारा वतन वापसी कराई है. जो छात्र अब भी वहां फंसे हैं, उनसे जिला प्रशासन लगातार संपर्क कर रहा है. जिला कोषांग आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार भवन दिल्ली व विदेश मंत्रालय आपस में जानकारियां इकट्ठा कर छात्रों को वापस लाने की कोशिश में जुटा है.

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वैशाली: रूस यूक्रेन जंग (Russia Ukraine war) में फंसे छात्रों को वापस देश लाने की कवायद तेज कर दी गई है. यूक्रेन से आए स्टूडेंट्स की आंखों के सामने आज भी तबाही का मंजर है. घर वालों को पाकर उन्हें नया जीवन मिला है. इसी क्रम में यूक्रेन से लौटे एक छात्र मृत्युंजय माधवन (Vaishali student returned from ukraine ) ने अपनी आपबीती बताई. मृत्युंजय ने बताया कि वह जहां वह पढ़ रहे थे वहां कुछ दूरी पर बमबारी हो रही थी. वहां से रोमानिया बॉर्डर तक पहुंचने में काफी परेशानी हुई.

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छात्र माधवन ने कहा कि किसी तरह से सभी छात्र रोमानिया बॉर्डर पहुंचे. रास्ते में काफी ठंड थी. बॉर्डर पर धक्का-मुक्की भी करनी पड़ी. बॉर्डर तक जाने के लिए तीन बस किए गए थे. जिसमें 150 बच्चे यूक्रेन के रोमानिया बॉर्डर के लिए निकले थे. जो डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी पर था. लेकिन बस वाले ने 20 किलोमीटर पहले ही उतार दिया. इसके बाद पैदल धक्का-मुक्की करते हुए आगे का सफर तय करना पड़ा. कहीं भी कोई सहायता नहीं मिली.रोमानिया एयरपोर्ट से हमें रिसीव कर दिल्ली लाया गया.

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"वहां हालात काफी खराब थे. हमें बोला गया कि रात में या कल सुबह निकल जाओ. हमारे सीनियर्स ने इवानो से रोमानिया बॉर्डर के लिए बस किया. बॉर्डर पर पहुंचने पर देखा कि बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी. हमें लंबे समय तक लाइन में खड़े रहना पड़ा. रात को करीब 12 बजे हम सभी ने बॉर्डर क्रॉस किया. बॉर्डर से हम रोमानिया एयरपोर्ट पहुंचे जहां एंबेसी के लोग थे. लेकिन बॉर्डर पर कोई भी नहीं था. फिर फ्लाइट से दिल्ली पहुंचे. सब कुछ हमें खुद ही करना पड़ रहा था. किस्मत ने साथ दिया इसलिए वापस आ सके. सरकार ने कहा था कि बॉर्डर में रिसीव करेंगे लेकिन वहां कोई नहीं था. सिर्फ टिकट कराने के लिए सभी अधिकारी एयरपोर्ट पर बैठे हुए थे."- मृत्युंजय माधवन, छात्र

यूक्रेन से लौटे वैशाली के मृत्युंजय माधवन

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वहीं मृत्युंजय माधवन के पिता सुदेश्वर दास ने बताया कि हम लोगों को काफी चिंता थी. हम लोग डर से बच्चे से बात भी कम करते थे कि कहीं उनका नेट पैक खत्म हो जाएगा तो आगे और परेशानी होगी. उन्होंने यह भी कहा कि उनका बेटा तो आ गया है लेकिन अन्य बच्चों के लिए अभी भी चिंता बनी हुई है. सरकार के द्वारा किए जा रहे कामकाज पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि प्रचार प्रसार ज्यादा है. सतह पर काम कम हो रहा है. लेकिन भारत सरकार से उम्मीद है कि वह यूक्रेन में फंसे लोगों को वापस ले आएंगे.

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"हमलोगों की मनस्थिति बहुत खराब थी. पूरा परिवार चिंतित था. कैसा होगा लड़का यही सोचकर डर लगता था. कम बात होती थी. अब बेटा लौट आया है तो अच्छा लग रहा है. कई छात्र अब भी वहां फंसे हुए हैं. उनको भी वापस लाना चाहिए. मुझे लगता है कि प्रचार प्रसार ज्यादा हो रहा है. सतह पर काम नहीं हो रहा है. उम्मीद है कि सरकार सभी को वापस बुला लेगी."- सुंदरेश्वर दास,मृत्युंजय माधवन के पिता

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निशुल्क फ्लाइट टिकटः आपको बताएं कि बिहारवासियों के लिए बिहार सरकार द्वारा विशेष प्रबंधन के तहत दिल्ली तक पहुंचने वाले नागरिकों अथवा छात्रों को बिहार आने के लिए निशुल्क हवाई टिकट उपलब्ध करायी जा रही है. देर रात्रि दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचने वालों को रात्रि विश्राम की व्यवस्था बिहार निवास में की जा रही है. पटना एयरपोर्ट पर पहुंचने के पश्चात आवश्यकतानुसार घर तक जाने हेतु वाहनों की भी व्यवस्था की जा रही है.

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बता दें कि गुरुवार शाम तक यूक्रेन से 36 में 14 छात्रों को भारत सरकार के ऑपरेशन गंगा के द्वारा वतन वापसी कराई है. जो छात्र अब भी वहां फंसे हैं, उनसे जिला प्रशासन लगातार संपर्क कर रहा है. जिला कोषांग आपदा प्रबंधन विभाग, बिहार भवन दिल्ली व विदेश मंत्रालय आपस में जानकारियां इकट्ठा कर छात्रों को वापस लाने की कोशिश में जुटा है.

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