वैशाली: चिराग पासवान (MP Chirag Paswan) के तेज होते हमले पर आखिरकार तीन दिन बाद चाचा पशुपति पारस ने चुप्पी तोड़ी है. बता दें कि चिराग अक्सर बंगला खाली कराने के विवाद को लेकर राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों और खासकर अपने चाचा केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Union Minister Pashupati Paras) के खिलाफ पहले की तुलना में ज्यादा आक्रामक हो गये हैं. पशुपति पारस पर चिराग पासवान लगातार तीखे हमले कर रहे हैं. चिराग पासवान पिछले तीन दिनों से लगातार पशुपति पारस को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं. कई तरह के आरोप लगा रहे हैं. लेकिन ईटीवी भारत से 6 मिनट की बातचीत में पशुपति पारस ने चिराग के एक एक आरोपों का जवाब दिया है.
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चाचा-भतीजे का रिश्ता खत्म: अब पशुपति पारस ने भी चिराग पासवान पर पलटवार किया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि 16 अक्टूबर को मैंने कह दिया था वह ना तो मेरा भतीजा है ना ही मैं तुम्हारा चाचा हूं. इसलिए कि तुमने अपने घर बुलाकर मुझको कह दिया था कि आपके खून में और मेरे खून में फर्क है. उसने अकेले में यह नहीं बोला था, तब उसकी मां भी बैठी हुई थी. सांसद प्रिंस राज बैठे हुए थे. मेरा बेटा बैठा हुआ था. उन सबके सामने उसने कहा था आपके खून में और मेरे खून में फर्क है. तब मैंने कहा था कि खबरदार, आज के बाद चाचा-भतीजे का रिश्ता खत्म.
गठबंधन में होते तो खाली नहीं होता बंगला: पशुपति पारस इतने पर ही नहीं रुके. उन्होंने चिराग पासवान पर कई गंभीर आरोप भी लगाये. उन्होंने कहा की पार्टी टूटने से ज्यादा परिवार टूटने का दुख है. 12 जनपद खाली करवाने का आरोप मुझ पर लगा रहे हैं लेकिन वह गठबंधन में होता तो 12 जनपद कभी खाली नहीं होता. मेरी पार्टी के तमाम लोग कह रहे थे गठबंधन से चुनाव लड़ें लेकिन उसने कहा नीतीश कुमार को जेल भेजेंगे. अब नीतीश कुमार जेल गए या चिराग पासवान कहां चल गए हैं यह देखा जा सकता है.
चिराग ने खो दिया मौका: केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने आगे कहा कि अगर हम गठबंधन में चुनाव लड़ते तो निश्चित रूप से 12 जनपद का बंगाल खाली नहीं होता. हमारी पार्टी से भारत सरकार में मंत्री होते. भाभी जी राज्यसभा जातीं. बिहार में कई एमएलए होते. उसने यह पूरा मौका खो दिया. आज 3 दिन से हमारे ऊपर आरोप लगा रहे हैं. कह रहे हैं कि हमारे चाचा पासवान जी को भगवान मानते थे. वह भारत सरकार के मंत्री बन गए और साजिश रच रहे हैं लेकिन मकान खाली करने का हाईकोर्ट का आदेश 6 महीने से था.
फोटो फेंककर पॉलिटिकल माइलेज लेने का प्रयास: पशुपति पारस ने आरोप लगाया कि 12 जनपद खाली करने के दौरान चिराग पासवान ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर, पीएम नरेंद्र मोदी और रामविलास पासवान की फोटो को फेंककर पॉलिटिकल माइलेज लेने का प्रयास किया है. सारे बहुमूल्य सामान मां-बेटे पहले ही ले जा चुके थे. वहीं, उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि हाजीपुर से चुनाव उनके खिलाफ कोई तो लड़ेगा ही. चिराग पासवान ही लड़ें. जनता मालिक है.
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धोता था जूठे बर्तन: उन्होंने आगे कहा कि कभी भी चिराग पासवान और उनकी मां ने राम विलास पासवान का पैर नहीं दबाया लेकिन मैं रोज उनका पैर दबाता था. खाना खिलाता था. जूठे बर्तन धोता था. आज भी उनकी तस्वीर की पूजा किए बगैर मैं खाना नहीं खाता हूँ. हाजीपुर स्थित घर के बारे में पशुपति पारस ने कहा कि वह घर रामविलास पासवान ने खरीदा था जिसे मैंने बनवाया. विवाद हुआ तो चाबी चिराग को दे दिया. पशुपति पारस ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राष्ट्रपति बनने की अटकलों से संबंधित सवाल के जवाब में कहा कि यह सब अफवाह है. अगर किसी को अच्छा खाना मिल रहा है तो वह नमक रोटी क्यों खाएगा.
वायरल ऑडियो पर बोले थे चिराग: जमुई में पत्रकारों से बातचीत करते हुए चिराग पासवान ने कहा था कि मेरी जिनसें बात हो रही थी, मैनें उनको बोला कि हमलोगों को इस बात को ध्यान में रखने की जरूरत है कि जब आज की तारीख में दलित, महादलित और अनुसूचित जाति के जुड़े महापुरुषों का अपमान हो रहा है तो इस बात को हमलोगों को ध्यान में रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से महापुरुषों की तस्वीरों के साथ सलूक किया गया, वह यकीनन हमें दुख पहुंचाता है. मैं फोन पर यही बोल रहा था कि जो केंद्र सरकार में मंत्री हैं, वो हाजीपुर के सांसद भी हैं. मैं अपने चाचा पशुपति पारस की बात कर रहा हूं. मेरे पिताजी की तस्वीरों को रौंदा गया लेकिन उन्होंने एक बार भी विरोध नहीं किया. इसे हमारे समाज के लोगों को याद रखना होगा.
पद के लोभ में चाचा चुप: इस वायरल ऑडियो में आगे चिराग कहते हैं कि इससे अच्छे तो तेजस्वी यादव हैं, जिन्होंने प्रतिक्रिया दी, ट्वीट किया, मैसेज और फोन भी किया. इसलिए अपमान के समय में ऐसे व्यक्ति को देखना चाहिए, जिन लोगों ने साहब (रामविलास पासवान) को धोखा दिया. उन्होंने कहा कि रामविलास पासवान का आवास खाली कराने की केन्द्र सरकार के रवैया को लेकर जेडीयू और बीजेपी के कई लोगों ने मुझको फोन करके कहा कि यह तरीका सही नहीं है लेकिन मंत्री पद के लालच में उनके चाचा पशुपति पारस चुप हैं. मंत्री बनने का लालच मेरे पिता या मेरे परिवार में भी किसी को नहीं है.
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