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गंगा घाटों पर अंधविश्वास की होड़, अघोड़ी और ओझा के पास झाड़-फूंक कराते दिखे लोग

मनेर के हल्दी छपरा स्थित संगम घाट में भी हजारों की संख्या में भक्त स्नान के लिए पहुंचे. यहां अघोड़ी बाबा भूत भगाने के नाम पर महिलाओं को नाच नचाते दिखे. हाजीपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन ऐसा ही नजारा देखने को मिलता है.

अंधविश्वास की आस्था
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Published : Nov 12, 2019, 7:18 PM IST

पटना/वैशाली: कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा घाटों में आस्था और अंधविश्वास का संगम देखने को मिला. मंगलवार को लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया और पूजा-अर्चना की. इस दौरान आस्था के नाम पर अधंविश्वास का खेल भी खूब दिखा. लोग ओझा और अघोड़ियों के पास इकट्ठा होकर शारीरिक और मानसिक तकलीफ दूर कराते दिखे.

मनेर घाट का कुछ यूं रहा नजारा
मनेर के हल्दी छपरा स्थित संगम घाट में भी हजारों की संख्या में भक्त स्नान के लिए पहुंचे. यहां अघोड़ी बाबा भूत भगाने के नाम पर महिलाओं को नाच नचाते दिखे. वहीं, पुरुषों के गले में रस्सी बांधकर उन्हें गंगा में स्नान कराया गया. कुछ बाबाओं ने पतली छड़ी से भक्तों को पीटा. वहां मौजूद अघोड़ी का कहना था कि ऐसा करके वह भक्त को भगवान से मिलवाते हैं और उनकी तकलीफ दूर करते हैं.

patna
अंधविश्वास की आस्था

वैशाली में हर साल होता है यही हाल
वहीं, हाजीपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन यही हाल रहता है. लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के बाद ओझा-अघोड़ियों की झुंड में शामिल हो जाते हैं. शारीरिक और मानसिक इलाज के नाम पर घाटों में मौजूद अघोड़ी भक्तों को मारते-पीटते हैं. वहीं, भक्त भी इन बाबाओं के इशारों पर काम करते नजर आते हैं.

मनेर घाट का हाल

बता दें कि इस अंधविश्वास की शिकार केवल महिलाएं ही नहीं हैं. भारी संख्या में पुरुष भी इसमें विश्वास करते हैं. अंधविश्वास का यह खेल घंटों यूं ही घाट पर चलता रहता है और पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बनकर यह नजारा देखते हैं.

वैशाली में दिखा ऐसा नजारा

नोट- ईटीवी भारत किसी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है. हम किसी की आस्था या धर्म को ठेस पहुंचाने का कोई उद्देश्य नहीं रखते. उक्त खबर, जागरूकता मात्र प्रेषित की गई है.

पटना/वैशाली: कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा घाटों में आस्था और अंधविश्वास का संगम देखने को मिला. मंगलवार को लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया और पूजा-अर्चना की. इस दौरान आस्था के नाम पर अधंविश्वास का खेल भी खूब दिखा. लोग ओझा और अघोड़ियों के पास इकट्ठा होकर शारीरिक और मानसिक तकलीफ दूर कराते दिखे.

मनेर घाट का कुछ यूं रहा नजारा
मनेर के हल्दी छपरा स्थित संगम घाट में भी हजारों की संख्या में भक्त स्नान के लिए पहुंचे. यहां अघोड़ी बाबा भूत भगाने के नाम पर महिलाओं को नाच नचाते दिखे. वहीं, पुरुषों के गले में रस्सी बांधकर उन्हें गंगा में स्नान कराया गया. कुछ बाबाओं ने पतली छड़ी से भक्तों को पीटा. वहां मौजूद अघोड़ी का कहना था कि ऐसा करके वह भक्त को भगवान से मिलवाते हैं और उनकी तकलीफ दूर करते हैं.

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अंधविश्वास की आस्था

वैशाली में हर साल होता है यही हाल
वहीं, हाजीपुर में हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन यही हाल रहता है. लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करने के बाद ओझा-अघोड़ियों की झुंड में शामिल हो जाते हैं. शारीरिक और मानसिक इलाज के नाम पर घाटों में मौजूद अघोड़ी भक्तों को मारते-पीटते हैं. वहीं, भक्त भी इन बाबाओं के इशारों पर काम करते नजर आते हैं.

मनेर घाट का हाल

बता दें कि इस अंधविश्वास की शिकार केवल महिलाएं ही नहीं हैं. भारी संख्या में पुरुष भी इसमें विश्वास करते हैं. अंधविश्वास का यह खेल घंटों यूं ही घाट पर चलता रहता है और पुलिस-प्रशासन मूकदर्शक बनकर यह नजारा देखते हैं.

वैशाली में दिखा ऐसा नजारा

नोट- ईटीवी भारत किसी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देता है. हम किसी की आस्था या धर्म को ठेस पहुंचाने का कोई उद्देश्य नहीं रखते. उक्त खबर, जागरूकता मात्र प्रेषित की गई है.

Intro:आस्था और अंधविश्वास पर काफी सालों से चर्चा होती आ रही है और आज भी चर्चा हो रही है पर कुछ लोग आस्था से ज्यादा अंधविश्वास पे भरोसा करते है वो भी तब जब आज की विकसित दुनिया में विज्ञान इतनी तरक्की कर रहा है। कुछ ऐसे पाखण्डी भगत यानी पुजारी होते है जो गांव के भोंले भाले लोगो को भगवान के नाम पर छलते है और उनसे पूजा का ढोंग कर हजारों रुपये ठग लेते है ऐसा देखने की मिलता है कार्तिक पूर्णिमा में। Body:ये नजारा है मनेर के हल्दी छपरा स्थित संगम घाट जा जहां कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा स्नान करने हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। इन श्रद्धालुओं को ठगने इस संगम घाट पर पहले से भगत मौजूद रहते है जो पहले से ऐसे लोगो पर घात लगाए रहते है जो दुखी मन से मां गंगा की पूजा कर रहे होते है। विसुअल में आप देख सकते है कि कैसे ओझा भगत महिलाओं को पूजा के नाम पर ठग रहा है। भूत भगाने के नाम पर महिलाओं को नचाया जा रहा है तो पुरुषो के गले मे रस्सा बांध कर डुबकी लगवाया जा रहा है। कुछ महिलाओं की तो छड़ी से पिटाई की जाती है। इस ओझा को देखिए कैसे चुनरी ओढ़ कर खुद के सर को जोर जोर से हिला रहा है मानो इसकी भगवान से मुलाकात हो गई हो। इन्ही सब पाखण्ड के जरिये ये ओझा भगत मासूम लोगो को ठगते है।Conclusion:जब इन ओझाओं से इस तरह की पूजा के बारे में पूछा गया तो कहते है कि वो तो बस भक्तों को भगवान से मिलवा रहे है उनमें शक्ति का संचार करा रहे है और इसके लिए कार्तिक पूर्णिमा काफी अच्छा दिन होता है। बहरहाल हर कार्तिक पूर्णिमा पर मनेर के हल्दी छपरा घाट पर यही नजारा रहता है जहां आस्था के नाम पर अंधविश्वास को बढ़ावा दिया जाता है और बुद्धिजीवी लोग मूक दर्शक बन बस तमाशा देखते रहते है।
बाईट - ओझा
बाईट - सालिग्राम भगत - ओझा
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