वैशालीः बिजली के हाइ टेंशन तार में अर्थिंग के कारण घर में लगी आग से अपने चार भाई बहनों और मां की जान बचाकर वैशाली की एक युवती खुद मौत (Girl Died Due To Fire In Vaishal) की आगोश में समा गई. नूतन नाम की इस युवती की 2 दिन बाद ही शादी होने वाली थी, हल्दी का रस्म भी पूरी हो चुकी थी. लेकिन आग के शोलों में इस परिवार का सब कुछ तहस-नहस हो गया. अगलगी की ये दर्दनाक घटना वैशाली (fire in Manora Village vaishali) जिले के पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के मनोरा गांव की है.
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बताया जाता है कि अचानक आए आंधी-तूफान के कारण हाई टेंशन तार के टकराने से निकली चिंगारी एक झोपड़ी पर जा गिरी. देखते ही देखते आस पास के दर्जनों घर इसकी चपेट में आ गए. इसके बाद पूरा मांझी टोला धू-धूकर जलने लगा. लोग घर से निकलकर भागने लगे, पूरा इलाके में अफरा-तफरी मच गई. कोई घर से अपना सामान निकाल रहा था, तो कोई अपने घर के बच्चों और परिजनों को बाहर निकालने में जुटा था.
इसी क्रम में मांझी टोला में रहने वाले शंकर मांझी की 15 वर्षीय बेटी नूतन जिसकी शादी आज 5 फरवरी को होने वाली थी, वो अपने चार छोटे-छोटे भाई बहनों को जलते घर से निकालने में जुटी थी. किसी तरह उसने अपने मां समेत चारों भाई बहनों को आग से बचाकर बाहर निकाला. लेकिन खुद को नहीं बचा सकी. बुरी तरह जलने के कारण घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई.
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'हमारे 4 बच्चों और मुझे उठाकर वह बाहर निकाल चुकी थी. फिर दोबारा वह अंदर गई थी, लेकिन फिर आग में घिर जाने के कारण बाहर नहीं निकल सकी. उसकी शादी होने वाली थी. शादी की तमाम तैयारियां पूरी हो गई थी. गहना बर्तन वगैरह सब कुछ तैयार था. मेरे पति शंकर मांझी हरियाणा में रहकर काम करते हैं'- शीला देवी, नूतन की मां
वहीं, घटना की जानकारी मिलते ही बेलसर ओपी पुलिस और दमकल की गाड़ी ने मौके पहुंच कर घंटों मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया. लेकिन तब तक दर्जनों घर जल कर राख हो गए थे. इस घटना में नूतन के सपने भी उसके साथ जलकर स्वाहा हो गए. वहीं, राहत की बात यह रही कि आग लगने के दौरान बारिश भी आ गई. जिससे आग बुझाने में थोड़ी मदद मिल सकी.
बताया जाता है कि इस अगलगी में लगभग दो दर्जन घर जलकर खाक हो गए. लाखों की संपत्ति नष्ट हो गई और 100 से अधिक लोगों का आशियाना उजड़ गया. पुलिस ने भी काफी लोगों की मौके पर मदद की. वहीं, अब इस कड़ाके की ठंड और बारिश में इन लोगों का कोई ठिकाना नहीं बचा. किसी तरह पीड़ित लोग आसपास के इलाकों में सिर छुपाने को मजबूर हैं. साथ ही आपदा राहत के इंतजार में हैं कि शायद कोई जनप्रतिनिधि या पदाधिकारी पहुंचकर उनकी मदद करे.
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