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लोगों की राय: सोनपुर मेले में नहीं रही पहले जैसी रौनक, व्यापारियों की घटी कमाई - मेला परिसर

सोनपुर मेले में कई बार सरकारी प्रतिबंध के कारण कई जीव-जंतु गायब हैं. कई तरह के बाजार इस बार नहीं सज सका जिसके कारण प्राइवेट जमीन पर भी इस बार कम ही दुकानें सजी है.

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सोनपुर मेला
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Published : Nov 27, 2019, 11:51 PM IST

सोनपुर: विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले की रौनक इस बार थोड़ी फीकी पड़ गई है. एक महीने तक चलने वाले इस मेले में स्थानीय लोगों से लेकर कश्मीर से व्यापार करने आये ऊलेन व्यापारी में निराशा है. जहां पहले प्राइवेट जमीन मालिकों को एक महीने में लाखों की कमाई होती थी. वहीं, इस साल आशानुरुप नहीं हो पा रही है.

बता दें कि सोनपुर में प्राइवेट जमीन पर भारी संख्या में लोगों को रोजगार भी मुहैया होता है. स्थानीय निवासी सतेंद्र पिछले दस वर्षों से पार्किंग का बाजार चलाते हैं. उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि इस बार पार्किंग स्थल को किराये पर लेने के लिए 20 हजार देना पड़ा. लेकिन हालात देखकर लगता है कि आधा पैसा भी निकल नहीं सका.

सतेंद्र के मुताबिक नया मोटर नियम बनने से बहुत कम लोग बाइक, वाहन लेकर मेला में आ रहे हैं. जिसका असर उनके व्यवसाय पर पड़ा है. वहीं, जीव-जंतुओं और खतरनाक मनोरंजन के खेल पर पाबंदी लगाने के बाद बहुत सारे जमीन खाली पड़े हैं.

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कश्मीरी ऊलेन व्यापारी असलम खान

कश्मीरी ऊलेन व्यापार पर बुरा असर
कश्मीरी ऊलेन व्यापारी असलम खान ने ईटीवी भारत को बताया कि वो पिछले 40 सालों से इस मेले में आ रहे हैं. लेकिन ऐसा हाल कभी नहीं रहा. इस साल का बाजार बहुत फीका है. ऊलेन की दुकान में लोग कम आ रहे हैं. इसके पीछे का कारण क्षेत्रीय बाजार, बड़े-बड़े मॉल के खुलने से यहां के मेले में ब्रांडेड कंपनी, दुकानें सीमित हो गयी.

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सतेंद्र, पार्किंग व्यवसायी

सरकारी प्रतिबंध से कई जीव-जंतु मेले से गायब
वहीं, नये कानून बनने से हाथी बाजार, चिड़िया बाजार में दर्जनों प्रकार की दुर्लभ प्रजाति की पंछियों की खरीद बिक्री पर पाबंदी लग गई. इस बार तलवार बाजार, मौत का कुआं पर भी प्रतिबंध लगा है. यहां मेला परिसर में सरकारी जमीन के अलावे प्राइवेट जमीन पर भी सैंकडों की छोटी-बड़ी दुकानें है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

कमाई पर पड़ा असर
यहां चार थियेटर, आधा दर्जन झूला, मीना बाजार, लकड़ी बाजार, चिड़िया बाजार में रसोई, कॉस्मैटिक, ड्राइंग रूम की साज-सजावट की वस्तुएं, फुटपाथी दुकानें सजी हैं. इससे क्षेत्र के दर्जनों प्राइवेट जमीन मालिकों को पहले लाखों की कमाई होती थी. लेकिन इस साल ऐसा नहीं दिख रहा है.

सोनपुर: विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेले की रौनक इस बार थोड़ी फीकी पड़ गई है. एक महीने तक चलने वाले इस मेले में स्थानीय लोगों से लेकर कश्मीर से व्यापार करने आये ऊलेन व्यापारी में निराशा है. जहां पहले प्राइवेट जमीन मालिकों को एक महीने में लाखों की कमाई होती थी. वहीं, इस साल आशानुरुप नहीं हो पा रही है.

बता दें कि सोनपुर में प्राइवेट जमीन पर भारी संख्या में लोगों को रोजगार भी मुहैया होता है. स्थानीय निवासी सतेंद्र पिछले दस वर्षों से पार्किंग का बाजार चलाते हैं. उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि इस बार पार्किंग स्थल को किराये पर लेने के लिए 20 हजार देना पड़ा. लेकिन हालात देखकर लगता है कि आधा पैसा भी निकल नहीं सका.

सतेंद्र के मुताबिक नया मोटर नियम बनने से बहुत कम लोग बाइक, वाहन लेकर मेला में आ रहे हैं. जिसका असर उनके व्यवसाय पर पड़ा है. वहीं, जीव-जंतुओं और खतरनाक मनोरंजन के खेल पर पाबंदी लगाने के बाद बहुत सारे जमीन खाली पड़े हैं.

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कश्मीरी ऊलेन व्यापारी असलम खान

कश्मीरी ऊलेन व्यापार पर बुरा असर
कश्मीरी ऊलेन व्यापारी असलम खान ने ईटीवी भारत को बताया कि वो पिछले 40 सालों से इस मेले में आ रहे हैं. लेकिन ऐसा हाल कभी नहीं रहा. इस साल का बाजार बहुत फीका है. ऊलेन की दुकान में लोग कम आ रहे हैं. इसके पीछे का कारण क्षेत्रीय बाजार, बड़े-बड़े मॉल के खुलने से यहां के मेले में ब्रांडेड कंपनी, दुकानें सीमित हो गयी.

sonpur
सतेंद्र, पार्किंग व्यवसायी

सरकारी प्रतिबंध से कई जीव-जंतु मेले से गायब
वहीं, नये कानून बनने से हाथी बाजार, चिड़िया बाजार में दर्जनों प्रकार की दुर्लभ प्रजाति की पंछियों की खरीद बिक्री पर पाबंदी लग गई. इस बार तलवार बाजार, मौत का कुआं पर भी प्रतिबंध लगा है. यहां मेला परिसर में सरकारी जमीन के अलावे प्राइवेट जमीन पर भी सैंकडों की छोटी-बड़ी दुकानें है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

कमाई पर पड़ा असर
यहां चार थियेटर, आधा दर्जन झूला, मीना बाजार, लकड़ी बाजार, चिड़िया बाजार में रसोई, कॉस्मैटिक, ड्राइंग रूम की साज-सजावट की वस्तुएं, फुटपाथी दुकानें सजी हैं. इससे क्षेत्र के दर्जनों प्राइवेट जमीन मालिकों को पहले लाखों की कमाई होती थी. लेकिन इस साल ऐसा नहीं दिख रहा है.

Intro:लोकेशन: वैशाली ।
रिपोर्टर: राजीव कुमार श्रीवास्तवा ।

: एक महीनें तक चलने वाला सोंनपुर का विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला में प्राइवेट जमीन मालिकों को इस बार आशानुरूप कमाई नहीं हुआ हैं ।मालूम हो कि पहले इन्हें एक महीनें की इस मेला से लाखों की कमाई हुआ करती थी ।इससे उनके सपरिवार पूरे वर्ष तक बैठकर खाते-पीते थे ।


Body:: सोंनपुर के विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र मेला पूरे एक महीना तक चलता हैं।यहां मेले परिसर में सरकारी जमीन के अलावे प्राइवेट जमीन पर भी सैकडों की छोटी- बड़ी दुकानों से लेकर, यहां चार थियेटर, आधा दर्जन हरेक रेंज में झूला, मीना बाजार, लकड़ी बाजार, चिड़िया बाजार में रसौई , कॉस्मैटिक, ड्राइंग रूम की साज- सजावट की वस्तुएं, फुटपाथी दुकानें सजी हुई हैं। इससे क्षेत्र के दर्जनों प्राइवेट जमीन के मालिकों को पहले लाखों की कमाई हो जाती थी । इससे पूरे वर्ष तक उनका घर का खर्चा आसानी से निकल जाता था।

इस बार बाजार मंदा चल रहा हैं। इससे जमीन मालिकों को आशानुरूप कमाई नहीं हो पा रहीं हैं। Etv भारत द्वारा इस बाबत पड़ताल किये जानें पर पता चला कि मेला में प्राइवेट जमीन पर लगाये सैकड़ों की संख्या में छोटी- बड़ी दुकानें मेले के 18 वां दिन सपने लगाये गये पूंजी पर चिंता व्यक्त किया ।

सोंनपुर के प्रसिद्ध मेला स्थल के प्राइवेट जमीन पर सैकड़ों की संख्या में लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया हैं। यहां सतेंद्र ने पिछले दस वर्षी से पार्किंग का बाजार चलाता हैं ।इस बार उसे पार्किंग स्थल जमीन के किराया के लिये उसे जमीन मालिक को 20 हजार दिया हैं। मालूम हो उससे जब यह पूछा गया कि पार्किंग का बाजार कैसा हैं ..? तो उसने बताया कि मेला के 18 वां दिन आधा पैसा भी निकल नही सका ।उसने आगें कहा कि मोटर नियम बनने से बहुत कम लोग बाइक, वाहन लेकर मेला में आ रहें हैं। साथ ही हाथी, चिड़िया बाजार, तलवार बाजार, सर्कस पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जानें से उसके पेशा पर बुरा असर पड़ा हैं।

उधर एक बुजुर्ग असलम खान कश्मीरी व्यापारी ने भी लगभग यही दलील दी ।कहा कि इस बार मेरा बाजार फीका हैं।

बदलते परिवेश और देश के सभी राज्यों में क्षेत्रीय बाजार, मेला, बड़े - बड़े मॉल के खुलने से यहा के मेले में ब्रांडेड कंपनी, दुकानें सीमित हो गयीं ।साथ ही नये - नये कानून बनने से सरकार द्वारा हाथी बाजार, चिड़िया बाजार में दर्जनों प्रकार की दुर्लभ प्रजाति की पंछियों की खरीद बिक्री पर पावंदी लगाने पर मजबूर हो ग़यी ।इस बार यहा तलवार बाजार,डेंजर जॉन वाली खेल मौत की कुआं, पर भी प्रशासन प्रतिबंध लगाया हैं।



बुद्धवार को विश्व प्रसिद्ध सोंनपुर मेला के आगाज का 18 वां दिन था ।सोंनपुर का यह प्रसिद्ध मेला सदियों से चला आ रहा हैं। कभी यहा देश - विदेश से भी हजारों की संख्या में छोटे- बड़े व्यापारी यहा आकर कई तरह का बाजार की खरीद- बिक्री करते थे । तब यहां कम्युनिकेशन भी मजबूत नहीं था ।फिर भी यहा पूरे महीनें भाड़ी भीड़ हुआ करती थी ।बैल गाड़ी रेस, हाथी रेस, टमटम रेस जैसे प्रतियोगिता सरकार द्वारा कराया जाता था ।संध्या में यहा ऑर्केस्ट्रा से लेकर अनेकों प्रकार का मनोरंजन की सुविधाएं थी ।इससे लोगों का भरपूर मनोरंजन हुआ करता था ।


Conclusion:बहरहाल, सरकार एवं उनके सरकारी तंत्र मंच के माध्यम से लोगों से यह अपील करते दिखते हैं कि सोंनपुर के प्रसिद्ध मेला को पहले जैसे स्थिति में लाने की कोशिश की जा रहीं हैं। पर सिनारिओ (तस्वीर) को देखकर ऐसा नहीं लगता हैं।

स्टोरी : विजुअल

ओपन: PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
विज़ुअल्स
01:बाइट : सतेंद्र
पार्किंग स्थल कारोबारी ।
02: बाइट: असलम खान कश्मीरी ऊलेंन व्यापारी ।

02: मिडिल PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली ।
बाइट: DO
बाइट: DO
CLOSE PTC संवाददाता, राजीव, वैशाली ।

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