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मिलिए सुपौल की शिक्षिका स्मिता ठाकुर से... पढ़ाई के अनोखे अंदाज ने कर दिया फेमस

बिहार की एक शिक्षिका की पढ़ाई कराने का अंदाज बच्चों के साथ ही अभिभावकों को भी खूब भा रहा है. पिपरा प्रखंड के मध्य विद्यालय सखुआ की शिक्षिका स्मिता ठाकुर (Supaul Teacher Smita Thakur) हर दिन नए नए प्रयोग कर बच्चों को खेल खेल में पढ़ातीं हैं. संसाधनों की कमी के बावजूद बच्चों को भी पढ़ने में बहुत आनंद आ रहा है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

Supaul Teacher Smita Thakur
Supaul Teacher Smita Thakur
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Published : Dec 24, 2021, 5:52 PM IST

Updated : Dec 24, 2021, 9:01 PM IST

सुपौल: सुपौल की शिक्षिका स्मिता ठाकुर ने साबित कर दिया है कि, अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है. स्मिता ने सीमित संसाधन में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करके दिखा दिया है. पिपरा प्रखंड के मध्य विद्यालय सखुआ (Teacher Of Middle School Sakhua) की शिक्षिका स्मिता ठाकुर खेल-खेल (Supaul Me Khel Khel Me Padhai) में बच्चों का मानसिक और बौद्धिक विकास कर रही हैं. सुपौल की शिक्षिका का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसे काफी लोगों ने पसंद किया.

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वीडियो वायरल होने के बाद ईटीवी भारत इसकी पड़ताल करने पहुंचा सखुआ मध्य विद्यालय. जहां देखा गया कि, सभी बच्चे ड्रेस कोड का पालन करते हुए स्कूल पहुंचे थे. प्रार्थना के बाद सभी बच्चे अपनी-अपनी क्लास में चले गये. वहीं विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका स्मिता सहित अन्य शिक्षक बच्चों को नवाचार के माध्यम से पाठ‍्यक्रम की पढ़ाई कराने में जुट गये.

सुपौल में खेल खेल में पढ़ाई

पढ़ाने का अनोखा अंदाज: शिक्षिका स्मिता ठाकुर बच्चों को खेल खेल में शिक्षा ( Unique teaching method of supaul teacher ) देने के लिए प्रसिद्ध हो चुकी हैं. बच्‍चों को भी इसमें खूब मन लगता है. मनोरंजन के साथ-साथ जानकारी हासिल करने में बच्चों को बहुत आनंद आता है. पढ़ाई के इस अनोखे तरीके से बच्चों को सबकुछ बहुत आसानी से याद हो जाता है. सबसे बड़ी बात है कि बच्‍चे खेल में भाग लेते हैं और एक पाठ्यक्रम खेल खेल में सीख जाते हैं. स्मिता ठाकुर की पढ़ाने की इस कला की चर्चा चारों तरफ हो रही है.

यह भी पढ़ें- बिहार : शिक्षक के विदाई समारोह में फूट-फूट कर रोने लगी छात्राएं, देखें वीडियो

सीमित संसाधन में उत्कृष्ट प्रदर्शन: ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल के दौरान पाया कि, इस विद्यालय में संसाधनों की घोर कमी है. स्कूल में बेंच-डेस्क सहित शिक्षकों की कमी है. सरकारी दावे के अनुसार 40 बच्चे पर एक शिक्षक होना चाहिए, लेकिन इस विद्यालय में मात्र 08 शिक्षक ही 765 नामांकित बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.

इस अनुपात के अनुसार विद्यालय में पदस्थापित शिक्षकों के अलावे 08 और शिक्षक की जरूरत है. विद्यालय में पीने के पानी के लिये दो चापाकल हैं, जबकि शौचालय मात्र एक है. जिस कारण शिक्षक व बच्चों को शौचालय जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विद्यालय में लॉकडाउन अवधि के बाद से अब तक एमडीएम संचालित नहीं हो सका है. जबकि 06 रसोईया विद्यालय में खाना बनाने के लिये पदस्थापित हैं.

यह भी पढ़ें- इनकी अनूठी शिक्षण शैली ने बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर को किया कम

विद्यालय में खेल मैदान भी काफी छोटा है. वहीं खेल सामग्री का घोर अभाव है. बावजूद विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका स्मिता के जोश और जुनून की वजह से विद्यालय के बच्चों में शिक्षा के प्रति काफी ललक है. सीमित संसाधन में भी विद्यालय में बेहतर पठन-पाठन का कार्य जारी है. जिसका श्रेय अभिभावक सहित विद्यालय के शिक्षकों ने स्मिता ठाकुर को दिया है.

1942 ई. में विद्यालय की हुई थी स्थापना: मध्य विद्यालय सखुआ की स्थापना 1942 ई. में की गयी. 10 कट्ठा वाले परिसर के इस विद्यालय में दो तले का मकान निर्मित है. 13 कमरे में अध्ययन-अध्यापन का कार्य संपादित किया जा रहा है. विद्यालय में कक्षा 01 से लेकर 08 तक के बच्चों की पढ़ाई होती है, जिसमें 765 नामांकित बच्चे हैं. जिनमें 60 प्रतिशत छात्रा एवं 40 प्रतिशत छात्र शामिल हैं.

क्या कहती हैं स्मिता ठाकुर: प्रभारी प्रधानाध्यापिका स्मिता ठाकुर ने बताया कि, सरकारी विद्यालय (Government School Teacher Smita Thakur) की पढ़ाई व सरकारी अस्पताल से मरीज का इलाज भगवान भरोसे होता है. यह कहावत पुरानी हो गयी है. सीमित संसाधन में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया जा सकता है. इसके लिये जोश और जुनून होना चाहिये. साथ ही स्मिता की सरकार से मांग है कि, मध्य विद्यालय सखुआ को उत्क्रमित हाई स्कूल में बदल दिया जाए और शिक्षकों की कमी को जल्द से जल्द दूर किया जाए.

तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर से अंग्रेजी विषय से पोस्ट ग्रेजुएट एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से बीएड की शिक्षा प्राप्त कर स्मिता वर्ष 2013 में इस विद्यालय में नियोजित शिक्षक के रूप में पदस्थापित हुईं थीं. इसके बाद वह चेतना सत्र, खेल-कूद एवं अन्य गतिविधि के माध्यम से बच्चों के मानसिक व बौद्धिक विकास में जुटी हैं.

"जिस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में भारत विश्व गुरू था, उसी प्रकार फिर से राज्य व देश में शिक्षा के स्तर को उच्च कोटि का बनाने में एक छोटा सा प्रयास कर रही हूं. यदि सरकार और अन्य सरकारी विद्यालय के शिक्षक साथ दें तो, निश्चित रूप से भारत शिक्षा के क्षेत्र में फिर से विश्व गुरु हो सकता है."- स्मिता ठाकुर, प्रभारी प्रधानाध्यापिका, मध्य विद्यालय सखुआ

स्मिता ठाकुर का मानना है कि, बोझिल तरीकों से बच्‍चों को नहीं पढ़ाना चाहिए. इसलिए वे रोज नए-नए प्रयोग करती हैं. उनका मानना है कि, बच्‍चों को प्रयोग के माध्‍यम से पढ़ाना ज्‍यादा लाभकारी है. चेतना सत्र और अन्‍य शिक्षण काल में वे बिना किसी खर्च के मामूली संसाधन का प्रयोग कर कठिन से कठिन जानकारी सहज रूप में बता देती हैं.बच्‍चे भी आसानी ने उसे याद कर लेते हैं.

शिक्षिका की पहल की प्रशंसा: पिछले दिनों स्मिता ठाकुर का वीडियो वायरल (Smita Thakur Video Viral From Supaul ) हुआ था. पढ़ाने के तरीके के अनोखे वीडियो को टीचर्स ऑफ बिहार (टीओबी) ने अपने इंटरनेट मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफार्म पर पोस्‍ट किया था. जहां से इस वीडियो को लाखों लोगों ने देखा और खूब शेयर भी किया. लोगों ने शिक्षिका के पढ़ाने के अंदाज की काफी प्रशंसा भी की.

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सुपौल: सुपौल की शिक्षिका स्मिता ठाकुर ने साबित कर दिया है कि, अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है. स्मिता ने सीमित संसाधन में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करके दिखा दिया है. पिपरा प्रखंड के मध्य विद्यालय सखुआ (Teacher Of Middle School Sakhua) की शिक्षिका स्मिता ठाकुर खेल-खेल (Supaul Me Khel Khel Me Padhai) में बच्चों का मानसिक और बौद्धिक विकास कर रही हैं. सुपौल की शिक्षिका का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसे काफी लोगों ने पसंद किया.

यह भी पढ़ें- बिहार की इस टीचर ने बनाया मटके वाला कूलर, जानें खासियत

वीडियो वायरल होने के बाद ईटीवी भारत इसकी पड़ताल करने पहुंचा सखुआ मध्य विद्यालय. जहां देखा गया कि, सभी बच्चे ड्रेस कोड का पालन करते हुए स्कूल पहुंचे थे. प्रार्थना के बाद सभी बच्चे अपनी-अपनी क्लास में चले गये. वहीं विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका स्मिता सहित अन्य शिक्षक बच्चों को नवाचार के माध्यम से पाठ‍्यक्रम की पढ़ाई कराने में जुट गये.

सुपौल में खेल खेल में पढ़ाई

पढ़ाने का अनोखा अंदाज: शिक्षिका स्मिता ठाकुर बच्चों को खेल खेल में शिक्षा ( Unique teaching method of supaul teacher ) देने के लिए प्रसिद्ध हो चुकी हैं. बच्‍चों को भी इसमें खूब मन लगता है. मनोरंजन के साथ-साथ जानकारी हासिल करने में बच्चों को बहुत आनंद आता है. पढ़ाई के इस अनोखे तरीके से बच्चों को सबकुछ बहुत आसानी से याद हो जाता है. सबसे बड़ी बात है कि बच्‍चे खेल में भाग लेते हैं और एक पाठ्यक्रम खेल खेल में सीख जाते हैं. स्मिता ठाकुर की पढ़ाने की इस कला की चर्चा चारों तरफ हो रही है.

यह भी पढ़ें- बिहार : शिक्षक के विदाई समारोह में फूट-फूट कर रोने लगी छात्राएं, देखें वीडियो

सीमित संसाधन में उत्कृष्ट प्रदर्शन: ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल के दौरान पाया कि, इस विद्यालय में संसाधनों की घोर कमी है. स्कूल में बेंच-डेस्क सहित शिक्षकों की कमी है. सरकारी दावे के अनुसार 40 बच्चे पर एक शिक्षक होना चाहिए, लेकिन इस विद्यालय में मात्र 08 शिक्षक ही 765 नामांकित बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं.

इस अनुपात के अनुसार विद्यालय में पदस्थापित शिक्षकों के अलावे 08 और शिक्षक की जरूरत है. विद्यालय में पीने के पानी के लिये दो चापाकल हैं, जबकि शौचालय मात्र एक है. जिस कारण शिक्षक व बच्चों को शौचालय जाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विद्यालय में लॉकडाउन अवधि के बाद से अब तक एमडीएम संचालित नहीं हो सका है. जबकि 06 रसोईया विद्यालय में खाना बनाने के लिये पदस्थापित हैं.

यह भी पढ़ें- इनकी अनूठी शिक्षण शैली ने बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर को किया कम

विद्यालय में खेल मैदान भी काफी छोटा है. वहीं खेल सामग्री का घोर अभाव है. बावजूद विद्यालय की प्रभारी प्रधानाध्यापिका स्मिता के जोश और जुनून की वजह से विद्यालय के बच्चों में शिक्षा के प्रति काफी ललक है. सीमित संसाधन में भी विद्यालय में बेहतर पठन-पाठन का कार्य जारी है. जिसका श्रेय अभिभावक सहित विद्यालय के शिक्षकों ने स्मिता ठाकुर को दिया है.

1942 ई. में विद्यालय की हुई थी स्थापना: मध्य विद्यालय सखुआ की स्थापना 1942 ई. में की गयी. 10 कट्ठा वाले परिसर के इस विद्यालय में दो तले का मकान निर्मित है. 13 कमरे में अध्ययन-अध्यापन का कार्य संपादित किया जा रहा है. विद्यालय में कक्षा 01 से लेकर 08 तक के बच्चों की पढ़ाई होती है, जिसमें 765 नामांकित बच्चे हैं. जिनमें 60 प्रतिशत छात्रा एवं 40 प्रतिशत छात्र शामिल हैं.

क्या कहती हैं स्मिता ठाकुर: प्रभारी प्रधानाध्यापिका स्मिता ठाकुर ने बताया कि, सरकारी विद्यालय (Government School Teacher Smita Thakur) की पढ़ाई व सरकारी अस्पताल से मरीज का इलाज भगवान भरोसे होता है. यह कहावत पुरानी हो गयी है. सीमित संसाधन में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया जा सकता है. इसके लिये जोश और जुनून होना चाहिये. साथ ही स्मिता की सरकार से मांग है कि, मध्य विद्यालय सखुआ को उत्क्रमित हाई स्कूल में बदल दिया जाए और शिक्षकों की कमी को जल्द से जल्द दूर किया जाए.

तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर से अंग्रेजी विषय से पोस्ट ग्रेजुएट एवं ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से बीएड की शिक्षा प्राप्त कर स्मिता वर्ष 2013 में इस विद्यालय में नियोजित शिक्षक के रूप में पदस्थापित हुईं थीं. इसके बाद वह चेतना सत्र, खेल-कूद एवं अन्य गतिविधि के माध्यम से बच्चों के मानसिक व बौद्धिक विकास में जुटी हैं.

"जिस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में भारत विश्व गुरू था, उसी प्रकार फिर से राज्य व देश में शिक्षा के स्तर को उच्च कोटि का बनाने में एक छोटा सा प्रयास कर रही हूं. यदि सरकार और अन्य सरकारी विद्यालय के शिक्षक साथ दें तो, निश्चित रूप से भारत शिक्षा के क्षेत्र में फिर से विश्व गुरु हो सकता है."- स्मिता ठाकुर, प्रभारी प्रधानाध्यापिका, मध्य विद्यालय सखुआ

स्मिता ठाकुर का मानना है कि, बोझिल तरीकों से बच्‍चों को नहीं पढ़ाना चाहिए. इसलिए वे रोज नए-नए प्रयोग करती हैं. उनका मानना है कि, बच्‍चों को प्रयोग के माध्‍यम से पढ़ाना ज्‍यादा लाभकारी है. चेतना सत्र और अन्‍य शिक्षण काल में वे बिना किसी खर्च के मामूली संसाधन का प्रयोग कर कठिन से कठिन जानकारी सहज रूप में बता देती हैं.बच्‍चे भी आसानी ने उसे याद कर लेते हैं.

शिक्षिका की पहल की प्रशंसा: पिछले दिनों स्मिता ठाकुर का वीडियो वायरल (Smita Thakur Video Viral From Supaul ) हुआ था. पढ़ाने के तरीके के अनोखे वीडियो को टीचर्स ऑफ बिहार (टीओबी) ने अपने इंटरनेट मीडिया के विभिन्‍न प्‍लेटफार्म पर पोस्‍ट किया था. जहां से इस वीडियो को लाखों लोगों ने देखा और खूब शेयर भी किया. लोगों ने शिक्षिका के पढ़ाने के अंदाज की काफी प्रशंसा भी की.

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Last Updated : Dec 24, 2021, 9:01 PM IST
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