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दिल्ली से आई थी बारात अब जेल में कटेगी रात...जानें क्यों? - supaul

यह सभी जानते हैं कि कम उम्र में विवाह के कारण लड़कियों को हिंसा, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न का अधिक सामना करना पड़ता है. इसके बावजूद आज भी बाल विवाह हो रहा है. सुपौल में एसडीओ की सतर्कता से नाबालिग की जिंदगी बर्बाद होने से बच गई.

बाल विवाह
बाल विवाह
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Published : Jun 23, 2021, 7:55 PM IST

सुपौल: प्रशासनिक सतर्कता के कारण बिहार के सुपौल (Supaul) में एक नाबालिग की जिंदगी बर्बाद होने से बच गई. सदर एसडीओ मनीष कुमार (Sadar SDO Manish Kumar) ने बाल विवाह (Child Marriage) को रोकते हुए दूल्हा, उसके भाई और लड़की के पिता को गिरफ्तार किया है.

बाल विवाह में दूल्हा गिरफ्तार
बताया जा रहा है नाबालिग से शादी करने के लिए दिल्ली (Delhi) से दूल्हा कुछ लोगों के साथ पिपरा थाना (Pipra Police Station) पथरा दक्षिण वार्ड नंबर 07 पहुंचा था. पुलिस को खबर मिलने के बाद एसडीओ मनीष कुमार के नेृतत्व में जांच की गई. जिसमें यह बातें सामने आई कि लड़की नाबालिग है. इसके बाद कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दूल्हा, उसके भाई और नाबालिग किशोरी के पिता को गिरफ्तार कर लिया.

ये भी पढ़ें- 14 साल की उम्र में हुआ था बाल विवाह, सात साल बाद कोर्ट ने रद्द की शादी

बेतिया में बाल विवाह
पथरा दक्षिण वार्ड नंबर 07 की रहने वाली नाबालिग 9 वीं कक्षा की छात्रा है. किसी ने दिल्ली में रहने वाले लड़के से शादी तय कर दी. क्योंकि नाबालिग के पिता के पास पैसे नहीं थे. लिहाजा वह भी अपनी बेटी की शादी को तैयार हो गया.

ये भी पढ़ें- स्कूल में लड़की को मंगलसूत्र पहनाने वाला युवक गिरफ्तार

बाल विवाह के नतीजे
2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 15 वर्ष से कम उम्र की 1.5 लाख लड़कियां पहले से ही विवाहित हैं. जिसका परिणाम यह है कि शिक्षा, परिवार और दोस्तों से अलगाव, यौन शोषण, जल्दी गर्भावस्था, स्वास्थ्य जोखिम, घरेलू हिंसा, शिशु मृत्यु दर, कम वजन वाले शिशुओं का जन्म होता है. 18 वर्ष से पहले विवाह को बाल विवाह कहा जाता है.

ये भी पढ़ें- भारत के लिए बाल विवाह अब भी चुनौती : यूनिसेफ

2007 से कानून है प्रभावी
केन्द्र सरकार ने 1929 के बाल विवाह निषेध अधिनियम (Child Marriage Prohibition Act) को निरस्त करते हुए उसके स्थान पर 2006 में अधिक प्रगतिशील बाल विवाह निषेध अधिनियम कानून (Child Marriage Prohibition Act Law) लेकर आई. जिसका उदेश्य यह था इस प्रथा को रोकने की दिशा में काम किया जाए. इस अधिनियम में 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष और 18 वर्ष से कम आयु की महिला के विवाह को बाल-विवाह के रुप में परिभाषित किया गया है. यह कानून नवम्बर 2007 में प्रभावी हुआ.

ये भी पढ़ें- कोरोना महामारी के कारण एक करोड़ लड़कियों पर बाल विवाह का खतरा : यूनेस्को

बाल विवाह में सजा

  • यदि कोई वयस्क पुरुष जो 18 वर्ष से अधिक आयु का है, बाल विवाह करता है, तो उसे 2 वर्ष के लिए कठोर कारावास या एक लाख रुपये या दोनों का जुर्माना हो सकता है.
  • यदि कोई व्यक्ति किसी भी बाल विवाह में सहायता करता है तो उसे 2 वर्ष के कठोर कारावास या एक लाख रुपये या दोनों का जुर्माना हो सकता है.
  • अभिभावक या कोई अन्य संगठन के सदस्य सहित कोई व्यक्ति जो बाल विवाह को बढ़ावा देने या अनुमति देने के लिए कोई कार्य करता है, विवाह में शामिल होने पर दोषी ठहराए जाने पर 2 साल तक के कठोर कारावास या एक लाख रुपये या दोनों का जुर्माना हो सकता है.

ऐसे मामलों में इस अधिनियम के तहत अपराध संज्ञेय और गैर जमानती है. यानि, बाल विवाह से संबंधित मामलों में किसी की गिरफ्तारी होती है तो जमानत नहीं मिलेगी.

सुपौल: प्रशासनिक सतर्कता के कारण बिहार के सुपौल (Supaul) में एक नाबालिग की जिंदगी बर्बाद होने से बच गई. सदर एसडीओ मनीष कुमार (Sadar SDO Manish Kumar) ने बाल विवाह (Child Marriage) को रोकते हुए दूल्हा, उसके भाई और लड़की के पिता को गिरफ्तार किया है.

बाल विवाह में दूल्हा गिरफ्तार
बताया जा रहा है नाबालिग से शादी करने के लिए दिल्ली (Delhi) से दूल्हा कुछ लोगों के साथ पिपरा थाना (Pipra Police Station) पथरा दक्षिण वार्ड नंबर 07 पहुंचा था. पुलिस को खबर मिलने के बाद एसडीओ मनीष कुमार के नेृतत्व में जांच की गई. जिसमें यह बातें सामने आई कि लड़की नाबालिग है. इसके बाद कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दूल्हा, उसके भाई और नाबालिग किशोरी के पिता को गिरफ्तार कर लिया.

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बेतिया में बाल विवाह
पथरा दक्षिण वार्ड नंबर 07 की रहने वाली नाबालिग 9 वीं कक्षा की छात्रा है. किसी ने दिल्ली में रहने वाले लड़के से शादी तय कर दी. क्योंकि नाबालिग के पिता के पास पैसे नहीं थे. लिहाजा वह भी अपनी बेटी की शादी को तैयार हो गया.

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बाल विवाह के नतीजे
2001 की जनगणना के अनुसार भारत में 15 वर्ष से कम उम्र की 1.5 लाख लड़कियां पहले से ही विवाहित हैं. जिसका परिणाम यह है कि शिक्षा, परिवार और दोस्तों से अलगाव, यौन शोषण, जल्दी गर्भावस्था, स्वास्थ्य जोखिम, घरेलू हिंसा, शिशु मृत्यु दर, कम वजन वाले शिशुओं का जन्म होता है. 18 वर्ष से पहले विवाह को बाल विवाह कहा जाता है.

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2007 से कानून है प्रभावी
केन्द्र सरकार ने 1929 के बाल विवाह निषेध अधिनियम (Child Marriage Prohibition Act) को निरस्त करते हुए उसके स्थान पर 2006 में अधिक प्रगतिशील बाल विवाह निषेध अधिनियम कानून (Child Marriage Prohibition Act Law) लेकर आई. जिसका उदेश्य यह था इस प्रथा को रोकने की दिशा में काम किया जाए. इस अधिनियम में 21 वर्ष से कम आयु के पुरुष और 18 वर्ष से कम आयु की महिला के विवाह को बाल-विवाह के रुप में परिभाषित किया गया है. यह कानून नवम्बर 2007 में प्रभावी हुआ.

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बाल विवाह में सजा

  • यदि कोई वयस्क पुरुष जो 18 वर्ष से अधिक आयु का है, बाल विवाह करता है, तो उसे 2 वर्ष के लिए कठोर कारावास या एक लाख रुपये या दोनों का जुर्माना हो सकता है.
  • यदि कोई व्यक्ति किसी भी बाल विवाह में सहायता करता है तो उसे 2 वर्ष के कठोर कारावास या एक लाख रुपये या दोनों का जुर्माना हो सकता है.
  • अभिभावक या कोई अन्य संगठन के सदस्य सहित कोई व्यक्ति जो बाल विवाह को बढ़ावा देने या अनुमति देने के लिए कोई कार्य करता है, विवाह में शामिल होने पर दोषी ठहराए जाने पर 2 साल तक के कठोर कारावास या एक लाख रुपये या दोनों का जुर्माना हो सकता है.

ऐसे मामलों में इस अधिनियम के तहत अपराध संज्ञेय और गैर जमानती है. यानि, बाल विवाह से संबंधित मामलों में किसी की गिरफ्तारी होती है तो जमानत नहीं मिलेगी.

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