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सुपौल: दुष्कर्म पीड़िता की बिगड़ी सेहत, कोर्ट ने दिया इलाज कराने का आदेश

164 के बयान देने के बाद दुष्कर्म पीड़िता की तबीयत अचानक बिगड़ गई. कोर्ट ने अविलंब इलाज कराने का आदेश दिया. लेकिन डॉक्टरों ने कोर्ट का लेटर रिसीव करने से इनकार कर दिया. इसके बाद अस्पताल में जमकर हंगमा हुआ. बाद में डीएम की पहल से पीड़िता का इलाज शुरू हो सका.

दुष्कर्म पीड़िता की बिगड़ी तबियत
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Published : Oct 18, 2019, 8:57 AM IST

सुपौल: जिले में 8 अक्टूबर को हुए दुष्कर्म की पीड़िता की हालत अचानक बिगड़ गयी है. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर उसे सदर अस्पताल लाया गया. यहां कोर्ट की चिट्ठी रिसीव करने को लेकर डॉक्टर और परिजनों के बीच घंटों हंगामा हुआ. बाद में डीएम की पहल से पीड़िता का इलाज शुरू हो सका.

दरअसल एक सप्ताह पहले नाबालिग, उसकी बड़ी बहन और मामी के साथ दुष्कर्म की घटना हुई थी. जिसमें बड़ी बहन की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसी मामले में पहली बार नाबालिग का कोर्ट में बयान से किसी दवाब में मुकर जाने के बाद उसे दुबारा 164 का बयान देने सुपौल व्यवहार न्यायालय लाया गया था. यहां न्यायाधीश ने पीड़िता की हालात को देखते हुये पुलिस को पीड़िता का इलाज कराने का लिखित निर्देश दिया.

जानाकरी देते प्रभारी सीएस डॉ मेजर एसबी प्रसाद

अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता
सीएस को भेजे गए निर्देश मे अपर जिला सत्र न्यायधीश प्रथम अशोक कुमार सिंह की अदालत ने अविलंब पीड़िता का इलाज शुरू करने का निर्देश दिया. इसके बाद पुलिस अधिकारी पीड़िता को सदर अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने कोर्ट के आदेश को रिसीव करने से इनकार कर दिया. डॉक्टर का कहना था की उक्त लेटर डीएस और सीएस ही रिसीव करेंगे जिसके बाद बाद घंटों हंगामा हुआ.

डीएम की पहल से पीड़िता का हुआ इलाज
सदर अस्पताल में मौजूद डॉक्टर और पुलिस अधिकारियों के बीच काफी देर तक नोकझोंक के बाद पीड़ित परिजनों ने डीएम को फोन कर अस्पताल की कुव्यवस्था की जानकारी दी. डीएम के संज्ञान लेने के बाद अस्पताल प्रशासन हरकत मे आयी और पीड़िता का इलाज शुरू हो सका. लेकिन वहां मौजूद डॉक्टर ने पीड़िता का इलाज शुरू नहीं किया. बाद में डीएस अरुण कुमार वर्मा ने खुद आकर मरीज की जांच की और उपचार शुरू कर दिया. जिसके बाद मामला शांत हुआ.

सुपौल: जिले में 8 अक्टूबर को हुए दुष्कर्म की पीड़िता की हालत अचानक बिगड़ गयी है. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर उसे सदर अस्पताल लाया गया. यहां कोर्ट की चिट्ठी रिसीव करने को लेकर डॉक्टर और परिजनों के बीच घंटों हंगामा हुआ. बाद में डीएम की पहल से पीड़िता का इलाज शुरू हो सका.

दरअसल एक सप्ताह पहले नाबालिग, उसकी बड़ी बहन और मामी के साथ दुष्कर्म की घटना हुई थी. जिसमें बड़ी बहन की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसी मामले में पहली बार नाबालिग का कोर्ट में बयान से किसी दवाब में मुकर जाने के बाद उसे दुबारा 164 का बयान देने सुपौल व्यवहार न्यायालय लाया गया था. यहां न्यायाधीश ने पीड़िता की हालात को देखते हुये पुलिस को पीड़िता का इलाज कराने का लिखित निर्देश दिया.

जानाकरी देते प्रभारी सीएस डॉ मेजर एसबी प्रसाद

अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता
सीएस को भेजे गए निर्देश मे अपर जिला सत्र न्यायधीश प्रथम अशोक कुमार सिंह की अदालत ने अविलंब पीड़िता का इलाज शुरू करने का निर्देश दिया. इसके बाद पुलिस अधिकारी पीड़िता को सदर अस्पताल लेकर पहुंचे. यहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने कोर्ट के आदेश को रिसीव करने से इनकार कर दिया. डॉक्टर का कहना था की उक्त लेटर डीएस और सीएस ही रिसीव करेंगे जिसके बाद बाद घंटों हंगामा हुआ.

डीएम की पहल से पीड़िता का हुआ इलाज
सदर अस्पताल में मौजूद डॉक्टर और पुलिस अधिकारियों के बीच काफी देर तक नोकझोंक के बाद पीड़ित परिजनों ने डीएम को फोन कर अस्पताल की कुव्यवस्था की जानकारी दी. डीएम के संज्ञान लेने के बाद अस्पताल प्रशासन हरकत मे आयी और पीड़िता का इलाज शुरू हो सका. लेकिन वहां मौजूद डॉक्टर ने पीड़िता का इलाज शुरू नहीं किया. बाद में डीएस अरुण कुमार वर्मा ने खुद आकर मरीज की जांच की और उपचार शुरू कर दिया. जिसके बाद मामला शांत हुआ.

Intro:
दुष्कर्म पीड़िता की हालत बिगड़ी , कोर्ट ने अस्पताल मे भर्ती कराने का दिया आदेश
सुपौल: राघोपुर में 8 अक्टूबर को हुए नाबालिग के साथ गैंगरेप की पीड़िता की हालत दोबारा 164 के बयान देने के बाद अचानक बिगड़ गयी. जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर उसे सदर अस्पताल लाया गया. जहां कोर्ट की चिट्ठिया रिसीव करने को लेकर डॉक्टर और परिजनों के बीच घंटो हंगामा हुआ. जिसके बाद डीएम की पहल से पीड़िता का ईलाज शुरू हो सका.
बाईट --डॉ मेजर एसबी प्रसाद , प्रभारी सीएस सुपौल

Body:इस मामले में जहां अब तक पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है. सदर अस्पताल में ऑन ड्यूटी डॉक्टर की भी संवेदनहीनता ने सुसाशन की पोल खोल दी.

वीओ 1-बिहार में चिकित्सकों के रवैए से जहां हर जगह चिकित्सा तंत्र की थू थू हो रही है. वही सुपौल में गैंगरेप पीड़िता का इलाज करने से मना कर देने पर डॉक्टरों की बड़ी संवेदनहीनता सामने आई है. दरअसल एक सप्ताह पहले प्रतापगंज थाना क्षेत्र में नाबालिग, उसकी बड़ी बहन और मामी के साथ गैंगरेप की घटना हुई थी. जिसमें बड़ी बहन की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसी मामले में पहली बार नाबालिग का कोर्ट में गैंगरेप के बयान से किसी दवाब में मुकर जाने के बाद उसे दुबारा 164 का बयान देने सुपौल व्यवहार न्यायालय लाया गया था. जहां माननीय न्यायाधीश ने पीड़िता की हालात को देखते हुये पुलिस को पीड़िता का इलाज कराने का लिखित निर्देश दिया. सीएस को भेजे गए निर्देश मे अपर जिला सत्र न्यायधीश प्रथम अशोक कुमार सिंह की अदालत ने अविलम्ब पीड़िता का इलाज शुरू करने का निर्देश दिया साथ ही सीएस को न्यायालय ने निर्देश जारी कर पीड़िता के इलाज मे प्रगति से न्यायालय को भी अवगत कराने का भी निर्देश दिया. जिसके बाद पुलिस अधिकारी पीड़िता को सदर अस्पताल लेकर पहुंचे. जहां ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर ने कोर्ट के आदेश को रिसीव तक करने से इनकार कर दिया. जिसके बाद घंटो इस बाबत हंगामा होता रहा. बाद में डीएम की पहल से पीड़िता का ईलाज शुरू हो सका.
बाइट--परिजन
ग्राफिक्स--स्टिंग
जब वे लोग अस्पताल आए और कोर्ट का लेटर मौजूद डॉक्टर को देते हुए पीड़िता का इलाज शुरू करने की बात कही तो दूसरे डॉक्टर के एवज मे ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने पत्र लेने से इनकार करते हुए खुद वहां से ये कहते निकल गए की जिसकी ड्यूटी है वो डॉक्टर पत्र को रिसीव करेंगे.जिसके कुछ देर बाद ड्यूटी वाले डॉक्टर भी वहां पहुंच गए और उनसे भी पीड़ित परिजनों एवं पुलिस अधिकारी को लंबी बहस हुई. बावजूद ड्यूटी पर आए डॉक्टर भी कोर्ट के निर्देश को रिसीव नहीं किया. इस दौरान डॉक्टर का कहना था की उक्त लेटर डीएस और सीएस ही रिसीव करेंगे.

वीओ 2-आपको बता दे कि 8 अक्टूबर की घटना के बाद नाबालिग ने मीडिया के सामने गैंग रेप की बात कही थी. लेकिन जैसे ही दूसरे दिन उसका कोर्ट में बयान कराया गया उसने गैंग रेप से इनकार कर दिया लेकिन जब इसके 3 आरोपी गिरफ्तार हो गए तब जाकर पुलिस फिर पीड़िता को लेकर 164 का बयान कराने कोर्ट पहुँची. जहां पीड़िता अपनी आप बीती कोर्ट को सुनाया. इस दौरान उसकी हालत बिगड़ गयी.जिसके बाद कोर्ट ने उसका ईलाज कराने का आदेश दिया. लेकिन सदर अस्पताल डॉक्टरों की बड़ी संवेदनहीनता सामने आयी. हालांकि वहाँ मौजूद वरीय चिकित्सक डॉ शशि भूषण सिंह ने इसे छोटा मामला बताया. सदर अस्पताल मे मौजूद डॉक्टर और पुलिस अधिकारी के बीच काफी देर तक नोकझोंक के बाद पीड़ित परिजन ने डीएम को फोन कर अस्पताल की कुव्यवस्था की जानकारी दी. बाद में डीएम के संज्ञान लेने के बाद अस्पताल प्रशासन हरकत मे आयी ओर पीड़िता का ईलाज शुरू हो सका. लेकिन वहाँ मौजूद डॉक्टर ने तो पीड़िता का ईलाज शुरू नही किया बाद में डीएस अरुण कुमार वर्मा ने खुद आकर मरीज की जांच की और उपचार शुरू कर दिया. जिसके बाद मामला शांत हुआ. प्रभारी सीएस ने इस संगीन मामले को भी छोटा ही बताया. Conclusion:बहरहाल इस मामले में तो शुरू से ही लापरवाही सामने आई है. पीड़िता की मामी के बार बार कहने पर एक सप्ताह बाद उसका कोर्ट में बयान हुआ तो आज डॉक्टरों की असंवेदनशीलता ने ये साबित कर दिया कि सुपौल में शुसासन नही सरकारी तंत्र का मनमाना राज चल रहा है. जिसे जिले के सफेद पोश से लेकर वरीय अधिकारी तक पालपोस रहे हैं.
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