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सुपौल: 10 महीनों से भारत-नेपाल सीमा बंद, आम लोगों को भुगतना पड़ रहा खामियाजा

सुपौल में कोविड संक्रमण को लेकर नेपाल की ओर से 23 मार्च 2020 को सीमा पर आवाजाही को लेकर पाबंदी लगा दी थी. वहीं, अगले ही दिन 24 मार्च 2020 को भारत ने भी सीमा पर पाबंदी लगा दी थी. जिसका खामियाजा दोनों देशों के नागरिकों को उठाना पड़ रहा है. 29 जनवरी से सीमा को खोले जाने की उम्मीद थी. लेकिन सीमा पर से पाबंदी नहीं हटायी गई.

सुपौल
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Published : Jan 30, 2021, 6:15 PM IST

सुपौल: कोविड-19 को लेकर भारत-नेपाल की सीमा 23 मार्च 2020 से बंद है. जिसका खामियाजा दोनों देशों के नागरिकों को उठाना पड़ रहा है. 29 जनवरी से सीमा को खोले जाने की उम्मीद थी. लेकिन सीमा पर से पाबंदी नहीं हटायी गयी. जिसके कारण भीमनगर स्थित भारत-नेपाल सीमा से आवागमन प्रारंभ नहीं हो सका. गौरतलब है कि पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भारत का बेटी-रोटी के सालों पुराना मजबूत संबंध रहा है. दोनों देशों के बीच लोगों का आवागमन होता है.

10 महीनों से सीमा बंद
वहीं, सीमावर्ती क्षेत्र की आर्थिक व्यवस्था भी इस सीमा से जुड़ी हुई है. यही वजह है कि करीब 10 महीनों से सीमा बंद रहने के कारण लोगों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सीमावर्ती क्षेत्र में व्यवसायियों का व्यापार भी चौपट हो गया है. आवागमन बाधित रहने के कारण दोनों देशों के लोगों के बीच स्थापित संबंध के निर्वहन में भी परेशानी उत्पन्न हो रही है.

लोग हो रहे परेशान
लोग हो रहे परेशान

ये भी पढ़ें- बिहार: 10 महीने बाद फिर खुलने जा रहा है इंडो-नेपाल बॉर्डर

नेपाल ने हटाई पाबंदी
भीमनगर सीमा स्थित नेपाल की भंटाबारी नाका खुलने की बात सामने आयी थी. जानकारी मुताबिक नेपाल की ओर से पाबंदी हटा भी दी गयी. लेकिन भारत सरकार की ओर से कोई निर्देश प्राप्त नहीं होने के कारण सीमा पर तैनात एसएसबी द्वारा सीमा को नहीं खोला गया. अन्य दिनों की तरह ही सीमा पर आवागमन प्रतिबंधित था. सुरक्षा बल सीमा पर तैनात थे. सुपौल जिले की 57 किलोमीटर सीमा नेपाल से लगी हुई है. इसलिये प्रतिबंध का असर सुपौल जिले पर भी व्यापक रूप से पड़ रहा है.

धार्मिक आस्था भी हो रही प्रभावित
सीमा सील रहने के कारण दोनों देशों के धार्मिक स्थलों नेपाल के जनकपुर, बराह क्षेत्र आदि जगहों पर भारतीय नहीं जा पा रहे हैं. वहीं, सीमा से सटे धरहारा भीमशंकर स्थान, सिंहेश्वर नाथ महादेव मंदिर, विष्णु मंदिर गणपतगंज, देवघर आदि धार्मिक स्थलों तक नेपाल के लोग नहीं पहुंच पा रहे हैं. जिससे दोनों देशों के लोगों की धार्मिक आस्था पर चोट पहुंच रही है.

''नेपाल द्वारा भारत-नेपाल सीमा पर से प्रतिबंध 29 जनवरी से हटा लिया गया है. लेकिन एसएसबी को अब तक इस प्रकार का कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. इसलिये सीमा पर पाबंदी जारी है. प्राप्त निर्देश के आलोक में अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी''- एचके गुप्ता, कमांडेंट, 45वीं बटालियन, एसएसबी

ये भी पढ़ें- मानव श्रृंखला में नहीं दिखे मानव, तो कैसी बनी श्रृंखला: मंगल पांडे

पगडंडी से आ जा रहे लोग
सीमा पर लगी पाबंदी के कारण इक्का-दुक्का जरूरतमंद लोग पगडंडियों के सहारे एक-दूसरे की सीमा में आते-जाते दिख रहे हैं. जिनको भी भय और आशंकाओं के बीच ही आवाजाही करनी पड़ती है. इस दौरान डर और भय उनके चेहरे पर साफ दिखाई देता है. लोग उम्मीद करते हैं कि पाबंदी जल्द हटेगी. लेकिन वक्त लंबा खींचने के कारण दोनों देश के लोगों के चेहरे की शिकन भी बढ़ रही है.

सुपौल: कोविड-19 को लेकर भारत-नेपाल की सीमा 23 मार्च 2020 से बंद है. जिसका खामियाजा दोनों देशों के नागरिकों को उठाना पड़ रहा है. 29 जनवरी से सीमा को खोले जाने की उम्मीद थी. लेकिन सीमा पर से पाबंदी नहीं हटायी गयी. जिसके कारण भीमनगर स्थित भारत-नेपाल सीमा से आवागमन प्रारंभ नहीं हो सका. गौरतलब है कि पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से भारत का बेटी-रोटी के सालों पुराना मजबूत संबंध रहा है. दोनों देशों के बीच लोगों का आवागमन होता है.

10 महीनों से सीमा बंद
वहीं, सीमावर्ती क्षेत्र की आर्थिक व्यवस्था भी इस सीमा से जुड़ी हुई है. यही वजह है कि करीब 10 महीनों से सीमा बंद रहने के कारण लोगों को अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. सीमावर्ती क्षेत्र में व्यवसायियों का व्यापार भी चौपट हो गया है. आवागमन बाधित रहने के कारण दोनों देशों के लोगों के बीच स्थापित संबंध के निर्वहन में भी परेशानी उत्पन्न हो रही है.

लोग हो रहे परेशान
लोग हो रहे परेशान

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नेपाल ने हटाई पाबंदी
भीमनगर सीमा स्थित नेपाल की भंटाबारी नाका खुलने की बात सामने आयी थी. जानकारी मुताबिक नेपाल की ओर से पाबंदी हटा भी दी गयी. लेकिन भारत सरकार की ओर से कोई निर्देश प्राप्त नहीं होने के कारण सीमा पर तैनात एसएसबी द्वारा सीमा को नहीं खोला गया. अन्य दिनों की तरह ही सीमा पर आवागमन प्रतिबंधित था. सुरक्षा बल सीमा पर तैनात थे. सुपौल जिले की 57 किलोमीटर सीमा नेपाल से लगी हुई है. इसलिये प्रतिबंध का असर सुपौल जिले पर भी व्यापक रूप से पड़ रहा है.

धार्मिक आस्था भी हो रही प्रभावित
सीमा सील रहने के कारण दोनों देशों के धार्मिक स्थलों नेपाल के जनकपुर, बराह क्षेत्र आदि जगहों पर भारतीय नहीं जा पा रहे हैं. वहीं, सीमा से सटे धरहारा भीमशंकर स्थान, सिंहेश्वर नाथ महादेव मंदिर, विष्णु मंदिर गणपतगंज, देवघर आदि धार्मिक स्थलों तक नेपाल के लोग नहीं पहुंच पा रहे हैं. जिससे दोनों देशों के लोगों की धार्मिक आस्था पर चोट पहुंच रही है.

''नेपाल द्वारा भारत-नेपाल सीमा पर से प्रतिबंध 29 जनवरी से हटा लिया गया है. लेकिन एसएसबी को अब तक इस प्रकार का कोई आदेश प्राप्त नहीं हुआ है. इसलिये सीमा पर पाबंदी जारी है. प्राप्त निर्देश के आलोक में अग्रेतर कार्रवाई की जायेगी''- एचके गुप्ता, कमांडेंट, 45वीं बटालियन, एसएसबी

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पगडंडी से आ जा रहे लोग
सीमा पर लगी पाबंदी के कारण इक्का-दुक्का जरूरतमंद लोग पगडंडियों के सहारे एक-दूसरे की सीमा में आते-जाते दिख रहे हैं. जिनको भी भय और आशंकाओं के बीच ही आवाजाही करनी पड़ती है. इस दौरान डर और भय उनके चेहरे पर साफ दिखाई देता है. लोग उम्मीद करते हैं कि पाबंदी जल्द हटेगी. लेकिन वक्त लंबा खींचने के कारण दोनों देश के लोगों के चेहरे की शिकन भी बढ़ रही है.

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