सुपौल: कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से निपटने और इसके चेन को तोड़ने के लिए देश के कई राज्यों ने लॉकडाउन लगाया है. लॉकडाउन के कारण एक बार फिर से प्रवासी मजदूरों के जीवनयापन की समस्या खड़ी है गई है. ऐसे में पिछले साल की तरह ही प्रवासी मजदूरों का बिहार लौटना शुरू हो गया है. मंगलवार की रात एक ऐसा ही परिवार ऑटो रिक्शा से सुपौल पहुंचा. ये परिवार 5 दिन पहले दिल्ली से बिहार के लिए चला था.
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ऑटो रिक्शा चलाकर करता था जीवन-यापन
मधेपुरा प्रखंड के खाड़ निवासी उमेश शर्मा अपनी पत्नी रिंकू देवी और अपने दो बच्चे के साथ ऑटो रिक्शा से ही घर के लिए चल पड़े. 30 अप्रैल को उमेश शर्मा अपने ऑटो रिक्शा से मधेपुरा के लिए अपने परिवार के संग निकले.
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5 दिन में ऑटो लेकर पहुंचा सुपौल
पांचवें दिन मंगलवार की रात उमेश और उनका परिवार सुपौल पहुंचा. सुपौल पहुंचे उमेश और उनके परिवार ने बताया कि 17 अप्रैल को दिल्ली में लॉकडाउन लगने के बाद उसकी रोजी-रोटी छिन गई. जब उनके पास कोई और ऑप्शन नहीं बचा तो वे किराए का ऑटो लेकर अपने घर की ओर रवाना हो गए. उमेश ने बताया कि बताया कि प्रवासी मजदूरों को कोई देखने वाला नहीं है. केजरीवाल सरकार के सभी दावे धरातल पर धाराशायी है.
बता दें कि देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण को लेकर लॉकडाउन लगा है. लॉकडाउन लगाते समय दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रवासी मजदूरों से अपील की थी कि वे दिल्ली छोड़ कर न जाएं, उनका दिल्ली में ख्याल रखा जाएगा. लेकिन लॉकडाउन के बाद से ही रोजी-रोटी छिन जाने के कारण प्रवासी मजदूरों का बिहार लौटना शुरू हो गया है.
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