सुपौल: कोसी नदी में लाल पानी उतरने के साथ ही नदी ने तबाही मचाना शुरू कर दिया है. कोसी नदी की तेज धारा से कटाव तेज (Erosion Started In Kosi River) हो गया है. नदी के समीप बसे किशनपर प्रखंड के बेला गोठ वार्ड नंबर 9 में अब तक 10 परिवार के 41 घर को नदी ने अपने आगोश में ले लिया है. गांव के अन्य लोग अपने कच्चे और पक्के मकान को तोड़ने में जुट चुके हैं. पीड़ित परिवार अब ऊंचे स्थान की और पलायन करने लगे हैं. जिन्हें कई प्रकार के समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन प्रशासन की ओर से अबतक इनलोगों की सुध नहीं ली गई हैं. जिस कारण पीड़ित परिवार में जिला प्रशासन के विरुद्ध आक्रोश व्याप्त है.
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कम पानी में नदी की धारा हो जाती तेज: कोसी अपने स्वभाव को बदलने में माहिर नदी मानी जाती है. कोसी नदी का हेड और टेल दोनों अपना होता है. यानी नदी में कम पानी हो तो नदी की धारा काफी तेज हो जाती है. जिससे नदी तेजी से मिट्टी का कटाव शुरू कर देती है. बस्ती से दूर प्रवाहित होने के वावजूद नदी देखते ही देखते बस्ती के करीब पहुंच जाती है. वहीं जब नदी में काफी पानी होता है तो बाढ़ के हालात उत्पन्न होते हैं. लिहाजा, दोनों स्थिति में नदी की अपनी मर्जी चलती है. जिसके सामने बाढ़ निरोधक कार्य भी बौना साबित होता है.
15 दिन पूर्व शुरू हो चुका है बाढ़काल: मानसून के जल्द प्रवेश करने को लेकर 15 जून से शुरू होने वाला बाढ़काल सरकार की अनुमति से 1 जून से शुरू हो चुका है. फिलहाल नदी में मात्र 60 हजार क्यूसेक पानी है. बावजूद जल संसाधन विभाग के सभी अभियंता को अलर्ट मोड पर रखा गया है. हालांकि, अभी भी कई स्थानों पर एन्टी रोजन का कार्य जारी है. कोसी नदी की पानी ने कोसी के बीच बसे दर्जनों गांव को अपनी चपेट में लेना फिर से शुरू कर दिया है. अभी तक तीन दर्जन से अधिक घर को नदी अपने चपेट में ले चुका है.
हर साल विस्थापन का दंश झेलने को विवश होते हैं लोग: बेलागोठ निवासी सुरेश यादव ने बताया कि कोसी नदी की वजह से उनलोगों को हर साल विस्थापन का दंश झेलना पड़ता है. हर साल वे लोग कोसी नदी की दी हुई पीड़ा को सहन करते हैं. अभी नदी में पानी कम है. लेकिन कटाव जारी हो चुका है. जिस कारण घर को तोड़ कर सुरक्षित स्थान पर जा रहे हैं. बताया कि उनलोगों को प्रसाशन जल्द सहायता मुहैया कराए. वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता मिथिलेश कुमार ने बताया कि एक सप्ताह से नदी का कटाव जारी है और प्रशासन को सूचना देने के बाद भी किसी ने झांकना तक मुनासिब नहीं समझा है.
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