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Supaul News: मछली समझ बच्चों ने पकड़ा डॉल्फिन, युवाओं ने कोसी नदी में छोड़ कर बचायी जान - Supaul News

सुपौल में बच्चों ने कोसी नदी किनारे से डॉल्फिन के बच्चे को पकड़ लिया. जब आसपास के लोगों ने इसकी पुष्टी डॉल्फिन के रूप में की तो उसे फिर से पानी में छोड़ दिया गया. नदी में पानी कम होने के कारण अक्सर डॉल्फिन नदी के किनारे आ जाते हैं. ऐसे में कई बार नदी किनारे आने उनके लिए खतरा भी हो जाता है.

सुपौल में बच्चों ने पकड़ा डॉल्फिन
सुपौल में बच्चों ने पकड़ा डॉल्फिन
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Published : Apr 17, 2023, 10:41 PM IST

सुपौल: बिहार के सुपौल जिले के नदी थाना क्षेत्र के सिसौनी पंचायत स्थित कोसी नदी के सुरक्षा बांध संख्या दो के समीप सोमवार को बच्चों ने करीब आठ किलो के एक डॉल्फिन के बच्चे (Dolphin In Kosi River In Supaul) को पानी में विचरण करते हुए देखा. बच्चे अजीब तरह की मछली समझ कर डॉल्फिन को पकड़ कर बाहर ले आए (Children Caught Dolphin). बच्चों ने इसकी सूचना आसपास के लोगों को दी. जिसके बाद डॉल्फिन को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई.

ये भी पढे़ं- Dolphin Death in Vaishali: वैशाली में मिला डॉल्फिन का शव, वन विभाग कर रही जांच

बच्चों ने पकड़ा डॉल्फिन: स्थानीय एक युवक ने उक्त मछली की तस्वीर को सोशल मीडिया पर डाल कर मछली की पहचान करने की बात लिखी. कुछ ही देर में कई लोगों ने उक्त मछली की पहचान डॉल्फिन के बच्चे के रूप में करते हुए उसे कोसी नदी में छोड़ देने की बात कमेंट करने लगे. इसके बाद वहां पहुंचे युवाओं ने इसे मानव का रक्षक और जलीय जीवों में विलुप्त होने वाले डॉल्फिन की विशेषता बताते हुए उसे नदी में छोड़ दिया. जिसकी जानकारी वन विभाग और अन्य अधिकारी को मिली. जिन्होंने युवाओं की टीम को धन्यवाद दिया.

बच्चों ने पानी में छोड़ा: कोसी नदी में मिले डॉल्फिन के बच्चे के बारे में बताया जा रहा है कि कोसी नदी के सिसौनी घाट पर पहली बार इस प्रकार के जलीय जीव को देखा गया. मछली को पानी में विचरण करते हुए देखा गया. जिसे ग्रामीण बच्चों ने पकड़ कर पानी से बाहर निकाला फिर उसे पानी में छोड़ दिया. ग्रामीण अर्जुन मंडल, बैद्यनाथ मंडल, विकास मंडल आदि ने बताया कि नदी में पानी कम होने के कारण डॉल्फिन नदी किनारे आ गयी.

पहले भी मछुआरे ने पकड़ा था डॉल्फिन: वर्ष 2019 में सदर प्रखंड के बैरिया मंच के समीप मछुआरे के जाल में दो डॉल्फिन फंस गया था. जिसे मछुआरे ने मारकर तेल निकाल लिया था. जानकार बताते हैं कि कोसी में पिछले कुछ सालों में डॉल्फिन की संख्या काफी बढ़ी है. लेकिन इससे संरक्षण के लिए कोई ठोस पहल नहीं किये जाने के कारण डॉल्फिन शिकारियों के चंगुल में फंस रहा है.

जागरूकता अभियान चलाने की है आवश्यकता: टीएनवी कॉलेज भागलपुर के वनस्पति विज्ञान विभाग के एचओडी प्रो. सुनील चौधरी ने कहा कि कोसी में डॉल्फिन की संख्या अच्छी खासी है. इसके लिए सर्वे भी कराया गया. लेकिन जागरूकता के अभाव में डॉल्फिन पर खतरा मंडराने लगा है. डॉल्फिन संरक्षण के लिए लगातार जन जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. खासकर सुपौल, सहरसा और अररिया जिला में इसके लिए आम लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए.

कोसी में है 282 डॉल्फिन: वीरपुर बराज से लेकर कुरसैला तक कोसी नदी में लगभग 282 डॉल्फिन है. फरवरी 2023 में इसका सर्वेक्षण कराया गया था. वाइल्ड लाईफ कंजरवेशन ट्रस्ट मुंबई के डॉ नचिकेत केलकर ने बताया कि फरवरी 2023 में कोसी बराज से लेकर कुरसैला तक सर्वेक्षण कराया गया. जिसमें 282 डॉल्फिन होने की संभावना जतायी गयी. इसके संरक्षण के लिए लगातर प्रयास किये जा रहे हैं. जरूरत है इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने की.

डॉल्फिन मछली नहीं स्तनधारी प्राणी: डॉल्फिन को हम अक्सर मछली समझने की भूल कर देते हैं. लेकिन वास्तव में डॉल्फिन एक मछली नहीं है. वह तो एक स्तनधारी प्राणी है. जिस तरह व्हेल एक स्तनधारी प्राणी है. वैसे ही डॉल्फिन भी इसी कैटेगरी में आती है. यह एक छोटी व्हेल की ही तरह है. जानकार बताते हैं कि डॉल्फिन को अकेले रहना पसंद नहीं है. यह सामान्यत: समूह में रहना पसंद करती है. इनके एक समूह में 10 से 12 सदस्य होते हैं. भारत में डॉल्फिन गंगा नदी के अलावा कोसी नदी में भी लायी जाती है. यह 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तैर सकती है. डॉल्फिन 10-15 मिनट तक पानी के अंदर रह सकती है. लेकिन वह पानी के अंदर सांस नहीं ले सकती. उसे सांस लेने के लिए पानी की सतह पर आना पड़ता है.

सुपौल: बिहार के सुपौल जिले के नदी थाना क्षेत्र के सिसौनी पंचायत स्थित कोसी नदी के सुरक्षा बांध संख्या दो के समीप सोमवार को बच्चों ने करीब आठ किलो के एक डॉल्फिन के बच्चे (Dolphin In Kosi River In Supaul) को पानी में विचरण करते हुए देखा. बच्चे अजीब तरह की मछली समझ कर डॉल्फिन को पकड़ कर बाहर ले आए (Children Caught Dolphin). बच्चों ने इसकी सूचना आसपास के लोगों को दी. जिसके बाद डॉल्फिन को देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई.

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बच्चों ने पकड़ा डॉल्फिन: स्थानीय एक युवक ने उक्त मछली की तस्वीर को सोशल मीडिया पर डाल कर मछली की पहचान करने की बात लिखी. कुछ ही देर में कई लोगों ने उक्त मछली की पहचान डॉल्फिन के बच्चे के रूप में करते हुए उसे कोसी नदी में छोड़ देने की बात कमेंट करने लगे. इसके बाद वहां पहुंचे युवाओं ने इसे मानव का रक्षक और जलीय जीवों में विलुप्त होने वाले डॉल्फिन की विशेषता बताते हुए उसे नदी में छोड़ दिया. जिसकी जानकारी वन विभाग और अन्य अधिकारी को मिली. जिन्होंने युवाओं की टीम को धन्यवाद दिया.

बच्चों ने पानी में छोड़ा: कोसी नदी में मिले डॉल्फिन के बच्चे के बारे में बताया जा रहा है कि कोसी नदी के सिसौनी घाट पर पहली बार इस प्रकार के जलीय जीव को देखा गया. मछली को पानी में विचरण करते हुए देखा गया. जिसे ग्रामीण बच्चों ने पकड़ कर पानी से बाहर निकाला फिर उसे पानी में छोड़ दिया. ग्रामीण अर्जुन मंडल, बैद्यनाथ मंडल, विकास मंडल आदि ने बताया कि नदी में पानी कम होने के कारण डॉल्फिन नदी किनारे आ गयी.

पहले भी मछुआरे ने पकड़ा था डॉल्फिन: वर्ष 2019 में सदर प्रखंड के बैरिया मंच के समीप मछुआरे के जाल में दो डॉल्फिन फंस गया था. जिसे मछुआरे ने मारकर तेल निकाल लिया था. जानकार बताते हैं कि कोसी में पिछले कुछ सालों में डॉल्फिन की संख्या काफी बढ़ी है. लेकिन इससे संरक्षण के लिए कोई ठोस पहल नहीं किये जाने के कारण डॉल्फिन शिकारियों के चंगुल में फंस रहा है.

जागरूकता अभियान चलाने की है आवश्यकता: टीएनवी कॉलेज भागलपुर के वनस्पति विज्ञान विभाग के एचओडी प्रो. सुनील चौधरी ने कहा कि कोसी में डॉल्फिन की संख्या अच्छी खासी है. इसके लिए सर्वे भी कराया गया. लेकिन जागरूकता के अभाव में डॉल्फिन पर खतरा मंडराने लगा है. डॉल्फिन संरक्षण के लिए लगातार जन जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है. खासकर सुपौल, सहरसा और अररिया जिला में इसके लिए आम लोगों के बीच जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए.

कोसी में है 282 डॉल्फिन: वीरपुर बराज से लेकर कुरसैला तक कोसी नदी में लगभग 282 डॉल्फिन है. फरवरी 2023 में इसका सर्वेक्षण कराया गया था. वाइल्ड लाईफ कंजरवेशन ट्रस्ट मुंबई के डॉ नचिकेत केलकर ने बताया कि फरवरी 2023 में कोसी बराज से लेकर कुरसैला तक सर्वेक्षण कराया गया. जिसमें 282 डॉल्फिन होने की संभावना जतायी गयी. इसके संरक्षण के लिए लगातर प्रयास किये जा रहे हैं. जरूरत है इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने की.

डॉल्फिन मछली नहीं स्तनधारी प्राणी: डॉल्फिन को हम अक्सर मछली समझने की भूल कर देते हैं. लेकिन वास्तव में डॉल्फिन एक मछली नहीं है. वह तो एक स्तनधारी प्राणी है. जिस तरह व्हेल एक स्तनधारी प्राणी है. वैसे ही डॉल्फिन भी इसी कैटेगरी में आती है. यह एक छोटी व्हेल की ही तरह है. जानकार बताते हैं कि डॉल्फिन को अकेले रहना पसंद नहीं है. यह सामान्यत: समूह में रहना पसंद करती है. इनके एक समूह में 10 से 12 सदस्य होते हैं. भारत में डॉल्फिन गंगा नदी के अलावा कोसी नदी में भी लायी जाती है. यह 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से तैर सकती है. डॉल्फिन 10-15 मिनट तक पानी के अंदर रह सकती है. लेकिन वह पानी के अंदर सांस नहीं ले सकती. उसे सांस लेने के लिए पानी की सतह पर आना पड़ता है.

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