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एक उल्लू की कीमत 10 लाख, जानिये बिहार में कहां पर मिला है....

सुपौल के त्रिवेणीगंज प्रखंड क्षेत्र में अमेरिकन बर्न प्रजाति का उल्लू मिला है. इसकी सूचना मिलने पर पहुंची वन विभाग की टीम उसे रेस्क्यू कर अपने साथ ले गयी. इसकी कीमत तकरीबन 10 लाख रुपये बतायी जा रही है.

American barn species owl found in Supaul
सुपौल में मिला अमेरिकन बर्न प्रजाति का उल्लू
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Published : Dec 14, 2021, 9:59 PM IST

Updated : Dec 15, 2021, 11:00 AM IST

सुपौल: बिहार के सुपौल में अमेरिकन बर्न प्रजाति का उल्लू (Owl of American Barn Species Found in Supaul) मिलने की सूचना पर भारी संख्या में लोग मौके पर पहुंच गये. इसके बाद स्थानीय लोगों ने वन विभाग की टीम को उल्लू मिलने की जानकारी दी. सूचना मिलने पर पहुंची वन विभाग की टीम ने अमेरिकन बर्न प्रजाति के उल्लू को अपने साथ ले (Forest Department took Owl With Them) गयी. उल्लू मिलने की घटना त्रिवेणीगंज प्रखंड क्षेत्र के डपरखा की है.

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जानकारी के मुताबिक, डपरखा निवासी राहुल कुमार के घर के पास कहीं से उड़कर एक अद्भूत उल्लू आया. जिसे कुछ कौए घेर कर चोंच मार रहे थे. तभी वहां मौजूद लोगों की नजर उस पर पड़ी. इसके बाद लोगों ने उल्लू को पकड़ लिया और इसकी सूचना डीएफओ को दी. मौके पर पहुंचे डीएफओ उसे रेस्क्यू कर अपने साथ ले गए. 48 घंटे तक उसे निगरानी में रखा जायेगा.

उल्लू को रेस्क्यू करने पहुंचे डीएफओ सुनील कुमार शरण ने बताया कि लोगों के द्वारा सूचना मिली कि एक उल्लू मिला है. जिसे कौए चोंच मारकर घायल कर रहे हैं. यहां पहुंच कर देखा तो पाया कि यह एक अमेरिकन बर्न प्रजाति का उल्लू है. जिसे रेस्क्यू कर लिया गया है.

उन्होंने बताया कि यह प्राय: ठंडे देशों में पाये जाते हैं. अमेरिका व इंग्लैंड सहित तमाम यूरोपीय देशों में यह पाया जाता है. इनकी संख्या लगातार घट रही है. घटने का मुख्य कारण इन देशों में खेतों का कम होना माना गया है, लेकिन यहां जो उल्लू आया है, उसके लिए अनुकूल समय है. इस पक्षी का मुख्य खाना चूहा है.

अंतर्राष्ट्रीय बाजार और भारत में बर्न उल्लू की कीमत 8 से 10 लाख रुपये है. यह बहुत ही कीमती और महत्वपूर्ण पक्षी है. इसे फसल बर्बाद करने वाले कीड़ों का दुश्मन भी माना जाता है. संजय गांधी जैविक उद्यान के अधिकारी से बात की जा रही है, उनके द्वारा जैसा निर्देश मिलेगा, वैसा काम किया जाएगा.

बता दें कि भारतीय वन्य जीव अधिनियम, 1972 की अनुसूची-एक के तहत उल्लू को संरक्षित प्रजाति का पक्षी घोषित किया गया है. ये लुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में दर्ज है. इनके शिकार या तस्करी करने पर कम से कम 3 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है. इन्हें पालना और शिकार करना दोनों पर प्रतिबंध है. बताया जाता है कि पूरी दुनिया में उल्लू की लगभग 225 प्रजातियां हैं.

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सुपौल: बिहार के सुपौल में अमेरिकन बर्न प्रजाति का उल्लू (Owl of American Barn Species Found in Supaul) मिलने की सूचना पर भारी संख्या में लोग मौके पर पहुंच गये. इसके बाद स्थानीय लोगों ने वन विभाग की टीम को उल्लू मिलने की जानकारी दी. सूचना मिलने पर पहुंची वन विभाग की टीम ने अमेरिकन बर्न प्रजाति के उल्लू को अपने साथ ले (Forest Department took Owl With Them) गयी. उल्लू मिलने की घटना त्रिवेणीगंज प्रखंड क्षेत्र के डपरखा की है.

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जानकारी के मुताबिक, डपरखा निवासी राहुल कुमार के घर के पास कहीं से उड़कर एक अद्भूत उल्लू आया. जिसे कुछ कौए घेर कर चोंच मार रहे थे. तभी वहां मौजूद लोगों की नजर उस पर पड़ी. इसके बाद लोगों ने उल्लू को पकड़ लिया और इसकी सूचना डीएफओ को दी. मौके पर पहुंचे डीएफओ उसे रेस्क्यू कर अपने साथ ले गए. 48 घंटे तक उसे निगरानी में रखा जायेगा.

उल्लू को रेस्क्यू करने पहुंचे डीएफओ सुनील कुमार शरण ने बताया कि लोगों के द्वारा सूचना मिली कि एक उल्लू मिला है. जिसे कौए चोंच मारकर घायल कर रहे हैं. यहां पहुंच कर देखा तो पाया कि यह एक अमेरिकन बर्न प्रजाति का उल्लू है. जिसे रेस्क्यू कर लिया गया है.

उन्होंने बताया कि यह प्राय: ठंडे देशों में पाये जाते हैं. अमेरिका व इंग्लैंड सहित तमाम यूरोपीय देशों में यह पाया जाता है. इनकी संख्या लगातार घट रही है. घटने का मुख्य कारण इन देशों में खेतों का कम होना माना गया है, लेकिन यहां जो उल्लू आया है, उसके लिए अनुकूल समय है. इस पक्षी का मुख्य खाना चूहा है.

अंतर्राष्ट्रीय बाजार और भारत में बर्न उल्लू की कीमत 8 से 10 लाख रुपये है. यह बहुत ही कीमती और महत्वपूर्ण पक्षी है. इसे फसल बर्बाद करने वाले कीड़ों का दुश्मन भी माना जाता है. संजय गांधी जैविक उद्यान के अधिकारी से बात की जा रही है, उनके द्वारा जैसा निर्देश मिलेगा, वैसा काम किया जाएगा.

बता दें कि भारतीय वन्य जीव अधिनियम, 1972 की अनुसूची-एक के तहत उल्लू को संरक्षित प्रजाति का पक्षी घोषित किया गया है. ये लुप्तप्राय जीवों की श्रेणी में दर्ज है. इनके शिकार या तस्करी करने पर कम से कम 3 साल या उससे अधिक की सजा का प्रावधान है. इन्हें पालना और शिकार करना दोनों पर प्रतिबंध है. बताया जाता है कि पूरी दुनिया में उल्लू की लगभग 225 प्रजातियां हैं.

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Last Updated : Dec 15, 2021, 11:00 AM IST
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