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सरकारी उपेक्षा का शिकार है राजेंद्र प्रसाद का गांव, बुनियादी सुविधा नहीं मिलने से नाखुश हैं लोग - problem

जीरादेई के लोगों का आरोप है कि जन नेताओं ने इस क्षेत्र के नाम पर राजनीति की है. इलाके में स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, सड़कें कुछ नहीं है.

जीरादेई रेलवे स्टेशन
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Published : May 2, 2019, 11:55 PM IST

सिवान: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का गांव आज 70 सालों बाद भी अपने विकास की राह देख रहा है. भारत रत्न से सम्मानित प्रसाद के गांव में लोग सरकार के रवैए से खुश नहीं हैं. यहां सड़क, बिजली, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी लोगों को नहीं मिल रही है.

बता दें कि छठे चरण में यानी 12 मई को लोग यहां मतदान करेंगे. लेकिन, वोटिंग को लेकर उनमें उत्साह नहीं दिख रहा है. ग्रामीणों का यहां के जनप्रतिनिधियों से मोहभंग हो गया है. प्रथम राष्ट्रपति का गांव होने के बावजूद लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से जीरादेई का विकास नहीं किया गया. जो सुविधाएं इस गांव को मिलनी चाहिए. वो अभी तक नहीं मिल पायी हैं.

जीरादेई की स्थिति बताते ग्रामीण

दयनीय हाल में है राजेंद्र प्रसाद की मूर्ति
जीरादेई में डॉ राजेंद्र प्रसाद की एक पुरानी मूर्ति है, उसपर भी कोई ध्यान नहीं है. उसका रख-रखाव करने में भी सरकार असमर्थ है. यहां प्रसाद की पत्नी के नाम पर बना आर्युवेदिक अस्पताल भी आज खण्डहर में तब्दील हो गया है. यहां की सड़कें क्षतिग्रस्त हैं. लोगों का चलना दूभर है. स्थानीय लोग कहते हैं कि इस क्षेत्र के नाम पर केवल राजनीति हुई है. जन नेताओं ने जीरादेई का फायदा उठाया है.

क्या है लोगों की मूलभूत समस्या
स्थानीय लोगों की समस्या यह भी है कि जिले में स्कूल-कॉलेजों का अभाव है. जिस कारण युवाओं को बाहर जाकर शिक्षा लेनी पड़ रही है. साथ ही यहां अच्छी चिकित्सा का भी अभाव है.

वर्तमान सांसद का बयान
जीरादेई की समस्या पर जब वर्तमान सांसद ओम प्रकाश यादव से पूछा गया तो उन्होंने पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन पर दोष मढ़ दिया. उन्होंने कहा कि यहां जो कुछ विकास हुआ है वह उन्होंने ही किया है. पिछले सालों में तो स्थिति और दयनीय थी. उन्होंने भाजपा की उपलब्धियां गिनाई. क्षेत्र के विकास पर कुछ खास नहीं बोला.

सिवान: देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद का गांव आज 70 सालों बाद भी अपने विकास की राह देख रहा है. भारत रत्न से सम्मानित प्रसाद के गांव में लोग सरकार के रवैए से खुश नहीं हैं. यहां सड़क, बिजली, अस्पताल जैसी बुनियादी सुविधाएं भी लोगों को नहीं मिल रही है.

बता दें कि छठे चरण में यानी 12 मई को लोग यहां मतदान करेंगे. लेकिन, वोटिंग को लेकर उनमें उत्साह नहीं दिख रहा है. ग्रामीणों का यहां के जनप्रतिनिधियों से मोहभंग हो गया है. प्रथम राष्ट्रपति का गांव होने के बावजूद लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से जीरादेई का विकास नहीं किया गया. जो सुविधाएं इस गांव को मिलनी चाहिए. वो अभी तक नहीं मिल पायी हैं.

जीरादेई की स्थिति बताते ग्रामीण

दयनीय हाल में है राजेंद्र प्रसाद की मूर्ति
जीरादेई में डॉ राजेंद्र प्रसाद की एक पुरानी मूर्ति है, उसपर भी कोई ध्यान नहीं है. उसका रख-रखाव करने में भी सरकार असमर्थ है. यहां प्रसाद की पत्नी के नाम पर बना आर्युवेदिक अस्पताल भी आज खण्डहर में तब्दील हो गया है. यहां की सड़कें क्षतिग्रस्त हैं. लोगों का चलना दूभर है. स्थानीय लोग कहते हैं कि इस क्षेत्र के नाम पर केवल राजनीति हुई है. जन नेताओं ने जीरादेई का फायदा उठाया है.

क्या है लोगों की मूलभूत समस्या
स्थानीय लोगों की समस्या यह भी है कि जिले में स्कूल-कॉलेजों का अभाव है. जिस कारण युवाओं को बाहर जाकर शिक्षा लेनी पड़ रही है. साथ ही यहां अच्छी चिकित्सा का भी अभाव है.

वर्तमान सांसद का बयान
जीरादेई की समस्या पर जब वर्तमान सांसद ओम प्रकाश यादव से पूछा गया तो उन्होंने पूर्व सांसद मो. शहाबुद्दीन पर दोष मढ़ दिया. उन्होंने कहा कि यहां जो कुछ विकास हुआ है वह उन्होंने ही किया है. पिछले सालों में तो स्थिति और दयनीय थी. उन्होंने भाजपा की उपलब्धियां गिनाई. क्षेत्र के विकास पर कुछ खास नहीं बोला.

Intro:देशरत्न के गांव का कितना हुआ है विकास,क्या कहती है जीरादेई की जनता

सिवान।

आगामी 12 मई को सिवान में लोकसभा सीट पर चुनाव होने हैं ऐसे में सिवान के जीरादेई में कितना हुआ है विकास इसके लिए हमने देशरत्न के गाँव मे जाकर लोगो से बात की और जानना चाहा कि कितना हुआ है विकास.

देखिये क्या कहा जीरादेई के लोगो ने:-




Body:जीरादेई एक छोटे से गांव से निकलकर देश का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद के गांव का हाल बेहाल है लोगो ने बताया ना सड़क अच्छी है ना अस्पताल, ना शिक्षा व्यवस्था. वही उनकी पत्नी के नाम पर बना आर्युवेदिक अस्पताल भी खण्डहर में तब्दील हो गया है. आप इन तस्वीरों में देख सकते हैं कि देशरत्न के गांव में चलने के लिए जो रास्ते हैं वो कैसे छतिग्रस्त हुए हैं बाइक सवार कई बार दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं. वही इस गांव को सांसद ओम प्रकाश यादव ने गोद भी लिए हैं पर कितना विकास हुआ है इस गांव का आप देख सकते हैं. स्थानीय लोगों की माने तो गांव का विकास जरा भी नहीं हुआ है ना अच्छा हॉस्पिटल है,ना पढ़ने के लिए अच्छा कॉलेज जिससे गांव के लोगों को दूसरे जगह पढ़ाई के लिए जाना पड़ता है. गांव के बच्चे भी डॉ राजेन्द्र प्रसाद से प्रेरित होकर उनके जैसे बनना चाहते हैं और गांव नाम रौशन करना चाहते हैं पर गाँव मे अभी भी मूलभूत सुविधाओं की आवश्यकता है.

क्या कहा वर्तमान संसाद-ओम प्रकाश यादव ने


Conclusion:
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