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सीवान में कराह रही स्वास्थ्य व्यवस्था, तड़प रहे संक्रमित, बिलख रहे परिजन

कोरोना संक्रमण से बिहार का हाल बद से बदतर होता जा रहा है. लोग परेशान हैं. मरीज तड़प रहे हैं. लेकिन इन तक स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं पहुंच रही हैं. कई कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन तो है, लेकिन इसके अभाव में मरीजों की मौत हो रही है. हम बात कर रहे हैं स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के गृह जिला सीवान की. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

सांस के लिए तड़पता सीवान
सांस के लिए तड़पता सीवान
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Published : Apr 30, 2021, 1:57 PM IST

सीवानः ऑक्सीजन की कमी नहीं है. ना ही बेड की कमी है. डॉक्टर भी अपने कामों को कर रहे हैं. फिर भी सीवान के महाराजगंज अनुमंडलीय अस्पताल में रोते-बिलखते परिजनों की चीख कुछ और ही कह रही है. अस्पताल को डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर बनाया गया है. यहां के चिकित्सकों की मानें तो सारी सुविधाएं हैं. वहीं मरीज के परिजनों का कहना है कि ना ही ऑक्सीजन है. ना ही बेड दिया जा रहा है. बता दें कि सीवान स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का गृह जिला है.

यह भी पढ़ें- चिताएं जल रही हैं, हाईकोर्ट पूछ रहा- बिहार में ये क्या हो रहा है?

कोरोना का कहर जारी है
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय कोरोना से निपटने के लिए तमाम व्यवस्थाओं के दावे रोज कर रहे हैं. अस्पतालों में कोरोना से निपटने के लिए बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर इत्यादि चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. सरकार और प्रशासन भी कोरोना से निपटने के लिए नियमित वर्चुअल मीटिंग कर कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों में भर्ती संक्रमित मरीजों की जानकारी ले रहे हैं. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला सीवान में जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है. इस सेंटर पर कोरोना का कहर जारी है. सेंटर में भर्ती मरीज वेंटिलेटर और ऑक्सीजन के बिना तड़प-तड़प कर मर रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

डेडिकेटेड कोविड सेंटर में नहीं है वेंटिलेटर की व्यवस्था
अनुमंडलीय कोविड अस्पताल में मरीजों का इलाज कराने पहुंच रहे परिजनों को चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में दर-दर भटकना पड़ रहा है. वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजन ने बताया कि ऑक्सीजन के लिए समय-समय पर डॉक्टरों से गुहार लगानी पड़ती है. दवा भी बाहर से खरीदकर लानी पड़ रही है. हद तो तब हो गई, जब अस्पताल में भर्ती एक मरीज के परिवार वालों ने बाहर से ऑक्सीजन खरीद कर लाने की बात बताई. सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि कोविड मरीजों को अत्याधुनिक सुविधा प्रदान करने के लिए बनाए गए इस डेडिकेटेड सेंटर में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. जिस कारण कम ऑक्सीजन लेवल के मरीजों को पटना रेफर करना पड़ता है. रेफर करने के दौरान अभी तक दर्जनों मरीजों की रास्ते में ही मौत भी हो चुकी है.

अनुमंडलीय कोविड अस्पताल
अनुमंडलीय कोविड अस्पताल

कोविड अस्पताल में गंदगी का अंबार
अनुमंडलीय कोविड अस्पताल में साफ-सफाई की व्यवस्था भी नहीं है. मरीज के परिजनों ने बताया कि वार्ड से लेकर अस्पताल परिसर में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है. संक्रमित मरीज के परिजनों के लिए बैठने तक की व्यवस्था भवन में नहीं है. प्रयोग में लाई गई पीपीई किट परिसर में ऐसे ही फेंक दी गई है. इसके संपर्क में आने से कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है.

वार्ड में ANM और चिकित्सक
वार्ड में ANM और चिकित्सक

'मरीजों की रूटीन के अनुसार जांच की जाती है. ऑक्सीजन की व्यवस्था भी प्रचुर मात्रा में है. जिस मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत है, उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही है. कुछ मरीजों की स्थिति क्रिटिकल है. क्योंकि सेंटर में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. ऐसे मरीज को हायर सेंटर जाने के लिए परामर्श दिया गया है, लेकिन परिजनों का कहना है कि हम यहां से नहीं जाएंगे. ऐसे मरीजों को इसी व्यवस्था में ही उपचार चल रहा है.' -अमित चंद्र मिश्र, चिकित्सक, डेडिकेटेड कोविड सेंटर

अनुमंडलीय कोविड अस्पताल के चिकित्सीय टीम
अनुमंडलीय कोविड अस्पताल के चिकित्सीय टीम

अनुमंडलीय कोविड सेंटर पर 50 प्रतिशत बेड खाली
अनुमंडलीय कोविड सेंटर के चिकित्सकों ने बताया कि अस्पताल में गंभीर मरीजों के लिए 100 बेड की व्यवस्था है. गंभीर और कम जोखिम वाले मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड की व्यवस्था है. जांच की भी व्यवस्था है. चिकित्सीय टीम 24 घंटे राउंड पर रहकर मरीजों का अवलोकन करते हैं. फिलहाल लगभग 53 मरीज भर्ती और 50 प्रतिशत बेड खाली है.

एंबुलेंस का इंतजार करते मृतक के परिजन
एंबुलेंस का इंतजार करते मृतक के परिजन

जिले में कोरोना के 2131 एक्टिव मरीज
स्वास्थ विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सीवान में कोरोना वायरस के गुरुवार तक 8497 पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं. इसमें से 2131 एक्टिव मरीज है. इसमें 2059 मरीजों का होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है. 33 गंभीर मरीजों का इलाज पटना एनएमसीएच और पीएमसीएच में चल रहा है. कोरोना वायरस से संदेहास्पद मरीजों का इलाज सदर अस्पताल के आईसीयू भवन में भी चल रहा है. जबकि डायट भवन में 100 बेड युक्त डेडिकेटेड कोविड सेंटर निर्माणाधीन है.

स्ट्रेचर पर कोरोना संक्रमित मरीज का शव
स्ट्रेचर पर कोरोना संक्रमित मरीज का शव

बनाए गए हैं कंटेनमेंट जोन
जिले में अभी 673 कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं. इन इलाकों को माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित कर आवागमन को पूरी तरह से बाधित कर दिया गया है. ताकि कोरोना वायरस का संक्रमण दूसरे लोगों में नहीं फैल सके.

यह भी पढ़ें- Bihar Corona Update:बिहार में कोरोना के एक्टिव केस एक लाख के पार, अब तक 2480 की गई जान

यह भी पढ़ें- 'मुन्ना शुक्ला पैदा ही हुआ है कानून तोड़ने के लिए, यहां गोली नहीं चलेगा तो अगरबत्ती जलेगा क्या'

यह भी पढ़ें- पटना हाईकोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार, कहा- ऑक्सीजन की आपूर्ति करें सुनिश्चित

सीवानः ऑक्सीजन की कमी नहीं है. ना ही बेड की कमी है. डॉक्टर भी अपने कामों को कर रहे हैं. फिर भी सीवान के महाराजगंज अनुमंडलीय अस्पताल में रोते-बिलखते परिजनों की चीख कुछ और ही कह रही है. अस्पताल को डेडिकेटेड कोविड हेल्थ सेंटर बनाया गया है. यहां के चिकित्सकों की मानें तो सारी सुविधाएं हैं. वहीं मरीज के परिजनों का कहना है कि ना ही ऑक्सीजन है. ना ही बेड दिया जा रहा है. बता दें कि सीवान स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय का गृह जिला है.

यह भी पढ़ें- चिताएं जल रही हैं, हाईकोर्ट पूछ रहा- बिहार में ये क्या हो रहा है?

कोरोना का कहर जारी है
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय कोरोना से निपटने के लिए तमाम व्यवस्थाओं के दावे रोज कर रहे हैं. अस्पतालों में कोरोना से निपटने के लिए बेड, ऑक्सीजन, वेंटिलेटर इत्यादि चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं. सरकार और प्रशासन भी कोरोना से निपटने के लिए नियमित वर्चुअल मीटिंग कर कोविड डेडिकेटेड अस्पतालों में भर्ती संक्रमित मरीजों की जानकारी ले रहे हैं. लेकिन स्वास्थ्य मंत्री के गृह जिला सीवान में जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है. इस सेंटर पर कोरोना का कहर जारी है. सेंटर में भर्ती मरीज वेंटिलेटर और ऑक्सीजन के बिना तड़प-तड़प कर मर रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

डेडिकेटेड कोविड सेंटर में नहीं है वेंटिलेटर की व्यवस्था
अनुमंडलीय कोविड अस्पताल में मरीजों का इलाज कराने पहुंच रहे परिजनों को चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में दर-दर भटकना पड़ रहा है. वार्ड में भर्ती मरीजों के परिजन ने बताया कि ऑक्सीजन के लिए समय-समय पर डॉक्टरों से गुहार लगानी पड़ती है. दवा भी बाहर से खरीदकर लानी पड़ रही है. हद तो तब हो गई, जब अस्पताल में भर्ती एक मरीज के परिवार वालों ने बाहर से ऑक्सीजन खरीद कर लाने की बात बताई. सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि कोविड मरीजों को अत्याधुनिक सुविधा प्रदान करने के लिए बनाए गए इस डेडिकेटेड सेंटर में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. जिस कारण कम ऑक्सीजन लेवल के मरीजों को पटना रेफर करना पड़ता है. रेफर करने के दौरान अभी तक दर्जनों मरीजों की रास्ते में ही मौत भी हो चुकी है.

अनुमंडलीय कोविड अस्पताल
अनुमंडलीय कोविड अस्पताल

कोविड अस्पताल में गंदगी का अंबार
अनुमंडलीय कोविड अस्पताल में साफ-सफाई की व्यवस्था भी नहीं है. मरीज के परिजनों ने बताया कि वार्ड से लेकर अस्पताल परिसर में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा है. संक्रमित मरीज के परिजनों के लिए बैठने तक की व्यवस्था भवन में नहीं है. प्रयोग में लाई गई पीपीई किट परिसर में ऐसे ही फेंक दी गई है. इसके संपर्क में आने से कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है.

वार्ड में ANM और चिकित्सक
वार्ड में ANM और चिकित्सक

'मरीजों की रूटीन के अनुसार जांच की जाती है. ऑक्सीजन की व्यवस्था भी प्रचुर मात्रा में है. जिस मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत है, उन्हें ऑक्सीजन दी जा रही है. कुछ मरीजों की स्थिति क्रिटिकल है. क्योंकि सेंटर में वेंटिलेटर की व्यवस्था नहीं है. ऐसे मरीज को हायर सेंटर जाने के लिए परामर्श दिया गया है, लेकिन परिजनों का कहना है कि हम यहां से नहीं जाएंगे. ऐसे मरीजों को इसी व्यवस्था में ही उपचार चल रहा है.' -अमित चंद्र मिश्र, चिकित्सक, डेडिकेटेड कोविड सेंटर

अनुमंडलीय कोविड अस्पताल के चिकित्सीय टीम
अनुमंडलीय कोविड अस्पताल के चिकित्सीय टीम

अनुमंडलीय कोविड सेंटर पर 50 प्रतिशत बेड खाली
अनुमंडलीय कोविड सेंटर के चिकित्सकों ने बताया कि अस्पताल में गंभीर मरीजों के लिए 100 बेड की व्यवस्था है. गंभीर और कम जोखिम वाले मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड की व्यवस्था है. जांच की भी व्यवस्था है. चिकित्सीय टीम 24 घंटे राउंड पर रहकर मरीजों का अवलोकन करते हैं. फिलहाल लगभग 53 मरीज भर्ती और 50 प्रतिशत बेड खाली है.

एंबुलेंस का इंतजार करते मृतक के परिजन
एंबुलेंस का इंतजार करते मृतक के परिजन

जिले में कोरोना के 2131 एक्टिव मरीज
स्वास्थ विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सीवान में कोरोना वायरस के गुरुवार तक 8497 पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं. इसमें से 2131 एक्टिव मरीज है. इसमें 2059 मरीजों का होम आइसोलेशन में इलाज चल रहा है. 33 गंभीर मरीजों का इलाज पटना एनएमसीएच और पीएमसीएच में चल रहा है. कोरोना वायरस से संदेहास्पद मरीजों का इलाज सदर अस्पताल के आईसीयू भवन में भी चल रहा है. जबकि डायट भवन में 100 बेड युक्त डेडिकेटेड कोविड सेंटर निर्माणाधीन है.

स्ट्रेचर पर कोरोना संक्रमित मरीज का शव
स्ट्रेचर पर कोरोना संक्रमित मरीज का शव

बनाए गए हैं कंटेनमेंट जोन
जिले में अभी 673 कंटेनमेंट जोन बनाए गए हैं. इन इलाकों को माइक्रो कंटेनमेंट जोन घोषित कर आवागमन को पूरी तरह से बाधित कर दिया गया है. ताकि कोरोना वायरस का संक्रमण दूसरे लोगों में नहीं फैल सके.

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