सिवान: सिवान के प्रतिष्ठित कॉलेज में शुमार डीएवी कॉलेज शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. यहीं कारण है कि छात्र-छात्राएं कॉलेज के बजाए निजी कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं. कॉलेज में शिक्षक के साथ समुचित संसाधन की भी कमी है.
बिहार की शिक्षा व्यवस्था का आलम यह है कि स्कूल, कॉलेज में पढ़ाने वाले शिक्षक ही नहीं समुचित संसाधन की घोर कमी है. कभी डीएवी कॉलेज में स्टूडेंट अपना नामांकन कराने के लिए लालायित रहते थे. लेकिन अब परस्थितियां बिल्कुल ही अलग है. हाईटेक हो गई शिक्षा व्यवसथा के बीच कॉलेज संस्थान अपने को अपडेट नही कर पायी है. इस बात को कॉलेज के प्रोफेसर भी स्वीकारते हैं.
प्रोफेसरों पर रहता है काम का प्रेशर
प्रोफेसरों की कमी के साथ मौजूद प्रोफेसर पर काम का अधिक प्रेशर रहता है. कभी-कभी गैर शैक्षणिक सरकारी कार्यों में लगाये जाते हैं. इस कॉलेज के छात्र कहते हैं, अगर प्रोफेसर रहें तो कोचिंग में जाने की जरूरत नहीं है. सेशन सुचारू रूप से चले. डीएवी कॉलेज में 67 प्रोफेसरों की जगह 33 प्रोफेसर ही कार्यरत्त हैं. हालांकि कॉलेज में 21 गेस्ट शिक्षक के आने से पठन-पाठन में थोड़ा सुधार हुआ है.
कोचिंग जाना आजकल का फैशन : प्रिसिंपल
डीएवी कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ०अजय कुमार पंडित कहते हैं कि कोचिंग आजकल का फैशन हो गया है. ऐसा नहीं है कि कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती है. शिक्षकों की कमी जरूर है लेकिन हरसंभव बच्चों की क्लास उपलब्ध कराने की कोशिश की जाती है. गेस्ट टीचर के आने से यह समस्या जलद ही खत्म हो जायेगी.
विज्ञान और वाणिज्य संकाय में प्रोफेसर की कमी
गौरतलब है कि डीएवी कॉलेज में लगभग 10,000 छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं. विज्ञान संकाय में 9 रेगुलर प्रोफेसर 11 गेस्ट प्रोफेसर हैं. जबकि वाणिज्य संकाय में 3 रेगुलर प्रोफेसर है. वही कला संकाय में 21 रेगुलर प्रोफेसर और 10 गेस्ट प्रोफेसर की नियुक्ति की गई है.