ETV Bharat / state

सरकारी संपत्ति की हो रही है लूट, सरकार को नही है चिंता - Encroachment

सीवान जिले के दारौंदा में बाजार अतिक्रमण का मामला वर्षों से लंबित पड़ा है. न तो इसपर सरकार की सुध है और न ही यहां के अधिकारी इसको लेकर एक्टिव हैं. जिसके कारण हर साल सरकार को लाखों रूपये की राजस्व की क्षति हो रही है.

siwan
siwan
author img

By

Published : Jul 5, 2020, 7:31 PM IST

सीवान : बिहार के सीवान जिले के दारौंदा में सरकारी संपत्ति को सरकार के लोग ही लूटा रहे हैं. लेकिन किसी को इसकी चिंता नहीं है. पटना हाईकोर्ट के आदेश को भी नजरअंदाज किया जा रहा है. साथ ही सही तथ्य को छुपाया भी जा रहा है. यह पूरा मामला दारौंदा बाजार के जमीन से जुड़ा है.

सरकार को 12 लाख रुपए के राजस्व की क्षति

दरअसल, दारौंदा में बाजार की जमीन करीब सतरह कट्ठा है. जबकि राजस्व करीब पांच कट्ठा का ही मिलता है, जो इस साल 3 लाख 30 हजार है. अगर पूरे जमीन का राजस्व सरकार को मिलता तो यह और 9 लाख रुपए होता. यानी कुल 12 लाख रुपए सरकार के खाते में जाता मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है. दारौंदा बाजार के बाकी जमीन पर अतिक्रमण है. अतिक्रमण करने वाले लोगों को लाखों रुपए हर महीने किराए में मिल रहे हैं.

दारौंदा बाजार
दारौंदा बाजार

सीओ को होता है फायदा

यह बाजार यहां 2007 से पदस्थापित है जो यहां के हर सीओ को अंडा देने वाली सोने की मुर्गी के समान है. दारौंदा बाजार के इस खेल का खुलासा 2007 में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक वीरेंद्र ठाकुर ने किया था. इस खुलासे के बाद से अतिक्रमणकारी और अफसर दोनों के लिए ये दुश्मन बन गए. इन्होंने जब अपनी सुरक्षा की गुहार सरकार से लगाई तो तत्कालीन राजस्व मंत्री मदनमोहन झा ने राजस्व सचिव को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया, जो जिलाधिकारी तक पहुंचने के बाद कूड़ेदान में फेक दिया गया.

अतिक्रमण से जूझ रहे हैं राज्य के सैकड़ों बाजार

अब वीरेंद्र ठाकुर कहते हैं कि अगर सरकार और अफसरों का ये रवैया रहेगा तो कौन सरकार के लिए काम करेगा. राजस्व कैसे बढ़ेगा और बचेगा? यह स्थिति सिर्फ एक बाजार की ही नहीं बल्कि राज्य के सैकड़ों बाजारों की है जो अतिक्रमण से जूझ रहे हैं और सरकार को घाटा और अफसरों का जेब भर रहा है.

अतिक्रमण का जमीन
अतिक्रमण का जमीन

जांच अधिकारी बनाए जाने के बाद भी नहीं हुआ समाधान

इस अतिक्रमण के मामले में जिले के अफसर भला कैसे सुनेंगे? जब 2012 में राजस्व मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने तत्कालीन प्रधान सचिव को आदेश दिया था कि इस मामले को पटना मुख्यालय से अधिकारी को भेज कर जांच कराई जाए. जांच अधिकारी सुरेश पासवान, विशेष सचिव बनाए गए. मगर कुछ हुआ नहीं, फिर जांच अधिकारी विशेष सचिव महेश्वर पासवान बनाए गए. जो जांच किए बिना ही रिटायर्ड हो गए.

मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में विचाराधीन है यह मामला

यह मामला 2017 में CWJC 2925/2017 पटना हाई कोर्ट गया. कोर्ट ने बाजार से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया. लेकिन जिले में यह आदेश फेल हो गया. फिर 2019 से एमजेसी 1422/2019 और 3097/2019 कोर्ट ऑफ कंटेंप्ट का यह मामला मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में विचाराधीन है. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण इस मामले की फिलहाल सुनवाई नहीं हो रही है.

सीवान : बिहार के सीवान जिले के दारौंदा में सरकारी संपत्ति को सरकार के लोग ही लूटा रहे हैं. लेकिन किसी को इसकी चिंता नहीं है. पटना हाईकोर्ट के आदेश को भी नजरअंदाज किया जा रहा है. साथ ही सही तथ्य को छुपाया भी जा रहा है. यह पूरा मामला दारौंदा बाजार के जमीन से जुड़ा है.

सरकार को 12 लाख रुपए के राजस्व की क्षति

दरअसल, दारौंदा में बाजार की जमीन करीब सतरह कट्ठा है. जबकि राजस्व करीब पांच कट्ठा का ही मिलता है, जो इस साल 3 लाख 30 हजार है. अगर पूरे जमीन का राजस्व सरकार को मिलता तो यह और 9 लाख रुपए होता. यानी कुल 12 लाख रुपए सरकार के खाते में जाता मगर ऐसा नहीं हो पा रहा है. दारौंदा बाजार के बाकी जमीन पर अतिक्रमण है. अतिक्रमण करने वाले लोगों को लाखों रुपए हर महीने किराए में मिल रहे हैं.

दारौंदा बाजार
दारौंदा बाजार

सीओ को होता है फायदा

यह बाजार यहां 2007 से पदस्थापित है जो यहां के हर सीओ को अंडा देने वाली सोने की मुर्गी के समान है. दारौंदा बाजार के इस खेल का खुलासा 2007 में स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षक वीरेंद्र ठाकुर ने किया था. इस खुलासे के बाद से अतिक्रमणकारी और अफसर दोनों के लिए ये दुश्मन बन गए. इन्होंने जब अपनी सुरक्षा की गुहार सरकार से लगाई तो तत्कालीन राजस्व मंत्री मदनमोहन झा ने राजस्व सचिव को सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया, जो जिलाधिकारी तक पहुंचने के बाद कूड़ेदान में फेक दिया गया.

अतिक्रमण से जूझ रहे हैं राज्य के सैकड़ों बाजार

अब वीरेंद्र ठाकुर कहते हैं कि अगर सरकार और अफसरों का ये रवैया रहेगा तो कौन सरकार के लिए काम करेगा. राजस्व कैसे बढ़ेगा और बचेगा? यह स्थिति सिर्फ एक बाजार की ही नहीं बल्कि राज्य के सैकड़ों बाजारों की है जो अतिक्रमण से जूझ रहे हैं और सरकार को घाटा और अफसरों का जेब भर रहा है.

अतिक्रमण का जमीन
अतिक्रमण का जमीन

जांच अधिकारी बनाए जाने के बाद भी नहीं हुआ समाधान

इस अतिक्रमण के मामले में जिले के अफसर भला कैसे सुनेंगे? जब 2012 में राजस्व मंत्री नरेन्द्र नारायण यादव ने तत्कालीन प्रधान सचिव को आदेश दिया था कि इस मामले को पटना मुख्यालय से अधिकारी को भेज कर जांच कराई जाए. जांच अधिकारी सुरेश पासवान, विशेष सचिव बनाए गए. मगर कुछ हुआ नहीं, फिर जांच अधिकारी विशेष सचिव महेश्वर पासवान बनाए गए. जो जांच किए बिना ही रिटायर्ड हो गए.

मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में विचाराधीन है यह मामला

यह मामला 2017 में CWJC 2925/2017 पटना हाई कोर्ट गया. कोर्ट ने बाजार से अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया. लेकिन जिले में यह आदेश फेल हो गया. फिर 2019 से एमजेसी 1422/2019 और 3097/2019 कोर्ट ऑफ कंटेंप्ट का यह मामला मुख्य न्यायाधीश के कोर्ट में विचाराधीन है. वैश्विक महामारी कोरोना के कारण इस मामले की फिलहाल सुनवाई नहीं हो रही है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.