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बिहार में हाल-ए-वैक्सीनेशन: मौत के 5 महीने बाद भी पड़ गया वैक्सीन का दूसरा डोज !

बिहार में अब मृत व्यक्तियों को कोरोना वैक्सीन के डोज दिए जा रहे हैं. सिवान के भगवानपुर हाट प्रखंड के बनसोहीं गांव का यह मामला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. पढ़ें पूरी खबर..

Siwan News
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Published : Oct 26, 2021, 3:28 PM IST

सिवान:कोरोना का वैक्सीन लेने के बाद लोग राहत की सांस लेते हैं. कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन जरूरी है. लेकिन वैक्सीन लेने के एक मैसेज ने सभी को हैरान कर दिया है. दरअसल जिले में एक मृत व्यक्ति को वैक्सीन (Corona Vaccine In Siwan) देने का मामला सामने आया है. मृतक के परिजन पूछ रहे हैं कि जो इस दुनिया में नहीं है, उसे वैक्सीन (Controversy Of Covid 19 Vaccination) का दूसरा डोज कैसे दे दिया गया.

यह भी पढ़ें- बिहार में 31 दिसंबर तक 8 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य

बताया जा रहा है कि जिस व्यक्ति को कोरोना का वैक्सीन दिया गया है, उसकी मौत अप्रैल महीने में ही हो चुकी है. पांच महीने बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से मृत व्यक्ति के नाम मैसेज आया कि उसे वैक्सीन का दूसरा डोज दे दिया गया है. पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है.

यह भी पढ़ें- पर्व में घर आ रहे हैं तो साथ रखना होगा RTPCR निगेटिव रिपोर्ट - नीतीश कुमार

सिवान के भगवानपुर हाट प्रखंड (Bhagwanpur Hat Block) के बनसोहीं गांव के कन्हैया साह के बेटे दुलारचंद साह की इसी साल अप्रैल में मौत हो गई थी. अब उसके नाम पर वैक्सीन का डोज पड़ जाने का मैसेज आया है. शनिवार को दुलारचंद साह के घर के मोबाइल नंबर पर वैक्सीन का दूसरा डोज लेने का मैसेज आया. मृतक के परिजनों का कहना है कि जब मौत अप्रैल में ही हो गयी, तो इतने महीने बाद वैक्सीन की दूसरी डोज कैसे दी गयी.

यह भी पढ़ें- 'मैं जिंदा हूं' मुझे पेंशन दो- बुजुर्ग की अधिकारियों से गुहार

दुलारचंद साह की मौत को लेकर भी परिजनों ने कई सवाल खड़े किए थे. दुलारचंद की मौत संदिग्ध थी. परिजनों का कहना है कि इसी साल अप्रैल के 20 तारीख को दुलारचंद, बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वैक्सीन का पहला डोज लेने गए थे. वहां उनका कोरोना जांच भी किया गया था. रैपिड एंटीजन किट से की गई जांच में रिपोर्ट निगेटिव आई थी. जिसके बाद उन्हें वैक्सीन का पहला डोज दिया गया था.

पहला डोज लेने के बाद दुलारचंद को ऐसा लगा कि अब कोरोना को हराना आसान होगा. लेकिन रात में जब पूरा परिवार सो रहा था. उसी दौरान दुलारचंद की तबीयत खराब होने लगी. उन्हें सांस लेने में परेशानी शुरू हुई. परिजन तुरंत उन्हें इलाज के लिए जिला मुख्यालय ले गए थे. लेकिन दुलालचंद को बचाया नहीं जा सका. अगले दिन उनकी मौत हो गई थी.

परिजनों ने बताया कि दुलारचंद की मौत आज तक संदिग्ध ही है. वहीं शनिवार को मोबाइल पर कोविशिल्ड का दूसरा डोज देने का मैसेज आया. मैसेज देख सभी परेशान हो गए. इतना ही नहीं जब कोविन पोर्टल से सर्टिफिकेट डाउनलोड किया गया तो सर्टिफिकेट में दोनों डोज लेने की पुष्टि देख परिजन हक्के बक्के रह गए.

बता दें कि पूरे देश में 100 करोड़ लोगों का कोरोना टीकाकरण हो चुका है. अब भी टीकाकरण अभियान जारी है. बिहार सरकार भी वैक्सीन को लेकर काफी सजग है. सभी लोगों को वैक्सीन मिल जाए, इसके लिए सरकार हर स्तर पर कोशिश कर रही है. बिहार में वैक्सीनेशन का काम तेजी से किया जा रहा है. शहर से लेकर गांव तक में लोगों को वैक्सीन मिल सके, इसकी व्यवस्था की गई है. सरकार के प्रयास की सभी तारीफ भी कर रहे हैं. लेकिन इस तरह की चूक सामने आने पर अब कई भी उठ रहे हैं. देखने वाली बात ये होगी कि इस पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कब तक और क्या सफाई दी जाती है.

सिवान:कोरोना का वैक्सीन लेने के बाद लोग राहत की सांस लेते हैं. कोरोना से बचने के लिए वैक्सीन जरूरी है. लेकिन वैक्सीन लेने के एक मैसेज ने सभी को हैरान कर दिया है. दरअसल जिले में एक मृत व्यक्ति को वैक्सीन (Corona Vaccine In Siwan) देने का मामला सामने आया है. मृतक के परिजन पूछ रहे हैं कि जो इस दुनिया में नहीं है, उसे वैक्सीन (Controversy Of Covid 19 Vaccination) का दूसरा डोज कैसे दे दिया गया.

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बताया जा रहा है कि जिस व्यक्ति को कोरोना का वैक्सीन दिया गया है, उसकी मौत अप्रैल महीने में ही हो चुकी है. पांच महीने बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से मृत व्यक्ति के नाम मैसेज आया कि उसे वैक्सीन का दूसरा डोज दे दिया गया है. पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है.

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सिवान के भगवानपुर हाट प्रखंड (Bhagwanpur Hat Block) के बनसोहीं गांव के कन्हैया साह के बेटे दुलारचंद साह की इसी साल अप्रैल में मौत हो गई थी. अब उसके नाम पर वैक्सीन का डोज पड़ जाने का मैसेज आया है. शनिवार को दुलारचंद साह के घर के मोबाइल नंबर पर वैक्सीन का दूसरा डोज लेने का मैसेज आया. मृतक के परिजनों का कहना है कि जब मौत अप्रैल में ही हो गयी, तो इतने महीने बाद वैक्सीन की दूसरी डोज कैसे दी गयी.

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दुलारचंद साह की मौत को लेकर भी परिजनों ने कई सवाल खड़े किए थे. दुलारचंद की मौत संदिग्ध थी. परिजनों का कहना है कि इसी साल अप्रैल के 20 तारीख को दुलारचंद, बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र वैक्सीन का पहला डोज लेने गए थे. वहां उनका कोरोना जांच भी किया गया था. रैपिड एंटीजन किट से की गई जांच में रिपोर्ट निगेटिव आई थी. जिसके बाद उन्हें वैक्सीन का पहला डोज दिया गया था.

पहला डोज लेने के बाद दुलारचंद को ऐसा लगा कि अब कोरोना को हराना आसान होगा. लेकिन रात में जब पूरा परिवार सो रहा था. उसी दौरान दुलारचंद की तबीयत खराब होने लगी. उन्हें सांस लेने में परेशानी शुरू हुई. परिजन तुरंत उन्हें इलाज के लिए जिला मुख्यालय ले गए थे. लेकिन दुलालचंद को बचाया नहीं जा सका. अगले दिन उनकी मौत हो गई थी.

परिजनों ने बताया कि दुलारचंद की मौत आज तक संदिग्ध ही है. वहीं शनिवार को मोबाइल पर कोविशिल्ड का दूसरा डोज देने का मैसेज आया. मैसेज देख सभी परेशान हो गए. इतना ही नहीं जब कोविन पोर्टल से सर्टिफिकेट डाउनलोड किया गया तो सर्टिफिकेट में दोनों डोज लेने की पुष्टि देख परिजन हक्के बक्के रह गए.

बता दें कि पूरे देश में 100 करोड़ लोगों का कोरोना टीकाकरण हो चुका है. अब भी टीकाकरण अभियान जारी है. बिहार सरकार भी वैक्सीन को लेकर काफी सजग है. सभी लोगों को वैक्सीन मिल जाए, इसके लिए सरकार हर स्तर पर कोशिश कर रही है. बिहार में वैक्सीनेशन का काम तेजी से किया जा रहा है. शहर से लेकर गांव तक में लोगों को वैक्सीन मिल सके, इसकी व्यवस्था की गई है. सरकार के प्रयास की सभी तारीफ भी कर रहे हैं. लेकिन इस तरह की चूक सामने आने पर अब कई भी उठ रहे हैं. देखने वाली बात ये होगी कि इस पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से कब तक और क्या सफाई दी जाती है.

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