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सीतामढ़ी: युवा कांग्रेस अध्यक्ष ने कर्नल कमरुल जामा के पिता को किया सम्मानित - ब्रह्मोस मिसाइल

कर्नल कमरुल के घर में माता-पिता और पांच बहन हैं. सभी को अपने इस लाल पर गर्व है. कमरुल जमा के पिता गुलाम मुस्तफा ने कहा कि अपने बेटे की इस कामयाबी पर वह काफी खुश हैं.

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Published : Jan 27, 2021, 12:45 PM IST

सीतामढ़ी: जिला मुख्यालय डुमरा के विश्वनाथ पुर में बुधवार को कमरुल जमा के पिता को कांग्रेस के जिला युवा अध्यक्ष शम्स शाहनवाज ने सम्मानित किया. कमरुल जमा सीतामढ़ी के डुमरा प्रखंड के एक छोटे से गांव के हैं. उन्होंने इस बार गणतंत्र दिवस की परेड पर ब्रह्मोस मिसाइल की अगुवाई की.

साधारण परिवार से आते हैं कमरूल
कमरुल जमा एक साधारण से परिवार से आते हैं और वे सेना में कर्नल के पद पर हैं. ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना का वह अचूक शस्त्र है, जो धरती से धरती पर मारक क्षमता रखता है. 400 किलोमीटर की मारक क्षमता रखने वाला यह हथियार देश की आन-बान और शान का प्रतीक है. इसकी गति ध्वनी की रफ्तार से भी तीन गुणी ज्यादा है. कमरुल जमा की इस उपलब्धि पर उनके घर परिवार और गांव के लोग काफी गर्व महसूस कर रहे हैं. उनके पिता एक छोटे-से रोजगार के जरिये अपनी जीविका चलाते हैं.

परिवार को अपने लाल पर गर्व
कर्नल कमरुल के घर में माता-पिता और पांच बहन हैं. सभी को अपने इस लाल पर गर्व है. कमरुल जमा के पिता गुलाम मुस्तफा ने कहा कि अपने बेटे की इस कामयाबी पर वह काफी खुश हैं. उन्हें अपने बेटे पर गर्व है. उन्होंने कहा कि उनके सपने को उनके बेटे ने साकार किया है. पूरा परिवार कमरुल की कामयाबी पर काफी खुश है.

ये भी पढ़ेः गणतंत्र दिवस परेड में ब्रह्मोस दस्ते को लीड करेंगे सीतामढ़ी के लाल, जिले में खुशी का माहौल

गांव में जश्न का माहौल
बता दें कि कैप्टन कमरुल जमा अपने पांच बहनों में एकलौते भाई हैं. उन्होंने साल 2012 में आर्मी ज्वाइन की और अपने हुनर के बलपर लगातार कामयाबी हासिल करते रहे. कमरुल जमा साल 2018 में लेफटिनेंट बने और साल 2020 में वे कप्तान बने. गणतंत्र दिवस पर ब्रह्मोस मिसाइल का नेतृत्व करने को लेकर लगातार कमरुल के पिता को राजनीतिक पार्टी के नेता बधाई दे रहे हैं. वहीं उनके गांव में जश्न का माहौल है.

सीतामढ़ी: जिला मुख्यालय डुमरा के विश्वनाथ पुर में बुधवार को कमरुल जमा के पिता को कांग्रेस के जिला युवा अध्यक्ष शम्स शाहनवाज ने सम्मानित किया. कमरुल जमा सीतामढ़ी के डुमरा प्रखंड के एक छोटे से गांव के हैं. उन्होंने इस बार गणतंत्र दिवस की परेड पर ब्रह्मोस मिसाइल की अगुवाई की.

साधारण परिवार से आते हैं कमरूल
कमरुल जमा एक साधारण से परिवार से आते हैं और वे सेना में कर्नल के पद पर हैं. ब्रह्मोस मिसाइल भारतीय सेना का वह अचूक शस्त्र है, जो धरती से धरती पर मारक क्षमता रखता है. 400 किलोमीटर की मारक क्षमता रखने वाला यह हथियार देश की आन-बान और शान का प्रतीक है. इसकी गति ध्वनी की रफ्तार से भी तीन गुणी ज्यादा है. कमरुल जमा की इस उपलब्धि पर उनके घर परिवार और गांव के लोग काफी गर्व महसूस कर रहे हैं. उनके पिता एक छोटे-से रोजगार के जरिये अपनी जीविका चलाते हैं.

परिवार को अपने लाल पर गर्व
कर्नल कमरुल के घर में माता-पिता और पांच बहन हैं. सभी को अपने इस लाल पर गर्व है. कमरुल जमा के पिता गुलाम मुस्तफा ने कहा कि अपने बेटे की इस कामयाबी पर वह काफी खुश हैं. उन्हें अपने बेटे पर गर्व है. उन्होंने कहा कि उनके सपने को उनके बेटे ने साकार किया है. पूरा परिवार कमरुल की कामयाबी पर काफी खुश है.

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गांव में जश्न का माहौल
बता दें कि कैप्टन कमरुल जमा अपने पांच बहनों में एकलौते भाई हैं. उन्होंने साल 2012 में आर्मी ज्वाइन की और अपने हुनर के बलपर लगातार कामयाबी हासिल करते रहे. कमरुल जमा साल 2018 में लेफटिनेंट बने और साल 2020 में वे कप्तान बने. गणतंत्र दिवस पर ब्रह्मोस मिसाइल का नेतृत्व करने को लेकर लगातार कमरुल के पिता को राजनीतिक पार्टी के नेता बधाई दे रहे हैं. वहीं उनके गांव में जश्न का माहौल है.

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