सीतामढ़ी: डॉ भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी का जगन्नाथ सिंह महाविद्यालय चंदौली अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. 1959 में स्थापित इस महाविद्यालय में 3000 से अधिक छात्र-छात्राओं के भविष्य के साथ खुलेआम खिलवाड़ हो रहा है. कॅालेज में ना तो प्रोफेसर है और ना ही कर्मी. सरकार की उदासीनता के कारण जेएस कॉलेज चंदौली की स्थिति बदतर हो गई है. शिक्षकों व संसाधनों की कमी के कारण छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है.
कॉलेज में शिक्षकों व संसाधनों की कमी के अलावे कक्षा संचालित करने के लिए कमरा भी नहीं है. इस कॉलेज में शौचालय और पेयजल की भी समस्या वर्षों से बनी हुई है. लिहाजा इस कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को पढ़ाई में तमाम तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है. यहां इंटर से लेकर स्नातक प्रतिष्ठा तक की पढ़ाई होती है. इस कॉलेज में 18 प्रोफेसर की जगह मात्र दो शिक्षक कार्यरत्त हैं. जबकि16 पद रिक्त पड़ा हुआ है. केवल हिंदी और रसायन विभाग में एक-एक असिस्टेंट प्रोफेसर हैं.
कॅालेज का प्रयोगशाला प्रायोगिक उपकरणों से लैस है. लेकिन प्रयोग कराने वाला कोई भी कर्मी उपलब्ध नहीं है. शिक्षकों की कमी और संसाधनों के अभाव में यह शैक्षणिक संस्थान चारागाह बन गया है. यहां पढ़ने वाले बच्चे ज्ञान के अभाव में अनुशासनहीनता का परिचायक बने हुए हैं. कॉलेज के प्रिंसिपल और छात्र-छात्राओं ने बताया कि प्रोफेसर के अभाव में यहां किसी भी विषय की पढ़ाई नहीं होती है. कॅालेज में सिर्फ फॉर्म भरने और परीक्षा देने के लिए छात्र-छात्राएं आते हैं.
रिक्त पदों का संख्या
कॉलेज के प्रिंसिपल के अनुसार प्रोफेसर का 18 पद सृजित है. जिसमें केवल 2 प्रोफेसर आते है. हालांकि 2 वर्ष पूर्व तक 18 में केवल 1 ही प्रोफेसर आते थे. वही चतुर्थवर्गीय कर्मियोंमे 12 की जगह 7 तैनात है. लेखापाल, लाइब्रेरियन, कैसियर, क्लर्क, पीटीटी, लिपिक, बिल क्लर्क, स्टोर कीपर और चपरासी का पद खाली पड़ा है. वही, तृतीय वर्ग के कर्मियों में 14 की जगह 7 कार्यरर्त्त हैं.
शिक्षक विहीन विभाग
इस कॉलेज का अंग्रेजी, इतिहास, अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, फिलॉस्फी, फिजिक्स, केमेस्ट्री, बॉटनी, जियोलॉजी और मैथ सहित अन्य विभाग प्रोफेसर विहीन है. इसलिए इन विभागों में नामांकन लेने वाले छात्रो नामांकन के बाद सिर्फ परीक्षा देने ही आते हैं.
छात्र-छात्राओं की संख्या
कॉलेज में इंटर से लेकर स्नातक तृतीय वर्ष तक 3000 छात्र-छात्रा नामांकित है. जबकि कॉलेज में पांच कमरे एक दो शौचालय (एक महिला और एक पुरुष) है. वहीं पानी पीने के नाम पर एक मात्र चापाकल लगाया गया है. सत्र 2018-20 में कॉलेज के इंटर प्रथम वर्ष कला संकाय में 512, साइंस में 512, छात्र-छात्रा नामांकित है. इतने ही छात्र-छात्रा सत्र 2019-21 में नामांकित हुए है. इसके अलावा स्नातक प्रतिष्ठा कला संकाय में 434 और विज्ञान संकाय में 434 छात्र-छात्रा नामांकित हैं. इतने ही छात्र छात्रा पार्ट 2 और पार्ट 3 में भी नामांकित है.
पुस्तकालय की बदहाली
गौरतलब है कि चंदौली गांव के शिक्षाविद स्वर्गीय जगन्नाथ प्रसाद सिंह ने कॉलेज की स्थापना के लिए 14 एकड़ जमीन दान में दी थी. कॉलेज में एक पुस्तक विहीन पुस्तकालय संचालित है. इस पुस्तकालय के कर्मियों ने बताया कि कुछ वर्ष पूर्व तक पुस्तकालय में छात्र-छात्राओं के लिए अच्छी-अच्छी पुस्तकें उपलब्ध थी. लेकिन कॉलेज में दबंग छात्र पढ़ने के लिए ले गए पुस्तक आज तक वापस नहीं किए. लिहाजा धीरे-धीरे पुस्तकालय खाली होता चला गया. आज पुस्तकालय में छात्र-छात्राओं के लिए कोई भी ज्ञानवर्धक किताब उपलब्ध नहीं है.
कॉलेज बना अखाड़ा
शैक्षणिक वातावरण नहीं होने के कारण कॉलेज में अनुशासनहीनता चरम पर है. यहां नामांकित छात्र पढ़ाई के बदले आवारागर्दी पर उतारू रहते हैं. प्रतिदिन कॉलेज परिसर में वर्चस्व को लेकर मारपीट और गाली-गलौज का माहौल कायम रहता है. इसे नियंत्रित करने में कॉलेज के प्रिंसिपल व कर्मी परहेज करते हैं. क्योंकि अनुशासन हीन छात्र अब तक कई बार प्रोफेसर व कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार कर चुके हैं. लिहाजा कॉलेज के प्रिंसिपल और कर्मी मूकदर्शक बने रहते हैं.