सीतामढ़ी: रीगा शुगर मिल बंद होने के कगार पर है. सीतामढ़ी और शिवहर जिले के गन्ना किसान परेशान है. गन्ना किसानों का फसल अभी खेतों में लगा है. जिसे जलाने का निर्णय लिया गया है. ऐसे में मिल के प्रबंधक का कहना है कि बगैर सरकारी मदद से शुगर मिल नहीं खुल सकती है.
मिल पर किसानों का 60 करोड़ बकाया
मिल मालिक की माने तो पहले से ही करीब साठ करोड़ रूपये गन्ना किसानों का बकाया है. रीगा चीनी मिल लगातार घाटे में चल रहा है. वहीं, इस बार तो हद हो गयी अभी तक चीनी मिल चालू नहीं होने से सीतामढ़ी, शिवहर और मुजफ्फपुर जिले के साठ हजार से अधिक किसानों में त्राहिमाम मचा हुआ है. सीतामढ़ी और शिवहर जिले में करीब 150 करोड़ रुपए का गन्ने का फसल खेतों में है. अब बर्बाद होने की कगार पर है. वहीं, सीतामढ़ी जिले के इकलौता रीगा चीनी मिल मालिक के अड़ियल रवैए से बंद होने के कगार पर पहुंच गया है. बिहार का ग्यारहवां रीगा चीनी मिल अब बंद होने के कगार पर है. अभी भी 150 करोड़ रुपये के गन्ने का फसल सीतामढ़ी और शिवहर के खेतों में लगा हुआ है.
पढ़ें: 2020 की 'टीस' को इस तरह भरना चाहता है पटना नगर निगम
गन्ने की फसल को खेतों में ही जलाने का निर्णय
हालात ये है कि कई किसानों ने खेतों में खड़ी गन्ना की फसल जला देने का निर्णय तक ले लिया है. कई किसानों ने बताया कि पहले ही से लाखों-करोड़ों रुपये मिल पर बकाया है. इस बार खेत में ही गन्ना फसल खड़ा है. गन्ना और मिल अबतक चालू नहीं हुआ है, लेकिन रोज चीनी मिल का चक्कर जरूर लगा रहे है कि मिल चालू हो जाये, लेकिन अब उनकी उम्मीद भी नाउम्मीदी में तब्दील होती जा रही है. कई किसानों ने तो 290 से 315 रुपये मूल्य क्विटंल का गन्ना 100 से 180 रूपये क्विंटल में दलालों को बेचने के लिए मजबूर हैं. जिससे लागत की कुछ रकम तो वसूल हो जाये.
एक वक्त 29 चीनी मिले थी, अब 11
दूसरी ओर किसान नेता और सामाजिक कार्यकर्ता नागेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि ये समस्या सिर्फ सीतामढ़ी जिले की नहीं पूरे मिथिलांचल का एक मात्र चीनी मिल बंद होने की कगार पर है. सरकार, प्रशासन और जन प्रतिनिधियों को पहल कर किसी तरह मिल को चलाने का प्रयास करना चाहिए. एक समय था जब 29 चीनी मिल थे, अब सिर्फ ग्यारह बचे हैं.
पढ़ें: बड़ी कठिन है मंत्रिमंडल विस्तार की डगर
प्रबंधक अलग ही राग अलापा
जब मिल प्रबंधक से पूछा गया तो उन्होंने अपना अलग ही राग अलापना शुरु किया. उनके मुताबिक, कुछ असामाजिक तत्व नहीं चाहते कि चीनी मिल चालू हो. गौरतलब हो कि कुछ मजदूरों को मिल प्रबंधन निकालकर मिल शुरू करना चाहता है, लेकिन यूनियन वर्कस मानने को तैयार नहीं. मिल प्रबंधन और यूनियन की लड़ाई का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है.
हालांकि चीनी मिल प्रबंधन ने दावा किया है कि वो घाटे के बावजूद किसानों के हित में मिल चालू करने को तैयार है. जिसके लिए माइकिंग भी करायी जा रही है, लेकिन कुछ वर्करों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई को जरुरी भी बता रहे हैं.