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सीतामढ़ीः सरकारी अस्पताल का हाल, मरीजों की जान के साथ हो रहा खिलवाड़

सिविल सर्जन डॉ. कामेश्वर प्रसाद ने बताया कि स्वास्थ्य कर्मी के अलावा अन्य व्यक्ति से मरीजों का इलाज करवाना नियम के विरुद्ध है. इस मामले की जांच कराई जाएगी और इस परंपरा पर रोक लगाने के लिए प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है. आगे से ऐसा नहीं किया जाएगा.

Sitamarhi
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Published : Mar 18, 2020, 12:34 PM IST

सीतामढ़ीः जिले के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों मरीजों की जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जाता है. इलाज के लिए अस्पताल आए मरीजों का इलाज स्वास्थ्यकर्मी नहीं करते हैं. बल्कि आम लोग करते हैं. यह मरीजों के लिए घातक साबित हो रहा है. इसका नतीजा है कि मरीजों का मर्ज तो ठीक नहीं होता. लेकिन उनकी मुसीबत और ज्यादा बढ़ जाती है.

स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति
ऐसा ही एक मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलसंड में देखने को मिला. जहां 14 वर्षीय धीरज कुमार को डायरिया पीड़ित होने के बाद उसके परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया. इसके बाद अस्पताल में धीरज को सूई देने वाला कोई प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी मौजूद नहीं था. लिहाजा राजा नामक युवक भर्ती धीरज को इंजेक्शन लगाने की कोशिश करता रहा. लेकिन चार से पांच जगहों पर निडिल लगाने के बावजूद वो धीरज को इंजेक्शन देने में सफल नहीं हो पाया. इस स्थिति को देखते हुए मरीज के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. बाद में अस्पताल की नर्स को बुलाकर धीरज को सूई दिलवाई गई. इसके बाद मरीज की हालत में सुधार होना शुरू हुआ.

देखें पूरी रिपोर्ट

अस्पताल में कर्मियों की कमी
इस संबंध में पूछे जाने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. हेमंत कुमार ने बताया कि अस्पताल में चिकित्सक से लेकर अन्य कर्मियों की भारी कमी है. इसलिए वैसे कर्मी से चिकित्सा का काम लेना पड़ता है. जो अन्य कामों को निपटाने के लिए हॉस्पिटल में तैनात किए गए हैं. यहां तक कि डाटा ऑपरेटर की मदद भी मरीज की चिकित्सा के लिए लेना पड़ता है. वर्षों से डॉक्टर फार्मासिस्ट टेक्नीशियन ड्रेसर सहित अन्य पद रिक्त पड़ा हुआ है. जिसका खासा असर चिकित्सा सेवा पर पड़ रहा है.

सीतामढ़ीः जिले के सरकारी अस्पतालों में इन दिनों मरीजों की जान के साथ खुलेआम खिलवाड़ किया जाता है. इलाज के लिए अस्पताल आए मरीजों का इलाज स्वास्थ्यकर्मी नहीं करते हैं. बल्कि आम लोग करते हैं. यह मरीजों के लिए घातक साबित हो रहा है. इसका नतीजा है कि मरीजों का मर्ज तो ठीक नहीं होता. लेकिन उनकी मुसीबत और ज्यादा बढ़ जाती है.

स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति
ऐसा ही एक मामला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बेलसंड में देखने को मिला. जहां 14 वर्षीय धीरज कुमार को डायरिया पीड़ित होने के बाद उसके परिजनों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया. इसके बाद अस्पताल में धीरज को सूई देने वाला कोई प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी मौजूद नहीं था. लिहाजा राजा नामक युवक भर्ती धीरज को इंजेक्शन लगाने की कोशिश करता रहा. लेकिन चार से पांच जगहों पर निडिल लगाने के बावजूद वो धीरज को इंजेक्शन देने में सफल नहीं हो पाया. इस स्थिति को देखते हुए मरीज के परिजनों ने अस्पताल में जमकर हंगामा किया. बाद में अस्पताल की नर्स को बुलाकर धीरज को सूई दिलवाई गई. इसके बाद मरीज की हालत में सुधार होना शुरू हुआ.

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अस्पताल में कर्मियों की कमी
इस संबंध में पूछे जाने पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. हेमंत कुमार ने बताया कि अस्पताल में चिकित्सक से लेकर अन्य कर्मियों की भारी कमी है. इसलिए वैसे कर्मी से चिकित्सा का काम लेना पड़ता है. जो अन्य कामों को निपटाने के लिए हॉस्पिटल में तैनात किए गए हैं. यहां तक कि डाटा ऑपरेटर की मदद भी मरीज की चिकित्सा के लिए लेना पड़ता है. वर्षों से डॉक्टर फार्मासिस्ट टेक्नीशियन ड्रेसर सहित अन्य पद रिक्त पड़ा हुआ है. जिसका खासा असर चिकित्सा सेवा पर पड़ रहा है.

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