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सीतामढ़ी: रेलवे ट्रैक से बरामद हुआ नवजात, शारीरिक विकृति का है शिकार - police

मिली जानकारी के मुताबिक बच्चे के शरीर में इन्फेक्शन भी काफी हो चुका है. आशंका जताई जा रही है कि इसी वजह से मां नवजात को लावारिस हालत में छोड़कर चली गई.

नवजात
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Published : Jul 1, 2019, 7:35 PM IST

सीतामढ़ी: जिले से एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है. दरअसल, एक मां ने अपने नवजात को जन्म देकर उसे लावारिस छोड़ दिया. मां ने नवजात को रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 4 के रेल ट्रैक पर फेंक दिया. रोते-बिलखते नवजात को जीआरपी के जवानों ने उठाया और इसकी सूचना चाइल्ड लाइन को दी.चाइल्ड

लाइन कर्मी की मदद से नवजात को सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया है. फिलहाल, बीमार नवजात जीवन और मौत के बीच झूल रहा है. नवजात का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना है कि शारीरिक विकृति के कारण बच्चा जीवन से संघर्ष कर रहा है.

डॉक्टर का बयान

इस बीमारी से जूझ रहा है बच्चा
डॉक्टर ने कहा कि फोलिक एसिड डिफिशिएंसी के कारण नवजात के कई शारीरिक अंग विकृत हो गए हैं. मस्तिष्क के विकासित नहीं होने के कारण मुंह की आकृति अन्य नवजात से अलग और भयावह दिख रहा है. साथ ही उसके हाथ, तालू, आंख और अन्य अंगों का विकास भी सामान्य नवजात की तरह नहीं हो पाया है.

डॉक्टर जता रहे यह आशंका
मिली जानकारी के मुताबिक बच्चे के शरीर में इन्फेक्शन भी काफी हो चुका है. आशंका जताई जा रही है कि इसी वजह से मां ने नवजात को फेंक दिया होगा. फिलहाल, नवजात को बेहतर इलाज के लिए एसकेएमसीएच रेफर किया जाएगा.

11 हजार में से 1 बच्चे में होती है ऐसी विकृति
डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह की विकृति 11 हजार बच्चों में से किसी एक बच्चे में पाई जाती है. जिसका इलाज काफी महंगा भी है. अगर जन्म देने वाली मां गर्भावस्था में ही समय-समय पर अल्ट्रासाउंड और अन्य जांच कराए तो इस विकृति का पता पहले ही लग जाता है, जिसका उपचार किया जाता है.

सीतामढ़ी: जिले से एक दिल को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है. दरअसल, एक मां ने अपने नवजात को जन्म देकर उसे लावारिस छोड़ दिया. मां ने नवजात को रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 4 के रेल ट्रैक पर फेंक दिया. रोते-बिलखते नवजात को जीआरपी के जवानों ने उठाया और इसकी सूचना चाइल्ड लाइन को दी.चाइल्ड

लाइन कर्मी की मदद से नवजात को सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया है. फिलहाल, बीमार नवजात जीवन और मौत के बीच झूल रहा है. नवजात का इलाज कर रहे डॉक्टर का कहना है कि शारीरिक विकृति के कारण बच्चा जीवन से संघर्ष कर रहा है.

डॉक्टर का बयान

इस बीमारी से जूझ रहा है बच्चा
डॉक्टर ने कहा कि फोलिक एसिड डिफिशिएंसी के कारण नवजात के कई शारीरिक अंग विकृत हो गए हैं. मस्तिष्क के विकासित नहीं होने के कारण मुंह की आकृति अन्य नवजात से अलग और भयावह दिख रहा है. साथ ही उसके हाथ, तालू, आंख और अन्य अंगों का विकास भी सामान्य नवजात की तरह नहीं हो पाया है.

डॉक्टर जता रहे यह आशंका
मिली जानकारी के मुताबिक बच्चे के शरीर में इन्फेक्शन भी काफी हो चुका है. आशंका जताई जा रही है कि इसी वजह से मां ने नवजात को फेंक दिया होगा. फिलहाल, नवजात को बेहतर इलाज के लिए एसकेएमसीएच रेफर किया जाएगा.

11 हजार में से 1 बच्चे में होती है ऐसी विकृति
डॉक्टर्स का कहना है कि इस तरह की विकृति 11 हजार बच्चों में से किसी एक बच्चे में पाई जाती है. जिसका इलाज काफी महंगा भी है. अगर जन्म देने वाली मां गर्भावस्था में ही समय-समय पर अल्ट्रासाउंड और अन्य जांच कराए तो इस विकृति का पता पहले ही लग जाता है, जिसका उपचार किया जाता है.

Intro:पत्थर दिल माँ ने जन्म देकर नवजात को स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 4 पर फेंका। जीआरपी ने किया बरामद। इलाज के लिए सदर अस्पताल में कराया गया भर्ती।


Body:सीतामढ़ी में एक माँ ने अपने नवजात को जन्म देकर उसे रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या 4 के रेल ट्रैक पर फेंक दिया। रोते बिलखते नवजात को जीआरपी के जवानों ने देखा तो इसकी सूचना चाइल्ड लाइन को दी। चाइल्ड लाइन के कर्मी की मदद से उस नवजात को सदर अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया है। जहां बीमार नवजात जीवन और मौत से संघर्ष कर रहा है। वार्ड में नवजात का इलाज कर रहे चिकित्सक ने बताया कि शारीरिक विकृति के कारण बच्चा जीवन से संघर्ष कर रहा है। फोलिक एसिड डिफिशिएंसी के कारण नवजात का कई शारीरिक अंग विकृत हो गया है। उसका मस्तिष्क विकास नहीं होने के कारण मुंह की आकृति अन्य नवजात से अलग और भयावह दिख रहा है। साथ ही उसके हाथ तालु आंख व अन्य अंगों का विकास भी सामान्य नवजात की तरह नहीं हो पाया है। बच्चे के शरीर में इन्फेक्शन भी काफी हो चुका है। और इसे बेहतर इलाज के लिए एसकेएमसीएच रेफर किया जाएगा। लगता है शारीरिक विकृति के कारण ही लाचारी वश किसी मां ने 1 सप्ताह जन्म देने के बाद उसे रेल ट्रैक पर फेंक गई हो। चिकित्सा विशेषज्ञों का बताना है कि इस तरह की विकृति 11हजार बच्चों में से किसी एक बच्चे में देखने को मिल जाता है। और इसका इलाज काफी महंगा भी है। इसलिए अगर जन्म देने वाली मां गर्भावस्था में ही समय-समय पर अल्ट्रासाउंड व अन्य जांच कराई होती तो इस विकृति का पता पहले ही लग जाता। और उस दौरान विकृत नवजात का कई प्रकार से उपचार कर इसका समाधान निकाला जा सकता था। लेकिन समय पर जांच नहीं कराने का नतीजा है कि जन्म लेने के बाद जब इस विकृत नवजात को उसकी माँ और परिवार वालों ने देखा होगा। और इसका इलाज नहीं करा पाने की स्थिति में उसने अपने कोख से जन्म देकर भी लाचारी वर्ष उसे रेल ट्रैक पर फेंक गई होगी। ऐसी संभावना जताई जा रही है। लेकिन हो सकता है सामाजिक लोक लाज के कारण फेंके जाने का कोई दूसरा भी कारण हो। विजुअल----1. बाइट--1. नोडल चिकित्सा पदाधिकारी। एसएनसीयू वार्ड सदर अस्पताल।


Conclusion:अज्ञात नवजात की चिकित्सा कर रहा है डॉक्टर ने बताया कि चाइल्ड लाइन के कर्मी व पुलिस की प्रक्रिया पूरी करने के बाद नवजात को बेहतर इलाज के लिए एसकेएमसीएच भेजा जाएगा। अगर उसे जीवनदान मिल जाता है। तो अब चाइल्ड लाइन के ऊपर निर्भर करता है कि उस बच्चे की देख रेख या एडॉप्शन की प्रक्रिया वह कैसे करवाते हैं।
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