पटना: यूं तो राजनेताओं की संपत्ति 5 साल में दो सौ गुना से ज्यादा बढ़ जाती है. भ्रष्टाचार के आरोप भी राजनेताओं पर लगते रहे हैं. लेकिन भीड़ में कुछ ऐसे नेता भी हैं, जो लोकतंत्र के लिए मिसाल हैं. राजनीति की दुनिया को आईना दिखा रहे हैं. बिहार में एक ऐसे ही विधान पार्षद हैं, जिन्होंने 18 सालों से अपना वेतन नहीं लिया.
हम बात कर रहे हैं देवेश चंद्र ठाकुर की, जो साल 2002 से अब तक विधान पार्षद हैं. तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र एमएलसी देवेश चंद्र ठाकुर ने अपने वेतन मद से एक भी रुपया नहीं लिया है. तीन बार चुनाव जीत चुके हैं देवेश चंद्र ठाकुर चौथी बार चुनावी मैदान में हैं.
क्या कहते हैं देवेश चंद्र ठाकुर
एमएलसी देवेश चंद्र ठाकुर ने ईटीवी भारत से बात करते हुए बताया कि आखिर वो वेतन क्यों नहीं लेते हैं. देवेश चंद्र ने बताया कि अक्सर मैंने लोगों के मुंह से सुना था कि वो नेताओं के बारे में क्या बोलते हैं. लोग कहते हैं कि कल तक साइकिल से चलने वाला आज सूमो से चल रहा है. लोग जन प्रतिनिधियों से नाराज रहते हैं. मैं कोई व्यवसायी नहीं हूं.
उन्होंने कहा कि जनता मेरे ऊपर दोषारोपण न करे कि कल को मैं क्या था और आज क्या हो गया. इसलिए मैंने जनता से वादा किया कि जब तक मैं विधान पार्षद रहूंगा, मैं अपना वेतन नहीं लूंगा.
18 साल का वेतन कुछ ऐसे किया गया खर्च
- पहले कार्यकाल का पैसा देवेश चंद्र ठाकुर ने मुख्यमंत्री राहत कोष में दे दिया था.
- उसके बाद वेतन मद में जो रकम आई, उसका उपयोग स्कूल और कॉलेज के विकास में किया.
- विधान परिषद के सभापति जाबिर हुसैन से उन्होंने अनुरोध किया था कि मैं वेतन का पैसा नहीं लेना चाहता हूं. लेकिन सभापति ने कहा कि प्रावधान यहां नहीं है इसे आप किसी दूसरे मद में दे सकते हैं.
- इसके बाद उन्होंने खुद वेतन न उठाते हुए इसे अन्य मदों में ट्रांसफर करवा दिया.