सीतामढ़ी: छठ पूजन करने वाले श्रद्धालुओं को महंगाई की मार झेलने पड़ रही है. सभी तरह के पूजन सामग्री के दामों में काफी वृद्धि देखने को मिल रही है. लिहाजा छठ वर्ती कोरोना काल के इस मंदी के दौर में जरूरत भर के सामानों की खरीदारी कर रहे हैं.
छठ में उपयोग में लाए जाने वाले फल केला, नारियल फल, शिंगाहरा फल के दामों में काफी बढ़ोतरी देखी जा रही है. वहीं ढकिया, सूप, मिट्टी के बर्तन के दाम भी आसमान छू रहे हैं. इस कारण गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार के श्रद्धालुओं की शिकायत है कि सरकार द्वारा महंगाई पर अंकुश नहीं लग पाने के कारण लोक आस्था का महापर्व छठ पूजन पर इसका व्यापक असर पड़ रहा है.
दो गुणे दामों पर बिक रहे केले और नारियल
खरीदारी करने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि पिछले साल छठ पर्व पर केला 20 से ₹25 दर्जन मिल रहा था. इस बार ₹40 से 45 रुपए दर्जन बिक रहा है. पिछले साल 40 से ₹50 जोड़ा नारियल की खरीद की गई थी. लेकिन वही नारियल इस बार ₹80 जोड़ा खरीदना पड़ रहा है. विगत वर्ष बांस के बने सूप की बिक्री 20 से ₹25 प्रति पीस की दर से किया गया था. लेकिन इस बार सूप 30 से ₹40 प्रति पीस की दर से मिल रहा है. वहीं ₹40 किलो बिकने वाला गुड़ 50 से ₹60 प्रति किलो की दर से बिक रहा है. सेब विगत वर्ष 60 से ₹70 प्रति किलो की दर से बिक्री की गई थी. लेकिन इस बार 90 से ₹100 प्रति किलो की दर से सेब की बिक्री की जा रही है. उसी प्रकार से साठी धान और मिट्टी के बर्तन में भी काफी वृद्धि कर दी गई है. साथ ही बांस का बना ढ़किया विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष महंगे बेचे जा रहे हैं.
2019 में दाम | 2020 में दाम |
केला- ₹25 दर्जन | 45 रुपए दर्जन |
नारियल-₹50 जोड़ा | ₹80 जोड़ा |
सूप-₹25 प्रति पीस | ₹40 प्रति पीस |
गुड़-₹40 प्रति किलो | ₹60 प्रति किलो |
सेब- ₹70 प्रति किलो | ₹100 प्रति किलो |
खरीद ही मंहगी हुई है इस बार- विक्रेता
वहीं इस संबंध में पूछे जाने पर पूजन सामग्री विक्रेता ने बताया कि विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष पूजन सामग्री की खरीद महंगे दामों पर की गई है. लिहाजा महंगे दर से उसकी बिक्री की जा रही है. केला विक्रेता ने कहा कि इस बार बाढ़ की तबाही के कारण केला की फसल हर जगह तबाह हो गई. इसलिए महंगे दरों पर केले की खरीद की गई है. इसलिए विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष महंगे दर पर उसकी बिक्री की जा रही है. उसी प्रकार बांस का सूप और ढकिया बनाने वाला कारीगर का बताना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल महंगे दामों पर बांस की खरीद हुई है. इसलिए सूप और ढकिया महंगे दरों पर बेचे जा रहे हैं.