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Lockdown में भुखमरी की कगार पर फल विक्रेता, सरकार से लगा रहे मदद की गुहार - लॉक डाउन से फलों की बिक्री पर असर

लॉकडाउन की वजह से फल विक्रेता भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. उनके फल नहीं बिक रहे हैं और विक्रेता खराब फलों को फेंकने पर मजबूर हैं. बेबस व्यापारी अब सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

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Published : May 17, 2020, 9:02 PM IST

Updated : May 17, 2020, 10:14 PM IST

सीतामढ़ी: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन से फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर दुकानदारी करने वाले लोग भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. रेहड़ी लगाकर फल सब्जी बेचने वाले दुकानदारों के सामान नहीं बिक रहे हैं. लॉकडाउन को लेकर ग्राहक फल खरीदने नहीं आ रहे हैं. इससे दुकानदार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें अपने परिवार के भरण पोषण करने में भी कठिनाई हो रही है.

लॉक डाउन की दोतरफा मार
फल विक्रेता ने बताया कि लॉक डाउन के बाद से फलों की बिक्री नहीं हो रही है. वो जो फल होल-सेल से खरीद कर ला रहे हैं उनकी बिक्री हो पा रही है. इसके कारण उनके फल खराब हो रहे हैं और खराब फलों को फेंकने को वो मजबूर है. लॉक डाउन को लेकर फल भी महंगे हो गए हैं इसीलिए उन्हें भी फलों को ऊंची कीमतों में बेचना पड़ रहा है. कोरोना वायरस के संक्रमण का डर अब आम के फलों की बिक्री पर भी देखा जा रहा है. पहले मई के महीने में आम की बिक्री होती थी लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से भी लोग आमों की खरीदारी नहीं कर रहे हैं. पहले मई के महीने में फुटपाथ पर आम बेचने वाले लोग रोजाना 1 हजार से 15 सौ की कमाई कर लेते थे. लेकिन उनके लिए अब 100-200 की भी कमाई करना भी मुश्किल हो रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार से मदद की आस
फल विक्रेताओं ने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर सरकार ने जब लॉक डाउन लागू किया है, उसके बाद से फलों की बिक्री पर असर पड़ा है. फल पहले की तरह नहीं बिक रहे हैं. इस महामारी को लेकर लोगों के जेहन में एक डर घर कर गया है. अब लोग फलों की खरीदारी करने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि अब फुटपाथ पर फल बेचने वाले दुकानदारों को सरकार से मदद की आस है. सभी फुटकर फल विक्रेता ही सरकार की ओर देख रहे हैं कि घोषणाओं के अनुसार बैंक उन्हें कर्ज देती है या नहीं.

सीतामढ़ी: कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए जारी लॉकडाउन से फुटपाथ पर रेहड़ी लगाकर दुकानदारी करने वाले लोग भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. रेहड़ी लगाकर फल सब्जी बेचने वाले दुकानदारों के सामान नहीं बिक रहे हैं. लॉकडाउन को लेकर ग्राहक फल खरीदने नहीं आ रहे हैं. इससे दुकानदार को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें अपने परिवार के भरण पोषण करने में भी कठिनाई हो रही है.

लॉक डाउन की दोतरफा मार
फल विक्रेता ने बताया कि लॉक डाउन के बाद से फलों की बिक्री नहीं हो रही है. वो जो फल होल-सेल से खरीद कर ला रहे हैं उनकी बिक्री हो पा रही है. इसके कारण उनके फल खराब हो रहे हैं और खराब फलों को फेंकने को वो मजबूर है. लॉक डाउन को लेकर फल भी महंगे हो गए हैं इसीलिए उन्हें भी फलों को ऊंची कीमतों में बेचना पड़ रहा है. कोरोना वायरस के संक्रमण का डर अब आम के फलों की बिक्री पर भी देखा जा रहा है. पहले मई के महीने में आम की बिक्री होती थी लेकिन कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से भी लोग आमों की खरीदारी नहीं कर रहे हैं. पहले मई के महीने में फुटपाथ पर आम बेचने वाले लोग रोजाना 1 हजार से 15 सौ की कमाई कर लेते थे. लेकिन उनके लिए अब 100-200 की भी कमाई करना भी मुश्किल हो रहा है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार से मदद की आस
फल विक्रेताओं ने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर सरकार ने जब लॉक डाउन लागू किया है, उसके बाद से फलों की बिक्री पर असर पड़ा है. फल पहले की तरह नहीं बिक रहे हैं. इस महामारी को लेकर लोगों के जेहन में एक डर घर कर गया है. अब लोग फलों की खरीदारी करने से कतरा रहे हैं. यही वजह है कि अब फुटपाथ पर फल बेचने वाले दुकानदारों को सरकार से मदद की आस है. सभी फुटकर फल विक्रेता ही सरकार की ओर देख रहे हैं कि घोषणाओं के अनुसार बैंक उन्हें कर्ज देती है या नहीं.

Last Updated : May 17, 2020, 10:14 PM IST
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