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बाढ़ में बर्बाद फसल क्षतिपूर्ति की आस में किसानों की आंखे पथराईं, प्रशासन बेफिक्र - सर्वे का काम

किसानों ने कहा कि बाढ़ में धान, गन्ना मक्का और सभी फसलें बर्बाद हो गईं. सरकार से मदद की आस जागी थी, लेकिन अब तक सर्वे का काम भी शुरू नहीं किया गया है.

मदद की आस में बैठै हैं किसान
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Published : Aug 19, 2019, 11:31 PM IST

सीतामढ़ी: जिले में बाढ़ ने जमकर तबाही मचायी थी और उस तबाही में जिले का 16 प्रखंड प्रभावित थे. हजारों हेक्टेयर में लगी धान की फसल के अलावा गन्ना, मक्का व सब्जी की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी. अब जिले से बाढ़ का पानी निकल चुका है और जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है तो अब ऐसे में बाढ़ पीड़ित किसानों की सुध लेने के लिए जिला प्रशासन का कहीं अता-पता नहीं हैं.

बाढ़ पीड़ित किसान
बाढ़ पीड़ित किसान

जिला प्रशासन ने की थी घोषणा
जब जिले में बाढ़ ने तांडव मचा रखा था, उस समय जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित किसानों के जख्म पर मरहम लगाते हुए घोषणा की थी कि बाढ़ पीड़ितों की हरसंभव सहायता व सहयोग के लिए जिला प्रशासन खड़ा है. हर बाढ़ पीड़ित किसानों को फसल क्षतिपूर्ति की राशि दी जाएगी. बकायदा इसके लिए प्रखंड स्तर पर एक सर्वे कर पीड़ित किसानों को चिन्हित कर फसल क्षतिपूर्ति की राशि भुगतान करना था, लेकिन कृषि विभाग की उदासीनता के कारण अब ये सभी बातें ख्याली पुलाव लगने लगी हैं.

जिला कृषि भवन
जिला कृषि भवन

मदद की आस में बैठै हैं किसान
इस मामले पर जब ईटीवी की टीम जिले के किसानों की सुध लेने पहुंची. तो किसानों ने कहा कि बाढ़ में धान, गन्ना मक्का सहित सभी फसलें बर्बाद हो गई थीं. सरकार से मदद की आस जागी थी लेकिन अब तक सर्वे का काम भी शुरू नहीं किया गया है. किसानों का कहना है की हमें यह भी मालूम नहीं है कि फसल क्षति की राशि किस माध्यम से मिलेगी.

किसान
किसान

किसानों में बढ़ रहा आक्रोश
जिले के परसौनी, रुनीसैदपुर, बेलसंड और कई अन्य प्रखंडों में अब तक कृषि सलाहकार और कृषि समन्वयक की ओर से पंचायतों और गांव में पीड़ित किसानों को इस मामले में कोई जानकारी नहीं दी गई है. जिससे किसानों में व्यापक असंतोष है. प्रखंड के मदनपुर गांव निवासी किसान रामलोचन सहनी और रामचंद्र बैठा का कहना है कि हमलोगों को कुछ नहीं मालूम है. हमलोगों की किसी ने अब तक सुध नहीं ली है.

मदद की आस में बैठै हैं किसान

बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में चल रहा है सर्वे का काम- कृषि पदाधिकारी
वहीं, इस मामले पर जिले के कृषि पदाधिकारी अनील कुमार का कहना है कि जिले के सभी बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में सर्वे का काम चल रहा है. सर्वे का काम पूरे होने पर उसकी रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेजी जाएगी. जिसके बाद प्रभावित किसानों के खाते में फसल क्षति की राशि भेज दी जाएगी.

सीतामढ़ी: जिले में बाढ़ ने जमकर तबाही मचायी थी और उस तबाही में जिले का 16 प्रखंड प्रभावित थे. हजारों हेक्टेयर में लगी धान की फसल के अलावा गन्ना, मक्का व सब्जी की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी. अब जिले से बाढ़ का पानी निकल चुका है और जिंदगी धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है तो अब ऐसे में बाढ़ पीड़ित किसानों की सुध लेने के लिए जिला प्रशासन का कहीं अता-पता नहीं हैं.

बाढ़ पीड़ित किसान
बाढ़ पीड़ित किसान

जिला प्रशासन ने की थी घोषणा
जब जिले में बाढ़ ने तांडव मचा रखा था, उस समय जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित किसानों के जख्म पर मरहम लगाते हुए घोषणा की थी कि बाढ़ पीड़ितों की हरसंभव सहायता व सहयोग के लिए जिला प्रशासन खड़ा है. हर बाढ़ पीड़ित किसानों को फसल क्षतिपूर्ति की राशि दी जाएगी. बकायदा इसके लिए प्रखंड स्तर पर एक सर्वे कर पीड़ित किसानों को चिन्हित कर फसल क्षतिपूर्ति की राशि भुगतान करना था, लेकिन कृषि विभाग की उदासीनता के कारण अब ये सभी बातें ख्याली पुलाव लगने लगी हैं.

जिला कृषि भवन
जिला कृषि भवन

मदद की आस में बैठै हैं किसान
इस मामले पर जब ईटीवी की टीम जिले के किसानों की सुध लेने पहुंची. तो किसानों ने कहा कि बाढ़ में धान, गन्ना मक्का सहित सभी फसलें बर्बाद हो गई थीं. सरकार से मदद की आस जागी थी लेकिन अब तक सर्वे का काम भी शुरू नहीं किया गया है. किसानों का कहना है की हमें यह भी मालूम नहीं है कि फसल क्षति की राशि किस माध्यम से मिलेगी.

किसान
किसान

किसानों में बढ़ रहा आक्रोश
जिले के परसौनी, रुनीसैदपुर, बेलसंड और कई अन्य प्रखंडों में अब तक कृषि सलाहकार और कृषि समन्वयक की ओर से पंचायतों और गांव में पीड़ित किसानों को इस मामले में कोई जानकारी नहीं दी गई है. जिससे किसानों में व्यापक असंतोष है. प्रखंड के मदनपुर गांव निवासी किसान रामलोचन सहनी और रामचंद्र बैठा का कहना है कि हमलोगों को कुछ नहीं मालूम है. हमलोगों की किसी ने अब तक सुध नहीं ली है.

मदद की आस में बैठै हैं किसान

बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में चल रहा है सर्वे का काम- कृषि पदाधिकारी
वहीं, इस मामले पर जिले के कृषि पदाधिकारी अनील कुमार का कहना है कि जिले के सभी बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में सर्वे का काम चल रहा है. सर्वे का काम पूरे होने पर उसकी रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेजी जाएगी. जिसके बाद प्रभावित किसानों के खाते में फसल क्षति की राशि भेज दी जाएगी.

Intro:जिले के कई बाढ़ प्रभावीत क्षेत्रों में अबतक नहीं हुआ फसल क्षति सर्वे का काम पुरा। पीड़ित किसानों में आक्रोश। Body: 13 जुलाई को जिले में भीषण बाढ़ आई थी। और उस तबाही में जिले का 16 प्रखंड पूरी तरीके से प्रभावित हो गया था। करीब हजारों हेक्टेयर में लगी धान की फसल के अलावे गन्ना, मक्का व सब्जी की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। अब बाढ़ का पानी उतरे हुए करीब 20 रोज हो चुका है। जिला प्रशासन ने घोषणा किया था कि सभी बाढ़ प्रभावित किसानों को फसल क्षतिपूर्ति की राशि दी जाएगी। इसके लिए प्रखंड स्तर पर पीड़ित किसानों का आवेदन लेने की प्रक्रिया करनी थी। ताकि सर्वे के द्वारा यह पता चल सके कि कितने एकड़ की फसलें क्षतिग्रस्त हुई है। और किन किन किसानों को अधिक से अधिक क्षति उठानी पड़ी है। और उसी सर्वे के माध्यम से पीड़ित किसानों को चिन्हित कर फसल क्षतिपूर्ति की राशि भुगतान की जानी है। लेकिन कृषि विभाग की उदासीनता के कारण जिले के कई ऐसे बाढ़ प्रभावित प्रखंड हैं। जहां अब तक सर्वे का काम शुरू भी नहीं किया गया है। और वहां के पीड़ित किसानों को यह पता भी नहीं है कि उन्हें फसल क्षति की राशि किस माध्यम से मिलेगी। लिहाजा किसानों में आक्रोश व्याप्त है। जिले के परसौनी रुनीसैदपुर, बेलसंड और अन्य प्रखंडों के कई पंचायतों में अब तक प्रखंड से कृषि सलाहकार और कृषि समन्वयक के द्वारा पंचायतों और गांव में पीड़ित किसानों को इस संदर्भ में कोई जानकारी नहीं दी गई है। लिहाजा इन पंचायतों के पीड़ित किसान इस आस में बैठे हुए हैं कि शायद सरकार उन तक फसल क्षतिपूर्ति की राशि देगी।लेकिन प्रक्रिया की जानकारी के अभाव में पीड़ित किसान शायद इस योजना का लाभ लेने से वंचित हो जाएंगे।
वही इस संबंध में पूछे जाने पर जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि जिले के सभी बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में सर्वे का काम चल रहा है। और उसकी रिपोर्ट संबंधित विभाग को भेजी जाएगी। इसके बाद प्रभावित किसानों के खाते में फसल क्षति की राशि स्वता भेज दी जाएगी। लेकिन पीड़ित किसानों और जिला कृषि पदाधिकारी के बयान में काफी अंतर देखा जा रहा है। जमीनी रूप से अब तक सर्वे का काम सभी बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पूरा ही नहीं हो पाया है। तो यह कैसे संभव है कि समय से पीड़ित किसानों को इस योजना का लाभ मिल पाएगा।
बाइट 1. रामलोचन सहनी। पीड़ित किसान परसौनी प्रखंड के मदनपुर गांव निवासी। पीला गंजी में।
बाइट 2. रामचंद्र बैठा। परसौनी प्रखंड का पीड़ित किसान। उजला गंजी में। Conclusion:हालांकि कुछ ऐसे बाढ़ प्रभावित प्रखंड है जहां पर 10 रोज पूर्व कृषि सलाहकार के स्तर से पीड़ित किसानों का आवेदन जमा कराया गया है। लेकिन अधिकांश पंचायत ऐसे हैं जहां के किसानों को अब तक इस योजना के संबंध में जानकारी तक नहीं।
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