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खुशखबरी: बाढ़ पीड़ित किसानों की मदद के लिए आगे आया विभाग, राहत राशि वितरण का काम शुरू

बाढ़ के कारण किसानों का काफी नुकसान हुआ है. धान और गन्ने की फसल शत-प्रतिशत प्रभावित हो चुकी है. पीड़ित किसानों ने बताया कि इस बार आई बाढ़ की विभीषिका के कारण कुछ भी नहीं बचा.

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Published : Jul 29, 2019, 8:43 PM IST

पीड़ित किसान

सीतामढ़ी: जिले के बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में पीड़ित किसानों के लिए अच्छी खबर है. दरअसल, आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से फसलों की क्षति पर अनुदान देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यह काम फिलहाल शुरुआती स्तर में है. इस लाभ के लिए पीड़ित किसानों को फसल ऑनलाइन आवेदन करना जरूरी है.

वहीं, फसल क्षति सर्वेक्षण के लिए लिखित आवेदन भरा जा रहा है. इस आवेदन के साथ संबंधित कागजात संलग्न कर स्थानीय कृषि सलाहकार के यहां जमा कराई जा रही है. मालूम हो कि प्रक्रिया के शुरू होते ही पीड़ित किसानों के चेहरे पर आशा की किरण दिखाई देने लगी है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

किसानों ने ली राहत
बाढ़ के कारण किसानों का काफी नुकसान हुआ है. धान और गन्ने की फसल शत-प्रतिशत प्रभावित हो चुकी है. पीड़ित किसानों ने बताया कि इस बार आई बाढ़ की विभीषिका के कारण कुछ भी नहीं बचा. वह दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. ऐसे में अगर सरकार कुछ राहत और अनुदान दे रही है तो इससे परिवार की स्थिति में सहयोग मिलेगा.

2017 की सूची के हिसाब से होगा वितरण
हालांकि, कुछ किसानों में इसके प्रति नाराजगी भी देखी जा रही है. क्योंकि विभागीय स्तर पर जो प्रक्रिया की जा रही है, वह वर्ष 2017 की सूची के अनुसार शुरू की गई है. किसानों का कहना है कि 2017 की तुलना में इस बार अधिक भयानक बाढ़ आई और किसान भी ज्यादा प्रभावित हुए हैं. ऐसे में प्रशासन को फिर से सूची तैयार कर अनुदान राशि का बंटवारा करना चाहिए. ताकि कोई पीड़ित किसान वंचित ना रह जाए.

लाभ के लिए आवश्यक शर्तें
फसल बीमा के लिए किसानों को अपना किसान रजिस्ट्रेशन, आधार कार्ड और बैंक पासबुक की छायाप्रति देना अनिवार्य है. इसके अलावे आवेदन के साथ जमीन की रसीद या एलपीसी की फोटोकॉपी भी देना आवश्यक है. साथ ही जो आवेदन दिए जा रहे हैं, उसमें बैंक का नाम, खाता संख्या, आईएफएससी कोड, किसान की श्रेणी, जमीन का रकबा, खाता और खसरा नंबर के अलावे मौसमी फसल और बहुवर्षीय फसल को अंकित करना अनिवार्य है.

sitamarhi
फसलों का हुआ नुकसान

जदयू जिला अध्यक्ष ने भी जताई आपत्ति
फसल क्षति और फसल बीमा को लेकर 2017 की सूची अपनाने पर जदयू जिलाध्यक्ष ने भी आपत्ति जताई है. जिला अध्यक्ष राणा रणधीर सिंह ने बताया कि 2017 की बाढ़ सूची का अब इस्तेमाल करना गलत है. इस बार की विभीषिका में अधिक किसान प्रभावित हुए हैं. इसलिए गांव-गांव जाकर विभागीयकर्मियों को सही सूची बनानी चाहिए.

अनुदान दर
बता दें कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए सरकार ने तीन श्रेणियों में अनुदान राशि तय की है. इसके तहत मौसमी फसल जैसे धान सिंचित के लिए 13,500 रुपए और असिंचित के लिए 6,800 रुपए प्रति हेक्टेयर के अलावे बहुवर्षीय फसल जैसे गन्ना के लिए 18,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की मदद दी जाएगी.

सीतामढ़ी: जिले के बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में पीड़ित किसानों के लिए अच्छी खबर है. दरअसल, आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से फसलों की क्षति पर अनुदान देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. यह काम फिलहाल शुरुआती स्तर में है. इस लाभ के लिए पीड़ित किसानों को फसल ऑनलाइन आवेदन करना जरूरी है.

वहीं, फसल क्षति सर्वेक्षण के लिए लिखित आवेदन भरा जा रहा है. इस आवेदन के साथ संबंधित कागजात संलग्न कर स्थानीय कृषि सलाहकार के यहां जमा कराई जा रही है. मालूम हो कि प्रक्रिया के शुरू होते ही पीड़ित किसानों के चेहरे पर आशा की किरण दिखाई देने लगी है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

किसानों ने ली राहत
बाढ़ के कारण किसानों का काफी नुकसान हुआ है. धान और गन्ने की फसल शत-प्रतिशत प्रभावित हो चुकी है. पीड़ित किसानों ने बताया कि इस बार आई बाढ़ की विभीषिका के कारण कुछ भी नहीं बचा. वह दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. ऐसे में अगर सरकार कुछ राहत और अनुदान दे रही है तो इससे परिवार की स्थिति में सहयोग मिलेगा.

2017 की सूची के हिसाब से होगा वितरण
हालांकि, कुछ किसानों में इसके प्रति नाराजगी भी देखी जा रही है. क्योंकि विभागीय स्तर पर जो प्रक्रिया की जा रही है, वह वर्ष 2017 की सूची के अनुसार शुरू की गई है. किसानों का कहना है कि 2017 की तुलना में इस बार अधिक भयानक बाढ़ आई और किसान भी ज्यादा प्रभावित हुए हैं. ऐसे में प्रशासन को फिर से सूची तैयार कर अनुदान राशि का बंटवारा करना चाहिए. ताकि कोई पीड़ित किसान वंचित ना रह जाए.

लाभ के लिए आवश्यक शर्तें
फसल बीमा के लिए किसानों को अपना किसान रजिस्ट्रेशन, आधार कार्ड और बैंक पासबुक की छायाप्रति देना अनिवार्य है. इसके अलावे आवेदन के साथ जमीन की रसीद या एलपीसी की फोटोकॉपी भी देना आवश्यक है. साथ ही जो आवेदन दिए जा रहे हैं, उसमें बैंक का नाम, खाता संख्या, आईएफएससी कोड, किसान की श्रेणी, जमीन का रकबा, खाता और खसरा नंबर के अलावे मौसमी फसल और बहुवर्षीय फसल को अंकित करना अनिवार्य है.

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फसलों का हुआ नुकसान

जदयू जिला अध्यक्ष ने भी जताई आपत्ति
फसल क्षति और फसल बीमा को लेकर 2017 की सूची अपनाने पर जदयू जिलाध्यक्ष ने भी आपत्ति जताई है. जिला अध्यक्ष राणा रणधीर सिंह ने बताया कि 2017 की बाढ़ सूची का अब इस्तेमाल करना गलत है. इस बार की विभीषिका में अधिक किसान प्रभावित हुए हैं. इसलिए गांव-गांव जाकर विभागीयकर्मियों को सही सूची बनानी चाहिए.

अनुदान दर
बता दें कि बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए सरकार ने तीन श्रेणियों में अनुदान राशि तय की है. इसके तहत मौसमी फसल जैसे धान सिंचित के लिए 13,500 रुपए और असिंचित के लिए 6,800 रुपए प्रति हेक्टेयर के अलावे बहुवर्षीय फसल जैसे गन्ना के लिए 18,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की मदद दी जाएगी.

Intro: जिले के बाढ़ प्रभावीत प्रखंडों में पीड़ित किसानों को फसल क्षति अनुदान देने के लिए विभागीय प्रक्रिया शुरू। Body: जिले के सभी बाढ़ प्रभावित प्रखंडों में पीड़ित किसानों को अनुदान देने के लिए फसल क्षति सर्वेक्षण और फसल बीमा करने का काम विभागीय स्तर से शुरू कर दिया गया है। इसके लिए पीड़ित किसानों को फसल बीमा की राशि प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना जरूरी है। जो किया जा रहा है। वहीं फसल क्षति सर्वेक्षण के लिए हस्तलिखित आवेदन को भरा जा रहा है। और उस आवेदन के साथ संबंधित कागजात संलग्न कर स्थानीय कृषि सलाहकार के यहां जमा कराई जा रही है। इस प्रक्रिया के शुरू होते ही पीड़ित किसानों को चेहरे पर आशा की किरण दिखाई देने लगी है। क्योंकि अधिकांश प्रखंडों के किसानों के धान और गन्ने की फसल शत-प्रतिशत प्रभावित हो चुकी है। पीड़ित किसानों ने बताया कि इस बार आई बाढ़ की विभीषिका के कारण कुछ भी नहीं बचा। हम लोग दाने-दाने को मोहताज हो गए है।अगर सरकार कुछ राहत और अनुदान देती है तो इससे परिवार की स्थिति में सहयोग मिलेगा। हालांकि कुछ किसानों में नाराजगी भी देखी जा रही है। क्योंकि विभागीय स्तर पर जो प्रक्रिया की जा रही है। उसके लिए विभाग की ओर से वर्ष 2017 की सूची के अनुसार फसल क्षति देने की कवायद शुरू की गई है। इसी बात से नाराज बाढ़ पीड़ित किसानों ने बताया कि वर्ष 2017 की तुलना में इस बार आई बाढ़ में अधिक से अधिक किसान प्रभावित हुए हैं। इसलिए अभी की क्षति के मुताबिक विभाग को सूची बनानी चाहिए ताकि कोई भी पीड़ित किसान अनुदान या सहायता राशि लेने से वंचित ना हो। प्रक्रिया का तरीका : ______
फसल बीमा के लिए किसानों को अपना किसान रजिस्ट्रेशन, आधार कार्ड और बैंक पासबुक की छायाप्रति देना अनिवार्य है। इसके अलावे आवेदन के साथ जमीन की रसीद या एलपीसी की छाया प्रति भी देना आवश्यक है। जो आवेदन प्रपत्र भरे जा रहे है। उसमें बैंक का नाम बैंक खाता संख्या, आईएफएससी कोड, किसान की श्रेणी, जमीन का रकबा, खाता और खसरा नंबर के अलावे मौसमी फसल और बहुवर्षीय फसल को अंकित करना अनिवार्य है। जदयू जिला अध्यक्ष को भी आपत्ति :_____________ फसल क्षति और फसल बीमा को लेकर विभागीय स्तर से 2017 की सूची का उपयोग जो किया जा रहा है। उसको लेकर जदयू जिला अध्यक्ष राणा रणधीर सिंह ने भी आपत्ति जताना शुरू कर दिया है। उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि 2017 की बाढ़ में जो सूची बनाई गई थी उसका इस्तेमाल इस बार जो किया जा रहा है यह गलत है। इस बार की विभीषिका में अधिक से अधिक किसान प्रभावित हुए हैं। इसलिए गांव गांव में जाकर विभागीय कर्मी को सही सूची बनाकर प्रस्तुत करना चाहिए। ताकि कोई भी पीड़ित किसान इस लाभ को लेने से वंचित ना रह जाय। और इसके लिए विभागीय प्रक्रिया है। जिसे अपनाना बेहद जरूरी है। अनुदान का दर :_____________________ बाढ़ पीड़ितों को फसल क्षति देने के लिए सरकार ने तीन श्रेणियों में अनुदान की राशि तय की है। इसके तहत मौसमी फसल जैसे धान सिंचित के लिए 13500 रुपए और असिंचित के लिए 6800 रुपए प्रति हेक्टेयर के अलावे बहुवर्षीय फसल जैसे गन्ना के लिए 18000 रुपए प्रति हेक्टेयर तय किया गया है। बाइट 1. सरोज कुमार। पीड़ित किसान। ब्लू टी शर्ट में। बाइट 2. राणा रंधीर सिंह। जदयू जिला अध्यक्ष। उजला कुर्ता में। बाइट 3. रंजीत कुमार सिंह। डीएम सीतामढ़ी। ब्लू शर्ट में। पी टू सी 4. विजुअल 5,6,7 Conclusion:पी टू सी राहुल देव सोलंकी। सीतामढ़ी।
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