सीतामढ़ीः जिला स्वास्थ्य विभाग (District Health Department) दावे तो बड़े-बड़े करता है. लेकिन हकीकत में स्वास्थ्य व्यवस्था का बुरा हाल है. सरकार द्वारा पीएचसी से लेकर उप स्वास्थ्य केंद्र के निर्माण के बाद भी लोगों को इलाज के लिए कोसों दूर जाना पड़ता है. स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति काफी जर्जर है और डॉक्टर तक नहीं हैं. वहीं, जिला प्रशासन कोरोना वायरस जैसी वैश्विक बीमारी से संभावित तीसरी लहर को लेकर तैयारियों में जुटा है. डीएम सुनील कुमार यादव (DM Sunil Kumar Yadav) लगातार अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं, लेकिन जर्जर पड़ें स्वास्थय केंद्रों में इलाज कैसे होगा.
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दरअसल जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर की दूरी पर प्रेम नगर में लाखों की लागत से 1990 में उप स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण किया गया था. सरकार की कोशिश थी कि स्वास्थ्य केंद्र से आसपास के 10 गांव के लोगों को लाभ मिले. लेकिन आलम है कि स्वास्थ्य केंद्र आज जर्जर स्थिति में है.
यहां के लोगों का कहना है कि इलाज करने के लिए डॉक्टर नहीं आते, हालांकि कागजों पर डॉक्टर रोज इलाज करने उप स्वास्थ्य केंद्र आते हैं. उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति इतनी जर्जर है कि कभी भी कोई अप्रिय घटना हो सकती है.
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आसपास के 10 गांव के लोगों को इलाज के लिए 8-10 किलोमीटर दूर जिला मुख्यालय के स्वास्थ्य केंद्र में जाना पड़ता है. या 13 किलोमीटर दूर सदर अस्पताल सीतामढ़ी इलाज के लिए जाना पड़ता है.
वहीं, उप स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत कर्मी नगीना देवी का कहना है कि उप स्वास्थ्य केंद्र की हालत तो जर्जर है. लेकिन यहां रोज इलाज करने डॉक्टर आते हैं और मरीजों का इलाज भी होता है. वहीं, इस सिलसिले में पूछे जाने पर सिविल सर्जन ने इस मामले में कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया.
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