शेखपुरा: कोरोना के कहर से न सिर्फ आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है बल्कि ममता भी अब तार-तार होने लगी है. 26 मई को एक महिला ने बरबीघा के राजराजेश्वर क्वॉरेंटाइन सेंटर में बिना किसी डॉक्टरी सहायता के बच्चे को जन्म दिया था. महिला ने अपने नवजात बच्चे को भी कोराना न हो इस भय से उसे दूध पिलाने से ही इंकार कर दिया.
जांच में पॉजिटिव पाई गई महिला
अस्पताल के प्रशासनिक प्रभारी डॉ. फैजल अरशद के द्वारा प्राथमिक जांच के बाद मां और बच्चे को किसी भी खतरे से बाहर बताए जाने के बाद महिला ने बच्चे को गले लगाया, लेकिन एहतियात के तौर पर महिला की जांच के लिए सैंपल भेजा गया. किस्मत में फिर पलटी मारी और शुक्रवार को जब महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो महिला के पैरों तले जमीन खिसक गई. रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद महिला ने बच्चे को दूध पिलाना तो दूर कलेजे पर पत्थर रखकर अपने से ही दूर कर दिया.
मां ने नवजात को छूने से किया इनकार
हालांकि, उसके पति और एक अन्य 2 वर्षीय बच्चे की रिपोर्ट नेगेटिव आई है. नवजात को कोरोना होने के भय से महिला ने दूध पिलाना बंद करने के साथ ही उसे छूने तक से इंकार कर दिया. महिला को अस्पताल के एक अलग कमरे में क्वॉरेंटाइन किया गया है.
महिला डॉ. ने की पहल
अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नूर फातिमा ने स्वयं एक मां के रूप में उस पीड़ित महिला के पास पहुंचकर भावनात्मक रूप से समझाया. महिला पर डॉ. नूर के समझाने का असर हुआ और तब उसने बच्चे को स्तनपान कराया. डॉ. नूर फातिमा के इस प्रयास की अस्पतालकर्मियों ने जमकर सराहना की.
वायरस से नवजात को नहीं है खतरा
वहीं, डॉ. नूर फातिमा ने बताया कि पिछले 4 महीने से देश में कोरोना अपना पैर पसारे हुए है. इस बीच कई पॉजिटिव गर्भवती स्त्रियों ने बच्चे को जन्म दिया, लेकिन आज तक किसी नवजात की मृत्यु इस वायरस से नहीं हुई. उन्होंने कहा कि बच्चे भगवान का रूप होते हैं और उन पर अल्लाह की रहमत होती है.