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छपरा: बाढ़ की चपेट में आए दो दर्जन गांव, पशुओं के साथ पलायन कर रहे हैं लोग - तरैया में बाढ़ की चपेट में कई गांव

छपरा में दो दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं. ग्रामीण अपने मवेशियों को लेकर पलायन कर रहे हैं. वहीं इस दौरान चारा नहीं होने के कारण पशुओं के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है.

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बाढ़ की चपेट में आये दो दर्जन गांव
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Published : Jul 23, 2020, 9:47 PM IST

छपरा(तरैया): नेपाल से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद गंडक नदी में भारी उफान है. नदी के किनारे बसे तरैया सहित कई प्रखंडों के दो दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं. बाढ़ का पानी गांव में प्रवेश करने के बाद लोग त्राहिमाम कर रहे हैं.

पलायन कर रहे लोग
तरैया के रिंग बांध के निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न होने से जिमदाहा, अरदेवा, सगुनी, बनिया हसनपुर, माधोपुर मलाह टोली के ग्रामीण सारण तटबंध पर शरण लिये हुए हैं. वहीं कुछ लोग बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए पलायन भी कर रहे हैं. बाढ़ क्षेत्र के लगभग बीस हजार लोग राहत केंन्द्रों पर शरण लिये हुए हैं.

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गांव में घुसा बाढ़ का पानी

सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास
डीएम के निर्देश के आलोक में निचले इलाके में रह रहे ग्रामीणों को हर सम्भव सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. लोग अपने-अपने घरों को छोड़ कर आवश्यक सामानों के साथ मवेशियों को भी अपने साथ ले आये हैं. निर्वासित लोग कोरोना और बाढ़ जैसी विपदा से एक साथ जूझ रहे हैं.

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पशुओं को नहीं मिल रहा चारा

क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि गंडक नदी के किनारे रहने के कारण हर बार उन्हें इस विपदा से लड़ना पड़ता है. पशुओं के साथ आये पशुपालक बांध और उच्चे स्थानों पर शरण तो लिए हैं. लेकिन पशुओं को खिलाने के लिए उनके पास चारा नही हैं.

इलाके में पानी घुसने से हरे चारा के साथ खल्ली और भूसे की भी काफी किल्लत हो गई है. यदि शीघ्र पशुओं के चारा की व्यवस्था नहीं की गई, तो पालतु पशुओं के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. शरणार्थी मवेशियों के लिये शीघ्र चारा प्रबन्ध करने की मांग कर रहे हैं.

छपरा(तरैया): नेपाल से भारी मात्रा में पानी छोड़े जाने के बाद गंडक नदी में भारी उफान है. नदी के किनारे बसे तरैया सहित कई प्रखंडों के दो दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ गये हैं. बाढ़ का पानी गांव में प्रवेश करने के बाद लोग त्राहिमाम कर रहे हैं.

पलायन कर रहे लोग
तरैया के रिंग बांध के निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात उत्पन्न होने से जिमदाहा, अरदेवा, सगुनी, बनिया हसनपुर, माधोपुर मलाह टोली के ग्रामीण सारण तटबंध पर शरण लिये हुए हैं. वहीं कुछ लोग बाढ़ की विभीषिका को देखते हुए पलायन भी कर रहे हैं. बाढ़ क्षेत्र के लगभग बीस हजार लोग राहत केंन्द्रों पर शरण लिये हुए हैं.

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गांव में घुसा बाढ़ का पानी

सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास
डीएम के निर्देश के आलोक में निचले इलाके में रह रहे ग्रामीणों को हर सम्भव सुविधा उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. लोग अपने-अपने घरों को छोड़ कर आवश्यक सामानों के साथ मवेशियों को भी अपने साथ ले आये हैं. निर्वासित लोग कोरोना और बाढ़ जैसी विपदा से एक साथ जूझ रहे हैं.

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पशुओं को नहीं मिल रहा चारा

क्या कहते हैं ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि गंडक नदी के किनारे रहने के कारण हर बार उन्हें इस विपदा से लड़ना पड़ता है. पशुओं के साथ आये पशुपालक बांध और उच्चे स्थानों पर शरण तो लिए हैं. लेकिन पशुओं को खिलाने के लिए उनके पास चारा नही हैं.

इलाके में पानी घुसने से हरे चारा के साथ खल्ली और भूसे की भी काफी किल्लत हो गई है. यदि शीघ्र पशुओं के चारा की व्यवस्था नहीं की गई, तो पालतु पशुओं के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी. शरणार्थी मवेशियों के लिये शीघ्र चारा प्रबन्ध करने की मांग कर रहे हैं.

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